मरकाम हद में होकर करें बयान…कल तक साष्टांग होकर मांगा टिकट…उप-चु्नाव में कर दूंगा जमानत जब्त

BHASKAR MISHRA
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रायपुर—पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को आमने सामने आकर चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। पार्टी कार्यालय से जारी प्रेस नोट में  बहअजीत जोगी ने आक्रोश जाहिर किया है कि मेरे विषय में पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ने असंवैधानिक, अवैधानिक और आधारहीन टिप्पणी की है। स्मरण दिलाना चाहता हूं कि कभी टिकट के टिकट के लिए मेरे सामने साष्टांग हुआ करते थे। तारीफ की पुल बांधकर खुश करने का प्रयास किया करते थे। शायद मोहन मरकाम इस बात को अभी भूले नहीं होंगे।

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                                 पीसीसी चीफ मोहन मरकाम को पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कि एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने की चुनौती दी है। जोगी ने प्रेस नोट जारी कर बताया है कि मरकाम को खिलाफ में बयान देने से पहले नाप तौल कर लेना चाहिए। उन्हें शायद नहीं मालूम कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्षों राजीव गांधी,सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने मुझे केवल मरवाही और छत्तीसगढ़ का ही नहीं बल्कि पूरे भारत का आदिवासी नेता माना है। लगभग 15 वर्षों तक लगातार कांग्रेस के आदिवासी विभाग का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया।

               जोगी ने बताया कि मोहन मरकाम कांग्रेस में अपेक्षाकृत नये हैं। शायद कांग्रेस इतिहास की जानकारी नही है। मरकाम ने मेरे खिलाफ असंवैधानिक और अमर्यादित टिप्पणी कर मरवाही की आदिवासी जनता का अपमान किया है। मरवाही की जनता ने तीन बार सर्वाधिक मतों से जिताया। चौथी बार भी विपक्ष में सर्वाधिक मतों से विजयी बनाया। कांग्रेस की जमानत जब्त भी हुई।

                 जोगी ने चुनौती देते हुए कहा कि मोहन मरकाम कोण्डगांव से बाहर निकलकर जोगीसार और मरवाही जाकर मेरे बारे में पता लगाए। उनकी आखें खुल जाएंगी। चुनौती देता हूं कि कोण्डागांव या मरवाही से मरकाम और मैं..इस्तीफा देकर चुनाव लड़ते हैं। मैं मरवाही एक दिन भी नहीं जाऊंगा ..पिर भी मेरी रिकार्ड मतो से जीत निश्चित है। यदि हिम्मत है तो इस्तीफा देकर कोण्डागांव के आदिवासियों का विश्वास जीतकर दिखाये।

                           जोगी ने बताया कि मरवाही में उपचुनाव हुआ तो फिर से कांग्रेस की जमानत जब्त होगी। यदि मैंने उपचुनाव में प्रचार किया तो जमानत भी जब्त हो जाएगी। हम सभी को अपनी सीमा समझना चाहिये।  मरकाम को भी अपनी सीमा में रहकर बयान देना चाहिये। शायद वह दिन भूल गये कि जब कोण्डागांव के बुजुर्ग नेता तरसेम सिंह गिल के साथ टिकट के चक्कर में मेरे सामने सैकड़ो बार साष्टांग हुए हैं। मेरी तारीफ के पुल बांधते हुये थकते नहीं थे।

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