मल्टीपरपज स्कूल की दशा और दिशा पर अम्बेष की चिंता

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—छत्तीसगढ़ सरकार के नव नियुक्त शिक्षा एवं आदिवासी मामलों के संसदीय सचिव अम्बेष जांगड़े ने कहा कि शिक्षा सुधार के लिए सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं। उसका रिजल्ट आने लगा है। गरीबों के बच्चों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है। गरीबों के बच्चों को शिक्षा का बेहतर मौका मिले सरकार की हमेशा से यही मंशा रही है। यदि निजी संस्थान गरीब बच्चों को प्रवेश देने में आना कानी करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

                छत्तीसगढ़ भवन में आयोजित प्रेसवार्ता के दौरान सवालों के जवाब देते हुए अम्बेश जांगड़े ने कहा भाजपा का एक ही नारा है सबका साथ सबका विश्वास। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में यदि किसी प्रकार की खामियां पायी जाती है तो उसे ठीक किया जाएगा। जांगड़े ने बताया कि यदि निजी संस्थान में गरीब बच्चों को प्रवेश नहीं देने की शिकायत मिलेगी तो उस संस्थान के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

                पत्रवार्ता के पहले अम्बेश जांगड़े ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों के लिए आयोजित एक कार्यशाला को भी संबोधित किया। पत्रकारों से बताया कि कार्यशाला में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये गये हैं कि काम में बेवजह की लेट लतीफी बर्दास्त नहीं की जाएगी। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में अधिकारियों को अन्य विभागीय गतिविधियों को लेकर भी चर्चा की गयी है।

                  मल्टीपरपज स्कूल के परीक्षा परिणाम पर पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में अम्बेश जांगड़े ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सुनकर अच्छा नहीं लगा कि संभाग के सबसे बड़े स्कूल में अब छात्रों का टोंटा है। वहां का परीक्षा परिणाम लगातार गिर रहा है। जो अच्छे अच्छे संकेत नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि इसकी जांच की जाएगी। पता लगाया जाएगा कि खराब परिणाम के कारण क्या हैं। कारण आने के बाद जो उचित होगा उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी।

                 जांगड़े ने बताया कि युक्तियुक्तकरण के बाद शिक्षा और शिक्षण संस्थान की सारी समस्याएं सुलझ जाएंगी। उन्होंने बताया कि आदिवासी स्कूल और सामान्य शिक्षा विभाग के संविलियन से शिक्षा के स्तर में सुधार होगा। सरकारी स्कूलों में शिक्षा के गिरते स्तर पर पूछे गए सवाल पर जांगड़े ने कहा कि संविलियन और युक्तियुक्तिकरण के बाद लगभग सारी समस्याएं हल हो जांएगी। उन्होंने कहा कि प्रायवेट स्कूलों को सरकार की तरफ से कोई आदेश नहीं है कि वह किसी निश्चित दुकान से ही किताबों की खरीद फरोख्त करें। यदि ऐसा हो रहा है तो सरकारी आदेश का उल्लंघन है। इस मामले में मुझ तक शिकायत पहुंचती है तो कार्रवाई की जाएगी। अंत में उन्होंने बताया कि स्कूलों का सिलेबस प्रकाशक नहीं सरकार तय करती है।

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