भाजपाइयों का पर्दा..अंधेरे में राजनाथ

BHASKAR MISHRA
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a67a1c82-c35f-48cc-b935-2319b2a36848बिलासपुर—शहर के इकलौते पांच सितारा होटल की दूधिया रोशनी में आज केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की बुद्धिजीवियों से मुलाकात हुई। कार्यक्रम में शहर के पूंजीपति, व्यावसायी, सामाजिक संगठन,अधिवक्ता,चिकित्सक और एनजीओ प्रमुख शामिल हुए। बाहर चिलचिलाती धूप और हॉटल के भीतर दूधिया रोशनी के बीच भाजपाईयों ने ऐसा पर्दा डाला कि राजनाथ सिंह जाने अंजाने व्यवस्था के अंधेरे में सिमटकर रह गए। पत्रकारों को अन्दर प्रवेश नहीं दिया गया। जाहिर सी बात है कि अन्दर क्या कुछ बात हुई,,,सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है। आमंत्रित एक सदस्य ने बताया कि जंगल में मोर नाचा..किसने देखा..पत्रकार होते तो शहर भी देख लेता।

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                  बताया जा रहा है कि कार्यक्रम में दो एक राष्ट्रीय विषयों के अलावा चार पांच प्रश्न राज्य की योजनाओं पर हुए। राजनाथ सिंह के पहले सीएम ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया। राज्य की योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम के बाद चैम्बर्स ऑफ कामर्स के एक पदाधिकारी ने बताया कि राजनाथ से सिंह मुलाकात कर ठीक लगा। लेकिन पत्रकारों के नहीं होने से कई बातें नहीं हो पायी। कार्यक्रम में आमंत्रित एक छात्र नेता ने बताया कि मीडिया के रहने से सौजन्य मुलाकात की गरिमा को चार चांद लग जाती।

                              राजनाथ सिंह की विकास पर्व की बिलासपुर यात्रा को बेशक सफल कहा जा सकता है…सौजन्य भेंट में विभिन्न वर्गों के लोगों ने सार्थक सवाल किए होंगे…सोचने वाली बात है कि यदि पत्रकार रहता तो जनता के भी सवाल पूछ लिए जाते…। लेकिन ऐसा नहीं हुआ…इसके पहले आज तक जितने भी राष्ट्रीय नेता बिलासपुर आए….व्यस्तताओं के बीच पत्रकारों से बातचीत को प्राथमिकता में लिया। बिलासपुर की पत्रकारिता को सौम्य और रिजल्ट ओरियंटेड बताया।

                      राजनाथ सिंह के दौरे से पहले अटल बिहारी वाजपेयी,अर्जुन सिंह, रामविलास पासवान,लालू यादव, लालकृष्ण आडवाणी,श्री प्रकाश जायसवाल,उमा भारती हाल फिलहाल प्रदेश के मुखिया डॉ.रमन सिंह ने बिलासपुर के पत्रकारों की जब तब जमकर तारीफ की है । इन सभी नेताओं से पत्रकारों ने हमेशा जनता से जुड़े सरोकार पर संवाद किया। संवाद का परिणाम भी आया। एसईसीएल, इंदिरा सेतु, एनटीपीसी, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, टेलीकाम नीति, दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन का तोहफा आज हमारे सामने है। जाहिर सी बात है कि पत्रकारों के सवाल तब भी जनता से जुड़े थे…शायद आज भी होते… ऐसे में  पत्रकारों को आमंत्रित ना कर जनता और गृहमंत्री के बीच भाजपाइयों को पर्दा डालने की जरूरत क्या थी।

                                            पत्रकारों को इन्ही नेताओं ने समाज और विकास का प्रहरी बताया है। विकास को लक्ष्य तक पहुंचाने में पत्रकारों की भी भूमिका है…ऐसा भाजपा नेता भी मानते हैं…। पत्रकारों से संवाद का सीधा अर्थ जनता से संवाद करना है…। बावजूद इसके आज जनता की आवाज को नहीं सुना गया…। खबर के प्यासे कई पत्रकारों को पर्दे के उस पार झांकने की इजाजत नहीं दी गयी…।..आखिर क्यों…शहर कल कहे कि भाजपाइयों ने जनता और सरकार के बीच पर्दा डालकर राजनाथ सिंह को अंधेरे में रखा…तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी…..।

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