(प्राण चड्डा)मानसून के पहुंचने में अब देर नहीं ।मानसून का दूत चातक ( Pied crested Cuckoo) जिसे पपीहा कहते हैं पहुंच चुका है।
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हर साल मई माह के अंतिम सप्ताह में आने वाला चातक 9 जून को बिलासपुर शहर के करीब गाँव मंगला में मेरे खेतों में पेड़ पर दिखा।
आम तौर पर इसके छतीसगढ़ आगमन के बाद आठ दस दिन में बारिश शुरू हो जाती है। सलीम अली के अनुसार इसका प्रवास अधिकतर द.पू.मानसून पर निर्भर करता है । इसकी एक प्रजाति आफ्रिका से भी आती है ।
पपीहा बादल देख पेड़ से पियू पियू की रट लगता है।इल्ली और छोटे फल इसकी आहार तालिका में शामिल हैं ।
बारिश के लिए उसकी इस रटन पर हिंदी साहित्य में काफी कुछ है।
हरिवंश बच्चन ने लिखा है
ये वियोगी की लगन है ।
ये पपीहे की रटन है ।
कुछ इसे स्वाती बूंद की आस लिखते है ।
कोयल के समान ये भी अपने अंडे नहीं सेता । बैब्लर पक्षी इसके अंडे सेते हैं । जो इधर काफी पाए जाते है । बारिश के अंत और शीतकाल में चातक अपनी वंशवृद्धि कर ऊँची उड़ान भरते वापस हो जायेगा।