मानव तस्करी रोकने जागरूकता भी जरूरी

Chief Editor
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बिलासपुर । छत्तीसगढ़ शासन, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और यूनिसेफ के संयुक्त तत्वाधान में मानव तस्करी पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राज्यीय कार्यशाला ऱविवार को  छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय बिलासपुर के आॅडोरियम में संपन्न हुई।
कार्यशाला के समापन अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री नवीन सिन्हा ने इस बात पर जोर दिया कि मानव तस्करी को रोकने के लिये मानव तस्करी की रोकथाम से जुड़े लोगाों को प्रशिक्षित और राहत एवं बचाव करने में सहयोग करें। साथ ही लोगों में मानव तस्करी की रोकथाम के लिये जागरूकता लाने में सहयोग करें।
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यपालक अध्यक्ष और हाईकोर्ट के जज, जस्टिस श्री टी.पी.शर्मा ने कहा कि जशपुर जिले में मानव तस्करी मजदूरी और शारीरिक दोहन के लिये किया जा रहा है। जस्टिस शर्मा ने मानव तस्करी की रोकथाम के लिये ग्रामीण स्तर पर निगरानी के लिये जोर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि गाॅव में बाहर से आने वाले एवं जाने वाले लोगों पर कड़ी निगाह रखी जानी चाहिए।
इस कार्यशाला के अंतिम दिन महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन के संचालक अविनाश चंपावत और चीफ फील्ड आॅफिसर यूनीसेफ रायपुर प्रशांत दास ने संयुक्त रूप से मानव तस्करी की रोकथाम के लिये सुझाव प्रस्तुत किये। जिसके तहत् सरकारी विभागों जैसे महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण के बीच समन्वय बढ़ाना, मानव तस्करी पीडि़त को न्याय दिलाना, एक समान पद्धति के विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त मानव तस्करी के प्रकरणों का परीक्षण, ज्यूडिशियल अकादमी और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की दक्षता को मानव तस्करी की रोकथाम के लिए बढ़ाना, विधि के पाठ्यक्रमों में मानव तस्करी की समस्या एवं उसकी चुनौतियों को शामिल करना, पीडि़त बच्चों और युवाओं को जीवन कौशल उन्नयन के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत् प्रशिक्षण देना, जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों एवं उच्च न्यायालयों के द्वारा मानव तस्करी पीडि़तों के लिए राहत एवं पुर्नवास सुनिश्चित करना, पीडि़त लोगांे को आर्थिक लाभ दिलाना और समाज में सम्मान दिलाना, मानव तस्करी की रोकथाम के लिए मानव तस्करी के कारणों पर शोध को बढ़ावा देना आदि सुझाव दिए गए है। इन्ही सुझावों के आधार पर राज्य सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ में मानव तस्करी की रोकथाम के लिए एक कार्ययोजना बनाई जायेगी। सभी प्रतिभागियों को जस्टिस टी.पी. शर्मा के द्वारा प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। इस कार्यशाला में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव रजनीश श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यशाला में रिसोर्स पर्सन के रूप में महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखण्ड एवं बिहार के अधिकारी एवं यूनिसेफ के पदाधिकारी शामिल हुए। मुख्य बाल सुरक्षा अधिकारी यूनीसेफ भारत डाॅ. जोसिम थेईस, डाॅ. सुनिता कृष्णन, रविकांत, तपोति भौमिक आदि शामिल हुए। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के उप सचिव ओ.पी. जायसवाल, विभिन्न जिलों के जिला एवं सत्र न्यायाधीश, विभिन्न न्यायालयों के न्यायाधीश, श्रम, महिला एवं बाल विकास, पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी शामिल हुए। इस अवसर पर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का चलित लोक अदालत एवं विधिक सेवा वाहन का भी लोकार्पण किया गया। इसके माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में चलित लोक अदालत, विधिक साक्षरता शिविर आदि के द्वारा लोगों में कानूनी जागरूकता लाने का प्रयास किया जायेगा। वाहन में आडियो, वीडियो के साथ एलईडी टीव्ही लगाया गया है।

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