मरवाही उपचुनाव की तैयारी के बीच नई सियासी हलचल शुरू,यहां कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद बुलानी पड़ गई पुलिस

Chief Editor
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(रुद्र अवस्थी)लगता है कि आने वाले महीनों में छत्तीसगढ़ के इस हिस्से में भी चुनावी घमासान देखने को मिलेगा । पिछले समय से चर्चित रही मरवाही विधानसभा सीट में विधानसभा चुनाव कराए जाने के संकेत मिल रहे हैं । हालांकि कोरोना की वजह से उपचुनाव को लेकर उहापोह की स्थिति रही है । लेकिन हाल ही में चुनाव आयोग ने जिस तरह चुनाव कराने के लिए नई गाइडलाइन जारी की है, उसके मद्देनजर माना जा रहा है कि देश के दूसरे हिस्सों में विधानसभा चुनाव और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में विधानसभा की खाली सीटों के लिए उपचुनाव का ऐलान होता है तो संग ही संग मरवाही में भी विधानसभा के उपचुनाव का ऐलान हो सकता है । मरवाही विधानसभा सीट पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद खाली हुई है । यहां उपचुनाव को लेकर पिछले कुछ समय से सरगर्मी भी शुरू हो गई है । प्रदेश में सरकार चला रही कांग्रेस पार्टी इस बार जोगी परिवार से यह सीट वापस लेने की पूरी तैयारी में है ।

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सरकार की ओर से हाल ही में की गई घोषणाओं को देखकर लगता है कि कांग्रेस विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है । उधर 2013 में मरवाही के विधायक रह चुके अमित जोगी की भी दावेदारी स्वाभाविक रूप से मानी जा रही है । उनकी ओर से कोटा विधायक डॉ. रेणु जोगी का संपर्क अभियान शुरू होने की खबरें भी आने लगी हैं । जो गांव – गांव में प्रमुख लोगों से मिलकर चुनावी तैयारी में जुट गई हैं । भाजपा भी इस तैयारी में पीछे नहीं है । प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष विष्णु देव साय भी हाल ही में मरवाही इलाके के दौरे पर पहुंचे । उन्होंने दावा किया है कि बीजेपी यह सीट जीतने के लिए चुनाव मैदान में उतरेगी। जाहिर सी बात है कि मुक़ाबले की तस्वीर चुनाव के समय मे ही सामने आ सकेगी । लेकिन फिलहाल तीन कोने वाला मुकाबला समझ में आ रहा है और यह भी कहा जा सकता है कि जब भी चुनाव होंगे तो मुकाबले की तस्वीर काफी दिलचस्प होगी…।

खंडपीठ पर बयान से नई सियासी हलचल…..
मरवाही विधानसभा सीट के उपचुनाव जब भी होंगे ,जोगी परिवार की दावेदारी पक्की मानी जा रही है । लेकिन इस बीच डॉ रेणु जोगी के एक बयान से हलचल शुरू हो गई है । यह बयान छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की खंडपीठ को लेकर है । जिसमें कहा गया है कि डॉ रेणु जोगी रायपुर सहित बस्तर और सरगुजा में खंडपीठ खोलने के लिए विधानसभा में संकल्प लाने की तैयारी कर रही हैं । इधर उनके इस बयान पर प्रतिक्रिया भी शुरू हो गई है । बिलासपुर में वकीलों ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि मैडम जोगी का बयान छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के समय बनी सहमति के को बिगाड़ने की कोशिश है । राज्य निर्माण के समय सभी ने मिलजुल कर तय किया था कि रायपुर में राजधानी बनेगी और न्यायधानी के रूप में बिलासपुर की पहचान बनेगी । इस आधार पर हाई कोर्ट स्थापित किया गया है । मैडम जोगी के बयान का विरोध करने वालों की एक दलील यह भी है कि यदि खंडपीठ बनाना जरूरी समझा जा रहा हो तो छत्तीसगढ़ में कुछ स्थानों पर उपराजधानी बनाने की मांग भी उठेगी । क्योंकि हाईकोर्ट से ज्यादा जरूरत अन्य विभागों के कामकाज को लेकर पड़ती है और इसमें भी दूरी की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । यह नया विवाद आने वाले दिनों में किस दिशा में जाएगा …..यह कहना अभी कठिन है । लेकिन बहस आगे बढ़ती है तो सियासत करने वालों को एक मुद्दा जरूर मिल जाएगा और मरवाही उपचुनाव में भी इसकी झलक मिले तो हैरत नहीं होगी ।

सेना के हेलीकॉप्टर ने बचाई जान….
पिछले हफ्ते बिलासपुर इस वजह से भी सुर्खियों में रहा कि खूंटाघाट बांध में फ़ंसे एक नौजवान की जिंदगी बचाने के लिए सेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई । करीब 20 घंटे की मशक्कत के बाद उस नौजवान की जान बचा ली गई । तेज बहाव में कूद पड़ा वह युवक पानी में बह गया और तेज धार के कारण निकल नहीं पाया । चट्टान के पास फंस गया और झाड़ियों के सहारे अपने आप को बचाते हुए लोगों से मदद की गुहार करने लगा । बात प्रशासन तक पहुंची तो मदद के लिए कोशिश की गई । जब कोई उपाय न रहा तो सेना से मदद मांगी गई । आखिर भारतीय वायुसेना का हेलिकॉप्टर खूंटाघाट पहुंचा और वेस्ट वियर में पानी के तेज बहाव में फंसे युवक को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया । यह खबर सुर्खियों में तो रही साथ ही सेना के हौसले को भी लोगों ने सलाम किया । जिसकी मदद से इस तरह लोगों की जिंदगी बचा ली जाती है…।

