लोरमी — एक ओर सरकार कर्ज माफी की बात करती है वहीं दूसरी ओर छतीसगढ़ के किसान सुखा की मार झेल रहे आत्महत्या करने को मजबूर हो रहे है। ताजा मामला लोरमी के एक किसान है जिसने एक प्राइवेट बंधक बैंक से खेती का कार्य करने 40 हजार रुपये का कर्ज़ लिया था लेकिन दुर्भाग्य से इस वर्ष भी मुंगेली इलाके में कम वर्षा के चलते आकाल की स्थिति निर्मित हो गई है पानी नही गिरने से बैगा के खेत मे फसल नही हुई और जो थोड़ी बहुत थी वो भी पानी की कमी चलते बर्बाद हो गई।
जिससे श्याम सिंह बैगा परेशान रहता था और इस बात को लेकर चिंतित रहता था की बैंक से लिए हुए कर्ज की अदायदी वो कैसे करेगा यही बात उसके मन चलती रही और अपनी पत्नी से इस बात का जिक्र भी उसने किया, जब श्याम सिंह बैगा बहुत ही जादा हताश और परेशान हो गया तो देर रात उसने कीटनाशक दवा पीकर अपनी जान देदी,,सुबह परिजनों ने इस बात की जानकारी पुलिस को दी पुलिस ने मर्ग कायम कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
बड़ा सवाल ये है की आखिर कब तक किसान कर्ज में दबकर अपनी जान देते रहेंगे, गांवो में आज भी रोजगार का कोई साधन नही है ग्रामीण आज भी सिर्फ कृषि पर ही आधारित है, जहां अगर सरकार की योजना से काम कराया भो गया तो आज तक उनके मजदूरी का भुगतान नही हो पाया ये सरकार तंत्र की एक बड़ी लापरवाही मानी जा रही है।