बैंक अधिकारियों का एलान-ए-जंग…सहायक महासचिव ने कहा…गलत नीति और पालिसी मेकरों ने किया नुकसान

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के आह्ववान पर देश के तीन लाख से अधिक बैंक कर्मचारी और अधिकारी21 दिसम्बर को हड़ताल पर रहेंगे। कन्फडरेशन के सहायक महासचिव पीएनबी वरिष्ठ प्रबंधक ललित अग्रवाल ने बताया कि सात दिसम्बर को हड़ताल को लेकर जरूरी बैठक स्टेट बैंक शाखा व्यापार विहार में किया गया है। इस दौरान 21 दिसम्बर की हड़ताल की रूपरेखा निर्धारित करने के अलवा मांगों को लेकर प्रदर्शन भी किया जाएगा। बैठक में जिले के सभी वरिष्ठ बैंक अधिकारी विशेष रूप से मौजूद रहेंगे।
                     ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के प्रदेश सहायक महासचिव ने बताया कि राष्ट्रीय संगठन के निर्देश पर 21 दिसम्बर को देश के सभी बैंक अधिकारी हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान बैंक अधिकारी अपनी मांगों को शासन के सामने गंभीरता के साथ पेश करेंगे। ललित अग्रवाल ने बताया कि ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के निर्देश पर शुक्रवार को देश के तीन लाख अधिकारी अपने क्षेत्रों में बैठक का आयोजन कर विरोध प्रदर्शन की रूप रेखा तैयार करेंगे। इसके अलावा प्रदर्शन भी किया जाएगा।
                      ललित अग्रवाल के अनुसार बिलासपुर जिले के सभी बैंक अधिकारी व्यापार बिहार स्थित स्टेट बैंक शाखा के करीब बैठक आयोजन के बाद विरोध प्रदर्शन करेंगे। संगठन के प्रदेश सहायक महासचिव ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान सभी बैंक अधिकारी स्केल 1 से स्केल 7 के लिए पूर्ण मेंडेड, चार्टड ऑफ डिमांड के अनुरूप वेतन समझौता, बढ़ते काम के बोझ से निजात दिए जाने, 5 दिन की वर्किंग, एनपीएस के बदले पुरानी पेंशन और फैमली पेंशन अपडेशन, एनपीए वसूली के साथ कोर बैंकिंग पर जोर दिए जाने के विरोध में आवाज बुलंद करेंगे। इस दौरान देना, विजया और बैंक ऑफ बड़ौदा के एकीकरण को लेकर भी विरोध किया जाएगा।
              ललित अग्रवाल के अनुसार यदि शासन अपनी हठधर्मिता से बाज नहीं आता है तो 21 दिसम्बर को राष्ट्र स्तरीय बैंक हड़ताल किया जाएगा। हड़ताल में देश के तीैन लाख से अधिक बैंक कर्मचारी शामिल होंगे। 26 दिसम्बर के अखिल भारतीय बैंक हड़ताल में अधिकारियों के अलावा देश के सभी कर्मचारी भी शामिल होंगे। ललित अग्रवाल नेआईबॉक  से जुड़े सभी बैंक अधिकारी संगठनों से अपील की है कि 21 और 26 दिसम्बर को होने वाली अखिल भारतीय हडडाल की तैयारी को लेकर सात दिसम्बर को होने वाली बैठक और प्रदर्शन में ना केवल शामिल हों। बल्कि अावाज को बुलंद कर शासन को मांग पूरी करने के लिए मजबूर भी करें।
एनपीए के लिए पालिसी बनाने वाल जिम्मेदार
                   सहायक महासचिव ने बताया कि सरकार बैंकरों पर लगातार खराब ऋण और एनपीए के लिए जिम्मेदार ठहरा रही है। आंकडों से जाहिर होता है कि पिछले दस सालों में राष्ट्रीयकृत बैंकों के परिचालन से लाभ में वृद्धि हुई हैं। अधिकारी और कर्मचारियों की जीतोड़ मेहनत के बाद अर्जित लाभ का 70% एनपीए और खराब ऋण के प्रोविजन में निकल जाता हैं। इसके लिए बैंक अधिकारी या कर्मचारी कही भी दोषी नहीं है। क्योंकि नीति निर्माताओं के गलत निर्णय और पॉलिसी के कारण ही बैंक को नुकसान पहुंचा है।
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