मनरेगा में अब 150 दिन के जगह 200 दिनों का काम

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kisaan_ramanरायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के सूखा प्रभावित किसानों और खेतिहर श्रमिकों को राहत पहुंचाने के लिए आज यहां कई महत्वपूर्ण अतिरिक्त उपायों की घोषणा की। उन्होंने इस बारे में विधानसभा में विस्तार से वक्तव्य दिया और उसके बाद सदन के बाहर विधानसभा परिसर में भी इस संबंध में जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि और किसान हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। सूखे के संकट की इस घड़ी में सरकार किसानों के साथ खड़ी है और उनके हित में हर वो उपाय करने के लिए कटिबद्ध है, जो उनके लिए हितकारी हों

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                                          मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश के अन्नदाता किसानों को सूखे के दुष्प्रभाव से बचाने और राहत देने के लिए की गयी।(1) राज्य के सभी सूखा प्रभावित किसानों के खरीफ 2015 के अल्पकालीन कृषि ऋणों को ब्याज रहित मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तन की सुविधा दी जाएगी, अथवा उन्हें आंशिक ऋण माफी के विकल्प दिए जाएंगे। लगभग पांच लाख किसान परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को 37 पैसे आनावारी तक के अधिक सूखा प्रभावित गांवों में ऋण परिवर्तन पर इस वर्ष 2015-16 में 30 प्रतिशत, अगले वर्ष 2016-17 में 50 प्रतिशत और वर्ष 2017-18 में 20 प्रतिशत वार्षिक ब्याज रहित किश्तों में भुगतान की सुविधा मिलेगी। शेष गांवों में दो बराबर ब्याज रहित किश्तों में दो वर्ष में भुगतान किया जा सकेगा। विकल्प में 75 प्रतिशत ऋण जमा करने की दशा में 25 प्रतिशत ऋण माफ किया जाएगा। (2) मनरेगा योजना के तहत सूखा प्रभावित तहसीलों में 150 दिन के स्थान पर 200 दिनों तक रोजगार दिया जाएगा।

                                 डॉ.रमन सिंह ने सदन के बाहर विधानसभा परिसर में बताया कि उनके द्वारा आज की गयी घोषणाओं पर अधिकारियों को तत्परता से अमल शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। डॉ. सिंह ने बताया कि सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लगभग पांच लाख किसानों को उनके अल्पकालीन कृषि ऋणों को  ब्याज मुक्त मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तन की सुविधा मिलेगी। विकल्प के रूप में 75 प्रतिशत भुगतान करने पर शेष ऋण माफ कर दिया जाएगा। इससे सभी किसानों को आगामी वर्ष में अल्पकालीन कृषि ऋण प्राप्त हो सकेगा। मुख्यमंत्री ने सदन के बाहर यह भी बताया कि प्रदेश के सूखाग्रस्त क्षेत्रों के किसानों के लगभग 800 करोड़ रूपए के अल्पकालीन ऋ़णों को मध्यकालीन ऋणों में परिवर्तन किए जाने का अनुमान है। उन्होंने यह भी बताया कि ऋण परिवर्तन/छूट में लगभग 300 करोड़ रूपए की धनराशि राज्य शासन द्वारा वहन की जाएगी। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ संभवतः देश का पहला राज्य है, जहां सूखा प्रभावित क्षेत्रों में श्रमिकों को मनरेगा के तहत 150 दिन के स्थान पर अब 200 दिनों का रोजगार दिया जाएगा।

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