बिलासपुर—महगाई भत्ता कटौती को लेकर केन्द्र सरकार के फैसले का छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ ने विरोध किया है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रोहित तिवारी ने बताया कि केन्द्र सरकार के तुगलकी फरमान का छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ विरोध करता है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ नेता रोहित तिवारी ने कहा कि देश कोरोना से जूझ रहा है। लोग लाकडाउन के बाद लोग घरो मे दुबके हुए हैं। लेकिन कर्मचारी वर्ग खुद को जोखिम में डालकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहा है। स्वास्थ, पुलिस,राजस्व समेत कमोबेश सभी विभाग के कर्मचारी कार्यालय पहुंचकर शासन के प्रति जिम्मेदारियों को पूरा कर रहे हैं।
ऐसी परिस्थति मे जहां कर्मचारियो को प्रोत्साहन की आवश्यकता होती है वहां महंगाई भत्ते पर जुलाई 2021तक कटौती का एलान समझ से बहुत ही परे है। रोहित ने बताया कि केन्द्र सरकार का फैसला कर्मचारियों के उत्साह को तोड़ने वाला है। सरकार का एलान नौकरी पेशा वर्ग और पेंशनरों पर आर्थिक आघात है।
लिपिक कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि आजादी के बाद 1962 चाइना युद्ध, 1965, और 1971का पाकिस्तान युद्द के अलावा 1977 के आपातकाल में भी कर्मचारियों के वेतन भत्तों में कटौती नहीं हुई है। जबकि हालात बहुत ही बुरे थे। वाबजूद इसके कर्मचारियो के वेतन भत्तो मे कटौती नही की गयी ।
तिवारी ने बताया की एनडीए सरकार ने लगातार कर्मचारी विरोधी निर्णय लिया है। इसके पहले 2004 मे पेंशन बंद का आदेश जारी किया गया। बाद मे इस अधिनियम को पूरे देश पर थोपा गया। वर्तमान केन्द्र सरकार ने वेतन आयोग समाप्त करने का निर्णय लिया है। अब महंगाई भत्ते पर कटौती का निर्णय कर्मचारियो को काफी धक्का देना वाला है।
रोहित ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ कर्मचारीयो को जुलाई 2019 से 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता नही मिला है। वर्तमान मे छत्तीसगढ़ कर्मचारी मध्य प्रदेश से भी पीछे हैं। ऐसे मे केन्द्र का निर्णय कर्मचारियो को हतोत्साहित करेगा। जबकि ऐसे समय मे सरकार को कर्मचारियो को प्रोत्साहित करना चाहिए। बुलेट ट्रेन जैसे महंगे प्रोजक्ट को बन्द कर राश का उपयोग आर्थिक संरचना को मजबूत बनाने में किया जाना चाहिए। वर्तमान मे ट्रेन तो चल नही रही.. ऐसे में बुलेट ट्रेन की परिकल्पना समझ से परे है।
रोहित तिवारी ने बताया कि लिपिक संघ केन्द्र सरकार से मांग करता है कि कर्मचारी विरोधी निर्णय वापस ले। अन्य फ़जूल खर्च पर रोक लगाते हुए कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करे। भविष्य मे लाक डाउन के समाप्त होने पर महगाई चरम पर होगी। ऐसे मे नौकरी पेशा वर्ग पर महगाई की मार असहनीय होगी। कर्मचारियो की कार्य क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
यदि कर्मचारी विरोधी निर्णय वापस नही लिया गया तो छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक संघ सड़क पर ना केवल उतरेगा। अंजाम तक लड़ेगा भी।