बिलासपुर । जिले की बहुचर्चित विधानसभा सीट मरवाही को लेकर इस बार भी घमासान तेज होता जा रहा है। इसकी झलक सोमवार को कलेक्टोरेट में भी देखने को मिली । जहां मरवाही सीट के लिए निर्दलीय नामंकन पत्र लेने पूर्व विधायक और बीजेपी के नेता पहलवान सिंह मरावी भी पहुंचे। उन्होने बगावत के मूड में साफ तौर पर कहा कि पार्टी ने टिकट के फैसले में उनकी उपेक्षा की है। और यह संकेत भी दिया कि समाज की मीटिंग के बाद वे मरवाही के चुनाव मैदान में उतरने का फैसला कर सकते हैं।
जिले की मरवाही सीट पिछले काफी समय से चर्चित रही है। कभी वहां से आदिवासी समाज के कद्दावर नेता डॉ. भंवर सिंह पोर्ते विधायक रहे । पहले कांग्रेस और फिर बीजेपी के विधायक रहते हुए उन्होने अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री पद पर रहकर अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद मरवाही सीट उस समय सुर्खियों में आई जब वहां के बीजेपी विधायक रामदयाल उइके ने तब के मुख्यमंत्री अजीत जोगी के लिए अपनी सीट छोडी । और अजीत जोगी ने उपचुनाव में जीत हासिल की । उसे बाद से ही इस इलाके से जोगी और उनके परिवार को प्रतिनिधित्व का मौका मिलता रहा है। पिछले चुनाव में अमित जोगी कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीते थे । जो इस समय छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस में हैं और इस बार अमित जोगी किसी और सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। दो दिन पहले ही अजीत जोगी के नाम से नामांकन फार्म लिया गया है। जिससे माना जा रहा है कि वे इस बार भी मरवाही से ही चुनाव मैदान में होंगे। जिससे इस सीट को लेकर सरगर्मी अभी से बढ़ गई है।
इधर मरवाही सीट को लेकर बीजेपी में भी घमासान मचा हुआ है। इस सीट से बीजेपी ने ड़ॉ. भंवर सिंह पोर्ते की पुत्री अर्चना पोर्ते को उम्मीदवार बनाया है। जिसका विरोध पहले दिन से ही हो रहा है। खबर है कि बीजेपी के इस फैसले के खिलाफ लोग दिल्ली पहुंचकर भी अपनी बात रख रहे हैं और उन्हे उम्मीद है कि आखिरी समय में टिकट बदल सकती है। मरवाही सीट को लेकर मचे घमासान की झलक सोमवार को बिलासपुर कलेक्टोरेट में भी दिखाई दी। जहां बीजेपी के नेता और पूर्व विधायक पहलवान सिंह मरावी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन फार्म लेने पहुंचे। एक बातचीत के दौरान पहलवान सिंह ने कहा कि मरवाही की टिकट को लेकर गोंड़ समाज की भावनाओँ का सम्मान नहीं किया गया है। रमन- जोगी के बीच 15 साल से चल रही तालमेल की राजनीति की वजह से मरवाही इलाके का विकास नहीं हो पा रहा है। उन्होने बताया कि वे पिछले 10 साल से मरवाही इलाके में मेहनत कर रहे हैं। वे गोड़ समाज के अध्यक्ष भी हैं। लेकिन उन्हे टिकट नहीं दी गई। एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि वे निर्दलीय भी चुनाव मैदान में आ सकते हैं। इस बारे में समाज की बैठक में फैसला किया जाएगा।
उधर सोमवार को ही मरवाही के लिए भाजपा की अधिकृत उम्मीदवार अर्चना पोर्ते के लिए नामंकन फार्म लेने पहुंचे श्यामलाल कंवर ने कलेक्टोरेट परिसर में पहलवान सिंह मरावी के पैर छूकर आशिर्वाद लिया। एक बातचीत में श्याम लाल कंवर ने कहा कि वे अर्चना पोर्ते के लिए नामांकन फार्म लेने आए हैं। पार्टी में उभर रहे असंतोष के बारे में पूछने पर श्यामलाल कंवर ने कहा कि परिवार में छोटी-मोटी बातें होती रहती । सभी गिले-शिकवे भूलकर सभी लोग बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं। इस बारे में अफवाहें अधिक हैं। एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि दिग्विजय सिंह की नर्मदा परिक्रमा यात्रा के दौरान पारिवारिक संबंधो की वजह से उनसे मिलने गए थे। इसे राजनीति से जोड़ना गलत है।
सोमवार को मरवाही सीट को लेकर कलेक्टोरेट परिसर में जो माहौल था । उसे देखकर लगता है कि इस बार भी वहां का मुकाबला दिलचस्प होने वाला है। एक तो अजीत जोगी की उम्मीदवारी से यह सीट चर्चा में है। अब बीजेपी के अँदर मचा घमासान इसे दिलचस्प बना रहा है।