बिलासपुर– बिल्हा में कांग्रेस का कार्यक्रम हमेशा विवादों में क्यों रहता है। लोगों को इस पर शोध करने की जरूरत है। एक बार फिर बिल्हा में कांग्रेसियों की गुटबाजी खुलकर सामने आयी है। मौका था जिला कांग्रेस कमेटी की न्याय यात्रा समापन का । पीसीसी अध्यक्ष भूपेश बघेल को नारेबाजी करने वालों को दो टूक कहना पड़ा कि शोर करने वालों को सभा से बाहर निकाला जाए। भूपेश ने स्थानीय विधायक को भी नहीं छोड़ा। मंच पर ही उन्होंने सियाराम कौशिक को सख्त लहजे में अपने आदमियों को शांत करने का आदेश दिया।
राजेन्द्र तिवारी आत्महत्या काण्ड मामला अभी शांत नहीं हुआ कि किसान न्याय यात्रा के कार्यक्रम में पीसीसी अध्यक्ष और स्थानीय विधायक सियाराम कौशिक में वाद विवाद को सभी ने देखा। नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव भी इसके गवाह बने। कार्यक्रम के दौरान राजेन्द्र समर्थकों ने अपने नेता के समर्थन में जमकर नारेबाजी की। सियाराम समर्थक भी पीछे नहीं रहे। बहुतों ने अमित जोगी और अजीत जोगी जिन्दाबाद के भी नारे लगाये।
भूपेश बघेल ने राजेन्द्र और सियाराम कौशिक को नारेबाजी करने वालों पर लगाम लगाने का निर्देश दिया । सियाराम और राजेन्द्र समर्थकों को जमकर खरी खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि नारा सिर्फ सोनिया और राहुल गांधी के लगाए जाएं। बावजूद इसके कार्यकर्ताओं ने पीसीसी अध्यक्ष के निर्देशों को ध्यान नहीं दिया।
नाराज भूपेश ने मंच पर ही सियाराम को जमकर फटकारा। बताया जा रहा है नाराजगी का मुख्य कारणों में से एक राजेन्द्र तिवारी आत्महत्या काण्ड भी था। सियाराम का आरोप है कि पीसीसी अध्यक्ष और उनके समर्थकों ने राजेन्द्र तिवारी परिवार के लिए संवेदना के दो शब्द भी जाहिर करना मुनासिब नहीं समझा। छः दिन से धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। पीसीसी अध्यक्ष मामले को गंभीरता से ना लेते हुए किसान न्याय यात्रा में शामिल होना मुनासिब समझा। कौशिक ने कहा कि किसान न्याय यात्रा के साथ राजेन्द्र तिवारी के लिए भी भूपेश बघेल को समय निकालना चाहिए।
मंच का विवाद धीरे-धीरे मंच के नीचे उतर गया। सिया समर्थकों ने अपने नेता के समर्थन में जमकर नारेबाजी कर हौंसला अफजाई किया। जोगी के समर्थन में भी नारे लगाए । राजेन्द्र समर्थक भी पीछे नजर नहीं आए। हालांकि राजेन्द्र समर्थकों ने भूपेश के भी कसीदे पढ़े। लेकिन पीसीसी अध्यक्ष को सब रास नहीं आया। नाराज भूपेश ने सियाराम को कुछ इस अंदाज में उंगली दिखाकर निर्देश देने का प्रयास किया। जैसे दो प्रतिद्वंदियों में देखने को मिलता है। समझने वाली बात है कि छिपा प्रतिद्वंदी कौन है। लेकिन भूपेश के तेवर को देख सियाराम को थोड़ा नरम और समर्थकों के कारण गरम रहना पड़ा। लेकिन मंच अंत तक गरम रहा।
बताया जा रहा है कि मंच से भाषण देने वालों में शहर कांग्रेस अध्यक्ष नरेन्द्र बोलर का नाम भी हटा दिया गया। जिसके कारण बोलर के समर्थक भी खासे नाराज नजर आए।
बहरहाल हमेशा गुटबाजी को इंकार करने वाले कांग्रेस नेताओं की बिल्हा किसान मंच ने पोल खोल कर रख दिया। पत्रकारों को भी अब गुटबाजी जैसे प्रश्न को लेकर किसी कांग्रेसी से पूछने की जरूरत नहीं होगी । जिस स्थान पर जोगी को बहुत सम्मान के साथ सियाराम ने हाथों हाथ लिया था। उसी मिट्टी में सहिष्णुता की माला जपने वाले कांग्रेसी नेताओं को उंगली करने की जरूरत क्यों पड़ गयी। इस पर मंथन जरूरी है।
लोगों की माने तो बिल्हा कांग्रेसी एकता की कसौटी है। कांग्रेसियों की एकता यहां खुलकर सामने आ जाती है। पिछली बार भी कांग्रेसियों की एकता को बिल्हा ने अपनी कसौटी पर परखा था। लेकिन टेस्ट में कांग्रेसी फेल हो गये थे। इस बार भी वहीं पुराना रिजल्ट सामने आया । पिछली बार भी कार्यवाही के संकेत दिये गये थे। इस बार भी वही हुआ।
लेकिन इन सबके बीच उभरते युवा कांग्रेस नेता राजेन्द्र शुक्ला को मनन जरूर करना होगा कि आखिर किसान न्याय यात्रा का अंत भला क्यों नहीं हुआ।