बिलासपुर– आज भागवत ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन क्रूर शासक कंश का भगवान श्री कृष्ण बध किया। कथा व्यास संत ने कहा कि भगवान न्यायविद के साथ-साथ चिकित्सक भी है। उसकी कृपा से हम स्वस्थ्य और निरोगी होते हैं। वह न्यायविद भी होता है। हमारे जन्मों के कर्मों का हिसाब उसके पास है। जैसा हम कर्म करेंगे उसी के अनुसार वह न्याय देता है। अतुल कृष्ण ने कहा कि भगवान कन्हैया सबके दिलों में हैं बस उसे सच्चे मन से याद करने की जरूरत है। जो उन्हें जिस रूप में चाहता है वे उसी रूप में हमें दिखाई देते हैं। उन्हें याद करने के बाद हर काम अपने आप सुगम हो जाता है।
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष धरम लाल कौशिक के निवास स्थान पर आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन व्यास संत को सुनने भारी संख्या में भीड़ देखने को मिली। इस मौके पर नगरीय निकाय मंत्री अमर अग्रवाल,राज्यसभा सांसद नंद कुमार साय,संसदीय सचिव राजू सिंह क्षत्री,लखन देवांगन,अम्बेश जांगड़े,छत्तीसगढ़ गृहनिर्माण मंडल के अध्यक्ष भूपेन्द्र सवन्नी भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री रामप्रताप सिंह समेत कई गणमान्य लोगों ने कथा का भरपूर आनंद उठाया।
अतुल कृष्ण महाराज ने कहा कि भगवान कण-कण में व्याप्त हैं। उन्होने आज कृष्ण के मथुरा आगमन और कंश बध का अपनी वाणी से सजीव चित्रण किया। इस दौरान पूरा पंडाल भक्ति भाव में गोते लगाता रहा। व्यास संत ने कहा कि भगवान ने कंश को वैसी ही सजा दी जैसा उसने कर्म किया था। भगवान ने कंश के महाबलियों और शूरमाओं को चुटकियों में परलोग पहुंचा दिया।
अतुल कृष्ण ने कुबड़ी का जिक्र करते हुए कहा कि भगवान न्यायविद के साथ साथ अच्छे चिकित्सक भी हैं। कुबड़ी को उन्होंने सुंदरी कहा और परमसुंदरी बना दिया। लेकिन कंश के बध के समय उन्होने न्यायविद का रूप लिया। उसने जैसा कर्म किया था उसी के अनुकूल परिणाम भी दिया। अतुल कृष्ण ने बताया कि संस्कार का बीजारोपण बचपन से ही होता है। साक्षात ईश्वर होते हुए भी भगवान को संस्कार की पाठशाला से गुजरना पड़ा है। यदि हम अपने बच्चों को बचपन में मात्र कुछ महीनों तक हाय बाय की जगह राम राम कहना शुरू कर दें। तो ऐसे बच्चे ना केवल संस्कारी होते हैं। बल्कि उनकी रक्षा हनुमान सदैव करते हैं।
अतुल कृष्ण महाराज ने अपने प्रवचन में बृज और मथुरा का जीवन्त बखान करते हुए कहा कि दोनों ही जगह भगवान की लीलाओं को देखने हमेशा लालायित रहते थे। बृज से कृष्ण का मथुरा आगमन का कथा व्यास संत ने मार्मिक विश्लेषण कर लोगों के मन को द्रवित कर दिया। साथ ही मथुरा के वैभव और कंश बध का जीवन्त चित्रण भी किया।
अतुल कृष्ण ने कहा कि भगवान संदीपनी मुनी की पाठशाला में अपनी शिक्षा दीक्षा की। इस दौरान उन्होने अपने गुरू को दिए वचनों को निभाकर सच्चे शिष्य का प्रमाण दिया। कथा वाचन के समय पूरा पांडाल खचा खच भरा हुआ था। इस दौरान लोगों ने भगवान श्रीकष्ण की लीलाओं को सुनकर जमकर जयघोष किया। 14 मार्च को कथा का अंतिम दिन होगा।