बिलासपुर— छत्तीसगढ़ सरकार शराब बेचेगी। घोषणा के बाद एक्टिविस्ट ममता शर्मा की याचिका पर हाईकार्ट ने आज सुनवाई करते हुए सरकार को 21 मार्च तक अपना पक्ष रखने को कहा है।
मालूम हो कि सरकार की नई शराब नीति के खिलाफ सामाजसेवी ममता शर्मा ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकार्ता ने छत्तीसगढ़ शासन की नई शराब नीति को संविधान की भावना के खिलाफ बताया है। ममता शर्मा के अनुसार सरकार ने संविधान का उल्लंघन किया है। संविधान के अनुसार सरकार सामाज सेवा और स्वास्थ्य सेवाओ को ध्यान में रखकर जनहित में काम करेगी। लेकिन नई शराब नीति में ऐसा कुछ नहीं है।
नई नीति में धारा 47 का पालन नही किया गया है। सरकार ने कार्पोरेशन गठन का फैसला किया है। लेकिन स्पष्ट नही है कि शऱाब बिक्री में कार्पोरेशन की भूमिका क्या होगी।
ममता शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट डबलबेंच जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और संजय अग्रवाल ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 21 फरवरी को पक्ष रखने को कहा। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाधिवक्ता से भी सवाल जवाब किया। महाधिवक्ता के जवाव से नाराज हाईकोर्ट ने जमकर फटकारा। कोर्ट ने कहा कि क्या सरकार व्यापारिक नीति पर काम करेगी।
ममता ने पत्रकारों को बताया कि शराब के कारण अपराध और दुर्घटना का ग्राफ तेजी से बढ़ा है। हाईकोर्ट केरल ने भी अपने आदेश में कहा है कि शराब पिलाना मौलिक अधिकार नही है। जब लोग शराबबंदी की मांग हो रहे है तो छत्तीसगढ़ शासन को शराब परोशने की क्या जरूरत है। ममता ने बताया कि आजादी के बाद से शराब का औद्योगिकीकरण हुआ है।
ममता के अनुसार शराब बिक्री के विरोध में हाईवे से शराब दुकान हटाने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। कोर्ट के आदेश के बाद राजमार्ग और राष्ट्रीय मार्गों से शराब दुकान हटाए जा रहे हैं। लेकिन राज्य शासन की हाल फिलहाल शराबनीति में निगम को दस हजार रुपये देने के साथ नई दुकानें बनाकर शराब बचेने को कहा गया है। लेकिन स्पष्ट नही है कि शराब की बिक्री किस तरह होगी।