बिलासपुर के शिल्पी रामबाबू सोंथालिया की पुण्यतिथि पर शहर विकास में योगदान का स्मरण

Chief Editor
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बिलासपुर । विनोबा नगर वासी और पूजा समिति के पूर्वसंरक्षक,बिलासपुर विकास प्राधिकरण के प्रथम अध्यक्ष,अरपा महोत्सव के संस्थापक, स्वर्गीय,रामबाबू सोन्थलिया  की ग्यारहवीं पुण्यतिथि पर शहर के लोगों ने अपनी श्रद्धाजलि अर्पित की । इस मौके पर शहर के विकास में उनके योगदान को याद किया गया ।
ज्ञात हो कि स्व.सोन्थलिया की पहचान,एक स्वप्नदृष्टा की रही है । नगर को सुंदर स्वच्छ,और व्यवस्थित बनाने में सबसे पहला प्रयोग श्री सोन्थलिया  की ही देन है । व्यापार विहार,राजकिशोर नगर,समृति वन,यदुनंदन नगर,श्रीकांत वर्मा मार्ग,ये सभी उनकी ही देन है और तो और शहर का पहला वृद्धाश्रम,भी इन्होंने ही स्थापित कराया । शहर का विकास किस तरह से होना चाहिए और रिहाइशी इलाकों के साथ ही व्यावसायिक क्षेत्रों की स्थापना में उन्होने कई सार्थक कदम उठाए। उनकी कल्पना सकार होती रही और शहर  आज भी उनका लाभ उठा रहा है। शहर के उस समय के विधायक और प्रदेश सरकार में लम्बे समय तक मंत्री रहे स्व. बी.आऱ. यादव ने उनकी प्रतिभा का हमेशा सम्मान किया और उन्हे इस दिशा में कई जिम्मेदारियां भी सौंपी ।
शहर विकास के साथ ही बड़े आयोजनों को लेकर प्लांनिंग और उसे मूर्त रूप देने के लिए भी रामबाबू सोंथालिया ने अहम् भूमिका निभाई। शहर में पहला इवेंट  1977 में दारा सिंह की कुश्ती का आयोजन आज भी यादगार है। इसी तरह फल फूल कृषि उत्पाद प्रदर्शनी,व्यापार मेला और ना जाने क्या क्या….. उन्होने सोचा और शहर में लोगों को साथ जोड़कर उसका आयोजन किया । रामबाबू सोंथालिया ने बिलासपुर में रामकिंकर  की कथा,मोरारी बापू  की कथा,अतिरुद्र महायज्ञ का आयोजन में अहम् हिस्सेदीरी निभाई। इस आयोजन में उन्होने स्वयं,बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था । धार्मिक कार्यो की बहुत बड़ी फेहरिश्त है ।
राजनीति में सक्रिय रहकर उन्होने अपनी अलग पहचान बनाई । उनके बिलासपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्षीय कार्यकाल में राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह,प्रधानमंत्री राजीव गांधी  के द्वारा प्रियदर्शनी नगर का उद्घटान किया गया । बहुआयामी सोच के धनी स्व. रामबाबू सोंथालिया ने  शिक्षा के लिए शहर के सभी कॉलेजों की विकास समिति में रहकर उन्नयन किया  ,जो अविस्मरणीय है ।,वीणा वर्मा राज्यसभा सदस्य के 15 साल तक सांसद प्रतिनिधि रहकर इन्होंने ही  शहर में सर्वाधिक कार्य  कराए । वे ऐसे लोगों में से  थे , जो बिलासपुर शहर की अलग पहचान के हामी रहे औऱ अपने जीवन पर्यंत उन्होने कई सार्थक कार्य किए जो आज भी स्थाई हैं।
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