बीजापुर छत्तीसगढ़ का हिस्सा है या टापू?

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राजेश अग्रवाल।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14 अप्रैल को बीजापुर के जांगला गांव में आयुष्मान भारत योजना शुरू करेंगे। आज रिपोर्ट देख रहा था कि माओवाद प्रभावित इस इलाके में उनके दौरे को लेकर क्या तैयारी चल रही है। पूरे बस्तर में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसे नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया गया है। सुरक्षा बलों का घेरा 15 किलोमीटर दूर से बना दिया गया है। कमांडो 10 किलोमीटर दूर चप्पे-चप्पे पर तैनात किए गए हैं। केन्द्रीय एजेंसियों ने अभी से वहां सुरक्षा-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभाल ली है। प्रदेश के दर्जनों अफसरों ने वहां डेरा डाल रखा है। सभा स्थल से कई किलोमीटर दूर तक 10-10 मीटर गहरी जमीन की जांच की जा रही है कि कहीं बारूदी सुरंग तो नहीं है। मंच पर सिर्फ सात लोग बैठेंगे, सभास्थल पर पहुंचने वालों की तीन बार जांच होगी।

             
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कई-कई किलोमीटर तक सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। छह दिन पहले माओवादी हमले में दो जवान शहीद हो गए थे। बीजापुर में कुछ समय पहले दुबारा जेल ब्रेक की कोशिश हुई थी। मतलब यह है कि बस्तर के हालात जरा भी नहीं सुधरे हैं। हर हमले के बाद सरकार का दावा होता है कि जवानों की शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। अब माओवादी हताश है। यह तैयारी उस दावे के प्रतिकूल है। हमें भी चिंता है कि प्रधानमंत्री की सुरक्षा में कोई चूक न हो, लेकिन इतनी तैयारी यह दिखाती है कि बस्तर में अनुकूल माहौल बनाने में यह सरकार विफल रही है। प्रसंगवश, आज मोदी ने कई विधायकों से बात की। इनमें बस्तर से आने वाले वन मंत्री महेश गागड़ा भी थे। गागड़ा से उन्होंने कहा कि सिर्फ सड़क, पुल, पुलिया बनाना विकास नहीं है। जनप्रतिनिधि बस्तर के लोगों के साथ सामाजिक सरोकार बढ़ाएं, उनकी तकलीफों को समझें और दूर करें। बहुत अच्छी बात की। देखते हैं, इस बात का असर क्या होता है।

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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