कोरोना संकट के बीच सामान्य सभा…..
इस कोरोना संकट को दौर में सभी के सामने अपने अलग-अलग संकट हैं । लेकिन संकट के दौर में भी कुछ ऐसे काम किए जा रहे हैं ,जिससे जोखिम बढ़ रहा है। ऐसी ही जोखिम की वजह से बिलासपुर शहर सुर्खियों में रहा ….। हुआ यह कि पिछले साल के आखिर में हुए नगरीय़ निकाय चुनाव के बाद जो नई टीम जीत कर आई ,उसे सामान्य सभा की मीटिंग करने का मौका ही नहीं मिला । कई महीने गुजर जाने के बाद आखिर तय किया गया कि लखीराम अग्रवाल ऑडिटोरियम में सामान्य सभा की बैठक करा ली जाए । कोरोना के जोखिम को देखते हुए बड़ी तैयारियों के साथ बैठक रखी गई । हालांकि हो- हल्ला -हंगामा तो नगर निगम की परंपरा के अनुसार हुआ । जिसमें कुछ प्रस्ताव के विरोध की वजह से कांग्रेस और भाजपा के लोग आमने-सामने आ गए । मगर इस सामान्य सभा के बाद जिस तरह से नगर निगम सभापति के कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई ,उसके बाद यह लिस्ट बढ़ते -बढ़ते महापौर तक पहुंच गई । जिससे हड़कंप की स्थिति बनी । इस दौरान आजादी पर्व के कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की वजह से कई बड़े नेताओं और अफसरों तक भी कोरोना की आंच पहुंची । उन्हें भी टेस्ट कराना पड़ा और क्वारंटाइन में रहना पड़ा । यह उनके लिए राहत की बात है ,जिनकी टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आई है । लेकिन जब तक सही स्थिति का पता नहीं चल गया लोगों को डर बना रहा…..।

कांग्रेस भवन का शिलान्यास और बीजेपी का विरोध…..
बीते हफ्ते बिलासपुर में कांग्रेस भवन के शिलान्यास को लेकर भी खबरें सुर्खियों में रहीं। कांग्रेस ने राजीव गांधी के जन्मदिन पर एक साथ कई जिलों में शिलान्यास का कार्यक्रम रखा । बिलासपुर में भी कांग्रेस भवन के विस्तार के लिए नींव का पत्थर रखा गया है । जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से कांग्रेसी शामिल हुए और उम्मीद जताई कि यह भवन वक्त पर तैयार हो जाएगा । लेकिन सही वक़्त पर भाजपा के लोगों ने कांग्रेस के इस शिलान्यास कार्यक्रम का विरोध कर दिया । उनका कहना था कि पुत्री शाला की जमीन पर कांग्रेस भवन का निर्माण गलत है । मौके पर विरोध करने पहुंचे भाजपा के लोगों ने कार्यक्रम रोकने की बात कही । आखिर पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर ले गई । लेकिन इधर शिलान्यास पूरा हो गया । भाजपा के लोगों ने काले कपड़े पहन कर अपना विरोध तो जता दिया । लेकिन सत्ता पक्ष पर इसका कोई असर नजर नहीं आ रहा है । जिससे लगता है कि विरोध शिलान्यास के दिन तक ही सीमित होकर न रह ज़ाए….।

कोरोना काल मे एक अपराध यह भी….
कोरोना काल में नए -नए तरह के अपराध सामने आ रहे हैं । जिसमें पुलिस को भी खासी मशक्कत करनी पड़ रही है । कुछ इसी तरह अपने किस्म का नया मामला बिलासपुर के सरकंडा में सामने आया । जहां कोरोना पॉजिटिव पाए गए एक व्यक्ति और उसके मकान मालिक के खिलाफ जुर्म दर्ज करने के लिए सीएमओ ने थाने में लिखित शिकायत भेजी । शिकायत में कहा गया है कि कोरोना पाजिटिव पाए गए व्यक्ति ने विभाग को गुमराह किया । टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उस व्यक्ति को रिपोर्ट की जानकारी दी गई और जब स्वास्थ्य विभाग की टीम उसे लेने घर पहुंची, उसके पहले उसने अपना मोबाइल बंद कर घर से कहीं चला गया । इलाज के लिए भर्ती होने से आनाकानी करने की वजह से उस व्यक्ति के खिलाफ जुर्म दर्ज करने सीएमओ ने पुलिस को लिखा । रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी नेगेटिव अप्रोच का यह रवैया पूरे सिस्टम के लिए भी चुनौतीपूर्ण लगता है की पुलिस ऐसे मामलों में की रोकथाम के लिए आखिर क्या करे…..? लोग तो कोरोना के मामले में सभी से जागरूक होने की उम्मीद कर रहे हैं और यहां रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी पुलिस को बुलाना पड़ रहा है।..

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