भारत पर बनी फ़िल्म..चीन में सुपरहिट…;चीनी सरकार ने कहा..भारत से आयात करेंगे कैंसर की दवा…

BHASKAR MISHRA
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देश-विदेश–कैंसर की दवाएं भारत में सस्ती और असरदार होती हैं। कैंसर की दवाओं को लेकर चीन में बनी एक फिल्म इन दिनों धूम मचा रही है। सरकार ने भी फिल्म रीलिज होने के बाद एलान किया है कि कैंसर की दवाओं को लेकर भारत से आयात की शर्ता पर जल्द ही समझौता होगा। ताकि कैंसर से जूझ रहे महंगी दवाई खरीदने वालों को राहत मिले। वहीं चीन की जनता का भी मानना है कि भारत कैंसर की सबसे अच्छी और असरदार लेकिन सस्ती दवाई बनती हैं। बताते चलें कि फिल्म रीलिज होने के बाद चीन में  मेड इन इन्डिया की कैंसर इलाज में प्रयोग होने वाली दवाईयों का क्रेज कुछ ज्यादा ही बढ़ गया है। फिल्म में की स्टोरी कैंसर की दवा,भारत और चीन को लेकर बनी है।  तीन चीजों के इर्दगिर्द घूमती यह फ़िल्म चीन में जबरदस्त हिट हो गई है।

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                     फ़िल्म का हिट होना चीन समेत दुनिया के कई लोगों को हैरान भी कर रहा है। लेकिन सच है कि चीन में कैंसर की महंगी दवाओं के कारण आम लोगों की परेशानी कुछ ज्यादा है। जिसे फिल्म में बखूबी से दिखाया भी गया है। फिल्म रीलिज होने के बाद जाहिर हो गया है कि भारतीय दवाइयों पर चीनी लोगों की निर्भरता बहुत ही ज्यादा है। अब तो सरकार ने भी महसूस कर लिया है।

                         कैंसर रोगी पर बनी चीनी फिल्म डाइंग टू सर्ववाइव. डलास बायर्स क्लब’ की रीमेक है। फ़िल्म का नाम एक कैंसर रोगी पर बनी है। जो भारत से सस्ती दवाएं ख़रीदने के लिए गिरफ़्तार होने तक का जोख़िम उठाता है। यह फिल्म 6 जुलाई को रिलीज हुई थी। फिल्म कैंसर के एक मरीज लू योंग की असल ज़िंदगी पर बनी है। लू पूर्वी जिआंगसू प्रांत के एक टेक्स्टाइल व्यापारी हैं। उन्हें क्रॉनिक मेलॉइड ल्यूकेमिया (कैंसर का एक प्रकार) है। उन्हें चीन में कैंसर के मरीजों को भारत से नकली दवाइयां बेचने के आरोप में 2013 में गिरफ़्तार किया गया था। दो साल बाद लू को साल 2015 में रिहा भी कर दिया गया था। लू ने इस जेनरिक दवाई से सैकड़ों मरीजों की मदद की थी। ये दवाई भारत की नेटको फार्मा कंपनी बनाती है।

भारत के साथ समझौता

कैंसर की महंगी दवाइयों से राहत के लिए चीन कई तरह के क़दम भी उठा रहा है। फ़िल्म रिलीज़ होने के बाद चीन ने 9 जुलाई को कहा था कि भारत के साथ दवाइयों और ख़ासकर कैंसर रोधी दवाइयों के आयात को लेकर समझौता हुआ है। इससे पहले मई में कुछ कैंसर रोधी दवाइयों के आयात पर टैरिफ़ भी हटाया गया था। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन विदेशी फार्मा कंपनियों के साथ भी दवाइयों की क़ीमत कम करने को लेकर बातचीत करने वाला है। हाल के सालों में, चीन ने देश में निर्मित जेनरिक दवाओं के ज़्यादा सुरक्षित और सस्ता बनाने को मंजूरी देने में तेजी ला रहा है।

भारतीय दवाइयां ज़्यादा प्रचलित

                 साइंस और टेक्नोलॉजी की सरकारी अख़बार ने लिखा है कि कुछ मरीजों को जेनरिक दवाओं को लेकर चिंताएं हैं। चीन की घरेलू दवा बनाने वाली कंपनियां कम मुनाफ़े के चलते इन दवाइयों को बनाने से बचती हैं। अख़बार के अनुसार एक समस्या और है कि जिन अस्पतालों के पास फंड की कमी होती वे लोग अपनी लागत पूरी करने के लिए दवाओं को महंगे दामों पर बेचते हैं।

                          ‘ग्लोबल टाइम्स’ अख़बार के मुताबिक चीन में मिलने वाली भारतीय दवाओं में ज़्यादातर कैंसर रोधी दवाइयां हैं।  ये दवाइयां ज़्यादा असरदार होने के कारण चीन की स्वेदश निर्मित दवाइयों से अधिक प्रचलित हैं। अख़बार में लिखा गया है कि चीन में एजेंट्स भारतीय जेनरिक दवाएं बेच रहे हैं। जो चीन के सर्च इंजन बेडु और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म टाओबो पर आसानी से मिल जाती हैं।

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