मई दिवस पर विशाल सम्मेलन…मजदूरों का हुआ सम्मान

BHASKAR MISHRA
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IMG_3284IMG_3290    बिलासपुर–अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर टिकरापारा स्थित गुजराती समाज भवन में रेलवे कामगार मजदूर यूनियन ट्रक मालिक संघ, नया माल गोदाम,रेलवे जोन क्षेत्र के मजदूरों का विशाल सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर असंगठित क्षेत्र के मजदूर और वर्तमान कानून विषय पर गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। सांसद लखनलाल साहू की अनुपस्थिति में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बेनी गुप्ता कांग्रेस नेता अटल श्रीवास्तव ने की। गोष्ठी के विषय वस्तु पर श्रम अधिकारी दीपक पाण्डेय, वरिष्ट पत्रकार सीजी वाल प्रमुख संपादक अवस्थी और मनोज सिंह बघेल ने अपने विचार रखे।

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                          कार्यक्रम के प्रारंभ में उपस्थित कामगारों के सामने अतिथियों का फूल माला और बुके के साथ सम्मान किया गया। विचार गोष्ठी के निर्धारित विषय पर प्रकाश डालते हुए सीजी वाल संपादक रूद्र अवस्थी ने कहा कि हो सकता है कि पलायन कुछ की नजर में अच्छा ना हो लेकिन बहुत मायने में यह IMG_3291अच्छा भी है। इससे संस्कृतियों और दक्षता का आदान प्रदान होता है। रूद्र अवस्थी ने कहा कि सदियों से समाज में मजदूरों का हमेशा महत्व रहा है। यदि नही रहा है तो सम्मान। मजदूरों के साथ हमेंशा से दोयम स्तर का व्यवहार किया जाता रहा है। समय के साथ बहुत कुछ बदलाव आया है लेकिन अभी भी नाकाफी है। छत्तीसगढ़िया मजदूरों की काबलियत पर प्रकाश डालते हुए अवस्थी ने कहा कि समूचा हिन्दुस्तान छत्तीसगढ़िया मजदूरों की हुनर का तारीफ करता है। चाहे वह ईंट निर्माण के क्षेत्र में हो या फिर हस्तकला के विधा में हो। भवन निर्माण से लेकर दस्तकारी में उसकी सानी नहीं है। यदि नहीं है तो उसका सम्मान और कला की कीमत। इस भेद को दूर करने की जरूरत है। मजदूर नहीं होगा तो दुनिया का वैभव भी नहीं रहेगा। सरकार ने कानून तो बहुत बनाये हैं, लेकिन परिपालन की जवाबदारी जिन हाथों में है, उन पर अंकुश नहीं है। मजदूरों का सम्मान नहीं है। पलायान  छत्तीसगढ़ की पीड़ा है। छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि देश के सभी मजदूरों को सम्मान मिलना चाहिए। चाहे वह जहां भी जाए।

                              जिले के श्रम अधिकारी दीपक पाण्डेय ने संगठित और असंगठित मजदूरों पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि संगठितIMG_3293 क्षेत्र का मजदूर अपनी लड़ाई लड़ लेता है, क्योंकि वह निश्चित व्यवस्था और सिस्टम के अनुसार काम करता है। असंगठित मजदूरों के साथ ऐसा नहीं है। इसलिए सरकार ने उनके हितों को ध्यान में रखते हुए श्रम कानून में असंगठित मजदूरों के लिए बहुत अवसर दिये हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में छ.ग. कर्मकार अधिनियम लागू है। इस अधिनियम के तहत 73 प्रकार के श्रमिकों की पहचान की गयी है। समय समय पर अधिनियम के तहत असंगठित मजदूरों को इसका लाभ भी मिलता है। पाण्डेय ने बताया कि स्वालम्बी मजदूर भी इस अधिनियम के दायरे में आता है। उसकी कुछ निश्चित परिभाषा है।  लेकिन जानकारी नहीं होने के कारण लाभ लेने वालों से कहीं ज्यादा कामगार अपने कानूनी अधिकार से वंचित हो जाते हैं। इसके लिए सिर्फ सिस्टम ही नहीं बल्कि ज्यादातर हितग्राही ही जिम्मेदार है।

               दीपक पाण़्डे ने बताया कि प्रदेश सरकार ने मजदूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए कई प्रकार के कानून बनाए हैं। चाहे मजदूर संगठित हो या असंगठित सबके हितों का ध्यान कानून में रखा गया है। शादी व्याह से लेकर जीवन मरण तक सभी जगह कानून में मजदूरों की चिंता गयी है। उन्होने बताया कि बढ़ई का लड़का अखिलेश कश्यप ने वह काम किया जो बड़े से बड़ा धुरंदर नहीं कर सकता है। आज वह प्रदेश का नाम नागपुर में रहकर देश में रोशन कर रहा है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई में उसे सरकार लगातार आर्थिक सहयोग कर रही है। अखिलेश जैसी प्रतिभा को ध्यान में रखते हुए सरकार ने गरीब, असंगठित और संगठित मजदूर और उनके बच्चों के लिए विशेष कानून बनाया है। इसका श्रेय यदि किसी को जाता है तो केवल अखिलेश को। पाण्डेय ने कहा कि अपने अधिकारों को पाने के लिए मजदूरों को पंजीयन कराना बहुत जरूरी है। तभी अधिनियम का लाभ आसानी से मिलेगा। दीपक पाण्डेय ने मजदूरों के हितों और कानूनी पेचीदिकियों को सरलता के साथ उपस्थित कामगारों के सामने रखा।

