बिलासपुर— महिलाओं ने ठाना और मस्तूरी विकासखण्ड का अनुसूचित जाति बहुल ग्राम देवगांव को जिले का सबसे अमन पसंद गांव बना दिया। हमेशा विवादों में रहने वाला देवगांव शराब और जुआ का अड्डा हुआ करता था। मामूली सी बातों पर एक दूसरे के खून का प्यासा होना यहां के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। लेकिन गॉव की महिलाओं ने जब से पुरूषों के साथ जिम्मेदारियों को अपने हाथ में लिया देखते ही देखते देवगांव स्वर्ग बन गया।
पढ़ने के नाम पर घबराने वाले बच्चे अब नियमित स्कूल जाते हैं। जुआ शराब में समय काटने वाला पुरूष वर्ग अब अपनी कमाई का हिसाब महिलाओं को देता है। मिलकर घर परिवार चलाता हैं। शांति स्वसहायता समूह देवगांव की अध्यक्षा गीता बाई ने बताया कि हमारे गांव में 4 महिला स्वसहायता समूह हैं। सभी समुहों को गांव को स्वर्ग बनाने का श्रेय जाता है।
गीता बाई के अनुसार गॉव की दुर्दशा देखते हुए एक बार सम्मानित बड़े, बुजुर्गं और महिलाओं की बैठक हुई। बैठक में लिखित रूप से निर्णय लिया गया कि अब गांव में रहने वालों को नियम- कायदा से चलना होगा। जो नही चलेगा उसे सुधारने की जिम्मेदारी महिलायें लेंगी। शांति स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि शुरूआत में वे नियमित इकट्ठे होकर लाठी लेकर गांव का भ्रमण कर चौकसी करती थी। जुआ और शराब पीने वालों को कठोर सजा देती थीं। इसके बहाने उनका जमीर जगाने का काम करती थीं। धीरे-धीरे लोगों के भीतर का जमीर जागता गया..इसी के साथ जुआ-शराब गांव के बाहर चला गया। महिलाओं ने बताया कि बाद में हमने साप्ताहिक बाजार और भीड़ वाले स्थानों का भ्रमण करना शुरू किया। धीरे धीरे गांव पटरी पर लौट आया।
स्व सहायता समूह के जरिए गांव की महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त हो रही हैं। गीता बाई ने बताया कि आर्थिक समस्या को हल करने के लिए उन्होने महिलाओँ के प्रयास से गांव के ही छुटराईन तालाब, नया तालाब और गांव तालाब को पट्टे में लिया। जिसमें मछली और झींगा पालन शुरू किया गया। इसी तरह गांव की दूसरी जय सतनाम स्व सहायता समूह ने गांव के स्कूल का मध्यान्ह भोजन का काम संभाल लिया । प्रायमरी और मिडिल स्कूल में 115 दर्ज बच्चों मे से वर्तमान में 88 बच्चे नियमित स्कूल जाते हैं। जिनकी मध्यान्ह भोजन व्यवस्था वे संभालती हैं।शां ति महिला स्व सहायता समूह की अध्यक्ष गीताबाई और सचिव द्वारिका बाई ने बताया कि समूह में 39 महिला सदस्य हैं। जय सतनाम स्व सहायता समूह की अध्यक्षा चन्द्रमणि और सचिव श्रीमती झालो बाई है।
शांति स्व सहायता समूह की महिला सदस्य गांव के सामाजिक और जनहित के कार्यों के लिए हमेशा आगे रहती हैं। अब उन्होने गांव के श्रमिक महिलाओं के हित में श्रम विभाग में पंजीयन कराने का बीड़ा उठाया है।