बिलासपुर—केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री सुदर्शन भगत ने बिलासपुर स्थित तोरवा में हाईजेनिक फिश मार्केट का लोकार्पण किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कृषि, पशुपालन, मछली पालन एवं जल संसाधन मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने की। भगत ने कहा कि देश में मछली के बेहतर उत्पादन के साथ गुणवत्तापूर्ण बीज और खाद के लिए अनुसंधान कार्य किया जा रहा है। इससे मछली पालकों और व्यवसायियों को लाभ मिलेगा।
केन्द्रीय कृषि राज्य मंत्री भगत ने कहा कि क्षेत्र के किसान परंपरागत ढंग से वर्षों से खेती करते आ रहे हैं। पशुपालन एवं मछली पालन व्यवसाय इससे जुड़ा है। कृषि वैज्ञानिक बेहतर उत्पादन के लिए गुणवत्तायुक्त बीज और खाद के लिए लगातार अनुसंधान कार्य में जुटे हुए हैं।किसानों को गुणवत्तायुक्त बीज और खाद उपलब्ध कराया जा सके। यहां बेहतर स्वच्छ मछली बाजार का निर्माण किया गया है।मछली पालकों और व्यवसायियों को लाभ मिलेगा। लगभग एक करोड़ 5 लाख रूपये की लागत से कोल्ड स्टोरेज का निर्माण किया गया है। मछलियों को सुरक्षित रखा जा सकता है। चिल्हर मार्केट की भी सुविधा है। भगत ने कहा कि मछली उत्पादन के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ ने अपनी पहचान बनाई है।
हाईजेनिक मछली बाजार
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि बिलासपुर में व्यवस्थित हाईजेनिक मछली बाजार बन गया है। मछली पालकों को सुविधा मिलेगी। कोल्ड स्टोरेज भी बन गया है और 28 चिल्हर दुकान भी है। मछली पालकों को 50 प्रतिशत अनुदान पर मोटर सायकल एवं सायकल भी दिया जा रहा है।छत्तीसगढ़ में केज कल्चर मछली पालन की शुरूआत हुई है। जिसे देखने के लिए लोग बाहर से आ रहे हैं।
उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बृजमोहन ने कहा कि यहां का पानी स्वच्छ है, मत्स्य बीज भी गुणवत्तायुक्त मिलता है। मत्स्य बीज उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ आत्मनिर्भर हो गया है।क्षेत्र के किसान खेती के साथ पशुपालन, मछली पालन, साग-सब्जी, फल-फूल फसलों को अपनाएं।
कार्यक्रम को सांसद श्री लखनलाल साहू ने भी संबोधित किया। कृषि सचिव अनुप श्रीवास्तव ने कहा कि छत्तीसगढ़ में मत्स्य पालन की अपार संभावनाएं हैं। पहले पश्चिम बंगाल एवं आंध्रप्रदेश से बीज मंगाते थे, अब छत्तीसगढ़ स्वयं मत्स्य बीज उत्पादन करने लगा है।श्रीवास्तव ने कहा कि नीलक्रांति योजना के तहत् मत्स्य पालकों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है।
कार्यक्रम में 8-8 मत्स्य पालकों को मोटर सायकल और सायकल 50 प्रतिशत अनुदान पर वितरित किया गया। आईस बाॅक्स भी बांटे गए।मत्स्य पालकों को जाल एवं मत्स्य चारा भी दिया गया।