बिलासपुर।एक ओर प्रदेश की महिला शिक्षक स्थानान्तरण नही होने से परेशान है वही ग्रीष्म काल मे समर कैम्प के आदेशों ने महिला शिक्षको की मुसीबतें बढ़ा दी है।ज्यादातर महिला शिक्षक विवाह के उपरांत भी अपने गृह नगर में ही निवास कर रही है। दीपावली दशहरा, शीतकालीन अवकाश और ग्रीष्म कालीन अवकाश में अपने पति के निवास जाती है। जो कि पारिवारिक दायित्वों की सबसे अहम जरूरत है। प्रदेश के अलग अलग जिलों में समर कैम्प के नाम पर प्रदेश की महिला शिक्षक तनाव में है।सीजीवालडॉटकॉम के Whatsapp ग्रुप से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करे
यह बताते हुए महिला शिक्षा कर्मी नेता गंगा पासी ने बताया कि छत्तीसगढ़ का हर कोना सूरज की तपन से परेशान है। और सबसे ज्यादा महिला शिक्षक जिला से लेकर ब्लॉक लेवल व संकुल लेवल के अधिकारियों के समर कैम्प को लेकर नए नए आदेशो की शिकार हो रही है।
गंगा पासी ने बताया क़ि प्रदेश में शिक्षा विभाग में बहुत बड़ी मात्रा में महिलाओं की भूमिका अहम है। और ज्यादातर महिलाएं जिस ग्रमीण स्कूल में पढ़ा रही है। वहां से 15 से 60 किलोमीटर दूर या उससे अधिक दूरी पर निवास कर रही है। और शाला लगने के दिनों में बस,जीप,आटो या खुद के वाहन से आना जाना करती है। समर कैम्प से महिला शिक्षको को केवल परेशानी ही होने वाली है।
गर्मी का मौसम तन और मन को भी प्रभावित करता है।थोपे गए समर कैम्प को महिला शिक्षक सहज स्वीकार नही कर पा रही है। इससे महिला शिक्षको में मानसिक तनाव उत्तपन्न हो गया है। ऐसे में अगर जबरिया शिक्षण कार्य महिला शिक्षको से लिया जाता है तो समर कैम्प अधिकारीयो की प्रयोग शाला का सबसे फेलवर प्रयोग होगा।
गंगा पासी ने बताया कि अगर शासन अर्जित अवकाश व उसके नगदीकरण की पात्रता दे और महिला शिक्षक खुद से समर कैम्प में भाग लेना चाहें तो किसी को कोई आप्पति नही होगी । और इस कार्य की सफलता पर संदेह भी नही होगा।
गंगा ने बताया कि प्रदेश की महिला शिक्षको ने दो हजार रुपये की तनख्वाह से प्रदेश की शिक्षण व्यवस्था में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।महिलाओं ने शिक्षा कर्मी से शिक्षक तक का सफर किया है।प्रदेश की महिला शिक्षक छत्तीसगढ़ सरकार की बेटियां है।
और उम्मीद है कि सरकार अपनी बेटियों की पीड़ा समझेगी। महिलाओं के स्थानान्तरण के मुद्दे और समर कैम्प पर जबरिया महिला शिक्षको की ड्यूटी नही लगाएगी।