साफ – सुथरी फिल्म मया-2 में हैं माटी की खुशबू का अहसास

BHASKAR MISHRA
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IMG-20151112-WA0019बिलासपुर—राजधानी रायपुर सहित प्रदेश़ के कई जिलों में  राज्य की पहली सीक्वल फिल्म मया-2 को दर्शकों का खूब प्यार मिल रहा है। प्रदेश के कई जिलों में एक साथ प्रदर्शित फिल्म मया-2 सभी वर्गों का दिलों को जीत रही है पारिवारिक और साफ.सुथरी फिल्मों को लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं।

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                  साल  2009 में रीलीज हुई मया-2 प्रदेश की पहली पारीवारिक फिल्म थी जिसने इतिहास भी रचा है। फिल्म को प्रदेश का आखिरी सिल्वर जुबली फिल्म होने गौरव भी हासिल है। मया -2 फिल्म का निर्माण अभिनेता प्रकाश अवस्थी, अमित चौधरी,  ललित अग्रवाल और अशोक मालू ने किया है। पांच साल बाद लोगों के सामने आयी फिल्म में मेहनत साफ दिखाई देती है। फिल्म का गीत लोगों के दिल को छूने वाला है। संगीत पक्ष माटी की खुश्बू का अहसास कराता है। गीत और कहानी के बीच का तालमेल फिल्म को सुपरहिट की दिशा में ले जाता हुआ दिखाई देता है।

                     शूरू से अंत तक दर्शकों को फिल्म बांधकर रखती है। गाने दिल को छू लेने वाले हैं। कहानी और किरदार आसपास की घटनाओं से परचित कराते हैं। जिसके कारण करीब तीन घंटा तक दर्शक अपने आप को घर से दूर घर में पाते हैं। फिल्म के जरिए परिवार की एकता, सामाजिक सौहार्द के महत्व को बेहतर तरीके से पेश किया गया है।

               फिल्म में छत्तीसगढ़ की संस्कृति और कला की सोंधी खुश्बू आती है। साथ ही फूहड़ता से दूर मनोरंजन का अनूठा प्रयोग मन को बाग बाग कर देता है।  रोज की दिनचर्या में शुमार घटनाओं को फिल्म में बहुत ही संजीदगी के साथ पेश किया गया है। कई दृश्य आंखों को नम कर देती हैं। ऐसे दृश्य हमें संयुक्त परिवार की ओर ले जाते हुए दिखाई देते है। जो आंचलिक फिल्मों में कहीं दिखाई नहीं देता।

IMG-20151112-WA0011                    तीन घंटे बाद दर्शकों के चेहरे देखने और आपसी बातचीत के बाद अहसास होता है कि एकता ही हमारी संस्कृति की विशेषता है। जब तक परिवार और उसके सदस्य एक नहीं होंगे तब तक विकास और सद्भावना की बातें बेमानी हैं। पूरी फिल्म देखने के बाद दर्शकों ने जमकर सराहा है। परिवार की एकता और सौहार्द का संदेश देने वाली यह फिल्म मया का रिकार्ड तोड़ दे तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

              फिल्म का संपादन बेहतर है। अमूमन आंचलिक फिल्मों में इसकी भारी कमी देखी जाती है। प्रकाश अवस्थी अच्छे कहानीकार और पटकथा लेखन के साथ उम्दा निर्देशक भी है फिल्म देखने के बाद अपने आप जाहिर हो जाता है। छत्तीसगढ़ सिल्वर स्क्रीन के सुपर स्टार है यह तो सभी को मालूम है। फिल्म के सभी गीत ना केवल अच्छे बल्कि माटी की खुश्बू का अहसास कराते हैं।

                             गीतकार  रामेश्वर वैष्णव और कुबेर गितपरिहा का कोई जवाब नहीं। सुनील सोनी का संगीत कान में मधुरस घोलने का अहसासा कराता है। सुनील सोनी, अलका चंद्राकर और मिथलेश साहू ने गायकी के साथ न्याय किया है। इसमें कोई शक नहीं है। निशांत उपाध्याय, दिलीप बैस, चंदन दीप का नृत्य निर्देश भी ठीक है। बम्बईया फिल्म से यदि तुलना करें तो तोरण राजपूत और सिद्धार्थ राजपूत ने कैमरे पर कमाल किया है।

              फिल्म के प्रमुख कलाकार  प्रकाश अवस्थी का कोई जवाब नहीं, लेकिन रिजवाना, शिखा चिताम्बरे, राजेश अवस्थी, उपासना वैष्णव, पुष्पांजलि शर्मा, सलीम अंसारी काशी नायक ललित उपाध्याय  जॉनसन अरुण, उर्वशी साहू डॉ. अजय सहाय बेबी अनीशा मनोज दीप गज्जू मास्टर प्राशू अवस्थी, राजेश चंद्राकर शिव कुमार दीपक बोचकु निषाद ने भी  अपने किरदार के साथ न्याय किया है।

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