रायगढ़। रायगढ़ में चल रहे चक्रधर समारोह की तीसरे दिन में छत्तीसगढ़ की सुप्रसिद्ध गायिका पद्मश्री ममता चंद्राकर और उनकी टीम द्वारा प्रस्तुत छत्तीसगढ़ी लोकरंग साथ ही कत्थक जयपुर घराने के विख्यात कलाकार सुश्री विधा लाल एवं अभिमन्यु लाल की मोहक प्रस्तुति रही। स्थानीय रामलीला मैदान में चक्रधर समारोह में कत्थक, तबला वादन एवं फ्यूजन, कत्थक रायगढ़ घराने की प्रस्तुतियों से यादगार बन गई।
कार्यक्रम मे पदमश्री ममता चंद्राकर ने एवं उनकी टीम ने लोकरंग की रंगारंग प्रस्तुति देकर देर रात तक दर्शकों को बांधे रखा। इस अवसर पर अरपा पैरी के धार, गड़हा ददरिया पानी रे आये पवन संग में…तोर मन कइसे लागे.. मोला मोही डारे…जैसी छत्तीसगढ़ी गीत नृत्य ने समां बांध दिया। करमा गीत की मोहक प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया, वहीं खड़े साज की प्रस्तुति ने दर्शको हंसाया।साथ ही विधा एवं अभिमन्यु लाल ने कत्थक के जयपुर घरानें की प्रस्तुति से सुरभि बिखेरी। डमरू घर-घर बाजे…गीत पर शिव स्तुति पर नृत्य की अनोखी लयकारी नृत्य प्रस्तुत किया।
चक्रधर समारोह की शुरूआत रायगढ़ घराने की कलाकार आंचल पांडे ने की। इस मौके पर रामलाल द्वारा निर्देशित समूह नृत्य को दर्शकों ने सराहा। समूह नृत्य में मोहक तराना नृत्य से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं अनुराधा पाल एवं उनकी टीम द्वारा स्त्री शक्ति ताल वाद्य कचहरी की सशक्त प्रस्तुति दी गई। दर्शकों ने तालियां बजाकर उनकी हौसला आफजाई की। विविध वाद्यों में पारंगत अनुराधा पाल एवं उनकी टीम ने हिन्दुस्तानी, कर्नाटक एवं लोक संगीत का अनोखा सम्मिश्रण (फ्यूजन) पेश किया।
तबला, खंजीरा, घटम एवं वायलिन की धुन एवं थाप पर दर्शक झूमने को मजबूर हो गए। उन्होंने गणेश वंदना एवं दुर्गा वंदना करते हुए स्त्री के सभी रूपों के गीतों में पिरोकर वाद्ययंत्रों के जरिए अमिट प्रस्तुति दी। वहीं महाराजा चक्रधर की बंदिशे भी पेश की। उन्होंने दल बादल परम, शंख ध्वनि, मां बेटी के बीच नोंक-झोंक, ट्रेन की आवाज आदि को बेहतरीन ढंग से तबले की जुगलबंदी में पेश किया।