बिलासपुर की हवाओं में जहर..सफाई की खुली पोल-शैलेन्द्र

BHASKAR MISHRA
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SMART_CITY_BITE_SHAILENDRA 005बिलासपुर—कांग्रेस पार्षद और प्रवक्ता शैलेन्द्र जायसवाल ने स्वच्छता सर्वेक्षण में निगम प्रशासन की चुटकी ली है। कहते हुए शर्म आ रही है कि बिलासपुर नगर निगम सफाई मामले में पीछे से दूसरा स्थान है। ऊपर से निगम प्रशासन का तुर्रा यह कि हम 9 शहरों में आठवें स्थान पर आए है। शैलेन्द्र ने निगम अधिकारी और महापौर को खुद की पीठ थपथपाए जाने पर शर्मिन्दगी बताया है।

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                   शैलेन्द्र ने बताया कि छत्तीसगढ़ के 9 शहरों में से बिलासपुर का नाम साफ सफाई में आठवें स्थान पर है। शर्मिन्दा होने की वजाय निगम अधिकारी और महापौर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। जबकि स्वच्छता सर्वे टीम के शहर आने से 10 दिन पहले पूरे शहर में युद्धस्तर पर सफाई अभियान चलाया गया था। तात्कालीन समय नगरवासियों ने महसूस किया कि आज से पहले इस तरह की सफाई शहर में देखने को नहीं मिली थी।

   शैलेन्द्र जायसवाल ने बताया कि रातोरात डस्टबिन के डिब्बे मुख्य मार्गों में लगा दिए गए थे। यह अलग बात है कि दूसरे दिन से ही डिब्बों की चोरी होने लगी। बावजूद इसके सफाई और विकास के दौड़ में बिलासपुर छोटे शहरों जैसे अंबिकापुर, रायगढ़, कोरबा, दुर्ग ,भिलाई, राजनांदगांव से पीछे छूट गया। शैलेन्द्र ने बताया कि इस समय बिलासपुर की सूरत कुछ ऐसी है जैसे गाजा पट्टी में बम गिराने के बाद जगह-जगह गड्ढे हो जाते हैं।

               कांग्रेस प्रवक्ता के अनुसार शहर की हवाओं में इतना ज्यादा धूल है कि लोगों का जीना हराम हो गया है। पिछले 8 वर्षों में जितने बच्चों ने जन्म लिया है उन्हें सांस की बीमारी हो गयी है। बूढ़े और नौजवान भी धूल के प्रकोप से परेशान हैं। दरअसल धूल ने शहर को बीमार ही नहीं….बल्कि बहुत ही बीमार बना दिया गया है ।

                   मुख्य मार्गो में पीएम यानि पार्टिकुलेट मैटर 2.5 से अधिकतम सीमा 60 पीपीएम होनी चाहिए। लेकिन पीएण खतरनाक स्तर 400 से ऊपर पहुंच चुका है। धूल और धुएं के बारीक कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर से भी कम होता है इंसान को अस्थमा ब्रोंकाइटिस और कैंसर जैसी घातक बीमारियों को रोगी बना देता है। शैलेन्द्र ने बताया कि ऐसे में नगर निगम प्रशासन का अपनी पीठ ठोकना शहर के जले में नमक छिड़कने जैसा है।

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