                         वरिष्ठ पत्रकार IMG_20160501_132546मनोज सिंह बघेल ने छत्तीसगढ़ के श्रम कानूनों की व्याख्या करते हुए कहा कि हम पत्रकार भी मजदूर की श्रेणी में आते हैं। समाज के कार्यों और पत्रकारिता के कार्यों में वर्तमान कानूनों को सही ढंग से लागू करने की जरूरत है। बघेल ने कहा कि बहुत किया जा रहा है। लेकिन अभी बहुत कुछ किये जाने की जरूरत है। तभी मजदूर और उनकी प्रतिभा का सम्मान संभव होगा।

                        कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बेनी गुप्ता ने मई दिवस की बधाई देते हुए कहा कि समाज में हमेशा से श्रम की महत्ता रही है। IMG_3276मजदूरों की काबिलियत ने ही ताजमहल को दुनिया का सातवां आष्चर्य के रूप में स्थापित किया। उसकी खुबसुरती बताती है कि मजदूरों और कारीगरों ने कितनी मेहनत की है। दुःखद का विषय है कि ताजमहल बनने के बाद कारीगरों और मजदूरों के हाथ काट दिये गये थे। आज भी स्थितियां कमोबेश वैसे ही है। श्रमिकों के साथ समाज का हर वर्ग र्दुव्यवहार कर रहा है। इससे लड़ने का एकमात्र उपाय है कि जगह-जगह काम करने वाले असंगठित मजदूर संगठित होकर अपनी आवाज को बुलंद करें। उन्होंने बताया कि रेलवे कामगार मजदूर यूनियन के बैनर तले काम करने वाले सभी मजदूर संगठित रहकर अपनी लड़ाई लड़ते हैं। एक-दूसरे का सहयोग करते हैं। ट्रक मालिक और मजदूर मिलकर मई दिवस मना रहे हैं, यहीं उनकी एकता की मिसाल है।

                         कार्यक्रम के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने छत्तीसगढ़ में बनाये गये श्रम कानून पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कानून तो बहुत बनाये गये हैं। लेकिन अधिकारी उसका पालन नहीं करते हैं। किसान, मजदूर, छत्तीसगढ़ शासन के रवैये से त्रस्त है। इसलिए सिस्टम में सुधार आज की सबसे बड़ी जरूरत है। क्योंकि कानून अच्छा बना देने मात्र से मजदूरों को हक नहीं मिल जाता है। इसके लिए सिस्टम में सुधार के साथ ही प्रचार प्रसार की भी जरूरत है। उन्होने कहा कि व्यूरोक्रेसी की बाधा को हटाने की जरूरत है। जरूरत कानूनों के सरलीकरम की भी है। उन्होने कहा कि रेलवे कामगार मजदूर यूनियन ने सम्मेलन में आज जिन भी मुद्दों को उठाया उनका ना केवल हम समर्थन करते हैं बल्कि उनकी लड़ाई में हम कदम से कदम मिलाकर चलेंगे।

                         कामगार सम्मेलन को कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र शुक्ला, महेष दुबे,शेख नजरूद्दीन, रामसिंह यादव, अभय नारायण राय, शत्रुहन रात्रे, अशोकक डहरिया, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मजदूर नेता रवि बेनर्जी ने भी संबोधित किया।

                                      कार्यक्रम में रेलवे कामगार मजदूर यूनियन के  सियाराम यादव को उत्कृष्ट कार्य और सेवानिवृत पर  20000/- आर्थिक सहायता यूनियन ने दिया। बिलासपुर डोंगरगढ़ व्हाया मुंगेली रेल लाईन के मांग के लिए सायकल यात्रा करने वाले साथियों का भी सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन गोपाल ठक्कर और स्वागत भाषण अभय नारायण राय ने किया। आभार प्रदर्षन अषोक डहरिया ने किया।  महासचिव उबारन कुर्रे एवं सचिव शत्रुहन रात्रे ने यूनियन का साल भर का लेखा-जोखा और गतिविधियों की जानकारी दी।  कार्यक्रम में सतनाम गांधी, विनोद, मायादास मानिकपुरी, मोहम्मद, राजेष राजू धनवा, परस कोसले, षिव रजक, हरविंदर सिंह काला, विनोद गुप्ता, हाजी गुलाम मोहम्मद, टोपू लाल, राजकुमार साहू, राजकुमार पाटले, तोरण गेंदले, मेहत्तर मनहर, रामकुमार कौषिक, षिव कुमार, राजेष कैवत्र्य, रामकुमार धुरी आदि उपस्थित थे।

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