भाजपा पार्षदों में फूट..वरिष्ठ नेताओं ने कहा..जब नेता प्रतिपक्ष उन्ही को बनाना था..तो रायशुमारी का नाटक क्यों..?

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— एक दिन पहले भाजपा कार्यालय में पार्षद दल नेता चुनाव के बाद दूसरे दिन ही  भाजपा पार्षदों में नाराजगी खुलकर सामने आने लगी है। नाम नहीं जाहिर करने की सूरत में कई भाजपा पार्षदों ने बताया कि जब नेता प्रतिपक्ष का चुनाव पूर्व निर्धारित था तो रायशुमारी का नाटक करने की जरूरत ही क्या थी। सच्चाई तो यह है कि कुछ लोगों ने नेतृत्व को हाइजैक कर कांग्रेस को वाक ओव्हर दिया है। 

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                 जानकारी हो कि एक दिन पहले यानि रविवार को चुनाव पर्यवेक्षक पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय की मौजूदगी में निगम नेता प्रतिपक्ष का चुनाव भाजपा कार्यालय में हुआ। नाम एलान के पहले प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने एक- एक कर सभी 32 पार्षदों के साथ बन्द कमरे में बातचीत की। ज्यादातर पार्षदों ने संभावित नेता प्रतिपक्ष को लेकर खुद को शामिल कर दो नाम बताए। रायशुमारी के बाद बैठक संबोधित करने के दौरान प्रेम प्रकाश पाण्डेय ने जब अशोक विधानी के नाम का एलान किया तो ..नाराज एक पार्षद बीच में ही बैठक को छोड़कर चला गया। बैठक से निकलते समय नाराज भाजपा पार्षद ने अपनी भ़़ड़ास को भी जाहिर कर दिया। इस दौरान बैठक में धरम,अमर, रजनीश,बांधी समेत अन्य कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। 

              कुछ वरिष्ठ भाजपा पार्षद नेताओं ने बताया कि नेता प्रतिपक्ष चुनाव में सिर्फ रायशुमारी का नाटक किया गया है। हमें दुख इस बात की है कि जब सब कुछ पहले से ही निश्चित था तो रायशुमारी का नाटक ही क्यों किया गया। हम पहले भी वरिष्ठ नेताओं की बात मानते थे..अब भी मान जाते। दरअसल नेता प्रतिपक्ष चुनाव में हमारे विचारों का ना केवल गला घोंटा गया है।  बल्कि हर बार की तरह इस बार भी हमें कमतर आंकने का षड़यंत्र किया गया है।

             कुछ पार्षदों ने बताया कि एक व्यक्ति दस साल सभापति रहता है। चुनाव में मेयर की दावेदारी करता है। प्रदेश अध्यक्ष की दावेदारी भी करता है। फिर उसी आदमी नेता प्रतिपक्ष के लिए चुन लिया जाता है। इसका अर्थ है कि उससे योग्य पार्टी में कोई दूसरा इंसान ही नहीं है।   

आए तो खुश होकर..लौटे मायूस होकर

                 सूत्रों की माने तो बंद कमरे में पार्षदों से अलग अलग रायशुमारी के दौरान सर्वाधिक लोगों ने भाजपा पार्षद राकेश सिंह का नाम लिया। लेकिन लोगों ने जब अशोक विधानी का नाम सुना तो काफी मायूस हो गए। मजेदार बात है कि  एक पार्षद ने त्वरित नाराजगी जाहिर करते हुए बैठक खत्म होने से पहले ही बैठक का बहिष्कार कर दिया। इतना ही नहीं जब स्वागत की बारी आयी तो सभी पार्षद विधानी का बिना स्वागत किए बैठक हाल से बाहर निकल गए। मात्र जिला अध्यक्ष ने ही पार्षद दल के नव नियुक्त नेता अशोक विधानी का माला पहनाकर स्वागत किया।

चले थे कांग्रेस को घेरने..पड़ गयी फूट

           दो पार्षदों ने बताया कि हमें घुट्टी पिलायी जा रही है कि कांग्रेस की करनी कथनी को उजागर करना है। निगम में कांग्रेस को घेरना है। ऐसा लग रहा है कि अब हम ही घिर गए हैं। पार्टी के नेताओं ने हमारे साथ छल किया है। 

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