बैलाडीला खदान अडानी को देने का विरोध, बस्तरवासियों का समर्थन करने पहुंचे अजीत जोगी

Shri Mi
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रायपुर।छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के सुप्रीमो  अजीत जोगी ने किरंदूल-बचेली पहुँचकर बरसते पानी में राज्य-सरकार और केंद्र-सरकार द्वारा संयुक्त रूप से बैलाडिला स्थित NMDC की कोयला खदान क्रमांक 13 का ठेका अड़ानी कम्पनी को देने के जनविरोधी निर्णय के विरुद्ध अपने अधिकारों और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे बस्तरवासियों को अपना समर्थन देते हुए कहा कि “मैं मरना पसंद करूंगा लेकिन भूपेश सरकार को अड़ानी को एक फावड़ा या कुदाल चलाने की अनुमति नहीं देने दूंगा।”सीजीवालडॉटकॉम की खबरे अब मोबाइल पर,सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप्प ग्रुप से जुड़ने यहाँ क्लिक करे

             
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अपने उदबोधन में जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के माँग करते हुए कहा कि “मुख्यमंत्री जी, अगर आपकी सरकार वास्तव में आदिवासियों की हितैषी है तो इस निर्णय को निरस्त करें। इसके लिए आपको दिल्ली से पूछने की ज़रूरत नहीं हैं।”

क्षेत्रीय मंत्री कवासी लखमा की आदिवासियों के प्रति समर्पण की जमकर प्रशंसा करते हुए श्री जोगी ने कहा कि उनको भी अड़ानी की लीस रद्द करने के लिए लड़ना चाहिए, भले ही उनको मंत्री पद से इस्तीफ़ा ही क्यों न देना पड़े। पद तो आते-जाते रहते हैं लेकिन बस्तर को बचाना ज़रूरी है। श्री जोगी ने कहा कि “ये बात मुझसे कहीं बहतर श्री कवासी समझते हैं।”

अजीत जोगी ने आगे कहा कि “मेरे पाँव नहीं चलते फिर भी मैं 400 किलोमीटर का लम्बा सफ़र रायपुर से तय करके आपके बीच अपनी बहन सुश्री सोनी सोरी, अपनी पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के ज़िला अध्यक्ष बबलू सिद्दीक़ी और संयुक्त संघर्ष मोर्चे के अध्यक्ष श्री भास्कर के बुलावे पर यहाँ आप सब के बीच पहुँचा हूँ।

सरकार में आने के पहले श्री भूपेश बघेल ने कहा था कि हम खदान अड़ानी को किसी भी सूरत में नहीं देने देंगे लेकिन सरकार में आने के बाद, पाँच महीने में उसी अड़ानी को उन्होंने पाँच-पाँच खड़ाने दे डाली! इसका मैं अपनी अंतिम साँस तक विरोध करता रहूँगा जब तक कि भूपेश सरकार इस जनविरोधी फ़ैसले को निरस्त नहीं कर देती।”

साथ ही अजीत जोगी ने वहाँ हज़ारों की तादाद में दूर-दूर से आए लोगों को अपना संघर्ष जारी रखने हेतु आह्वान किया कि “न मुँह छुपा के जियो न सर झुका के जियो, सितमगरों की नज़र से नज़र मिला के जियो,अब एक रात अगर कम जियो तो कम ही सही, यही बहुत है कि अपनी मशाले जला के जियो।”

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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