बिलासपुर— रामचरित मानस को आध्यात्म के चश्मे से हटकर विज्ञान की नजर से भी देखने की जरूरत है। रामचरित मानस मानव जीवन का सबसे बड़ा दर्शन ग्रंथ है। जीवन और विकास के सभी पहलुओं का इसमें समावेश है। गोस्वामी के मानस में आज तक किसी प्रकार का संशोधन सुनने या पढ़ने को नहीं मिला। इसमें जीवन है.जीवन के अनझुए पहलु भी हैं। सामाजिक आर्थिक मानसिक विकास के साथ विज्ञान का जबरदस्त समावेश है। यह बातें मानस में विज्ञान विषय पर चर्चा के दौरान राष्ट्रीय पाठशाला में आयोजित विचार मंच के कार्यक्रम के दौरान रघुवीर सिंह राठौर ने कही।
विचार मंच के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए रघुवीर सिंह राठौर ने कहा कि रामचरित मानस में विज्ञान का जबरदस्त समावेश है। सही अर्थों में सारे विज्ञान रामचरित मानस की एक एक चौपाइयों में देखने को मिलते हैं। जिसने भी इसे समझा उसने विज्ञान और दर्शन की जुगलबंदी को करीब पाया। राठौर ने कहा कि मेण्डलीफ से बहुत पहले हवाओं और तत्वों की जानकारी रामचरित मानस में गोस्वामी जी ने लिख दिया था। न्यूटन का क्रिया प्रतक्रिया का सिद्धांत हो या फिर हाइजेन का तरंगिका सिद्धान्त सब कुछ रामचरित मानस में पहले से ही लिखा जा चुका है। हमने अपने नासमझी से विज्ञान को रामचरित मानस में नहीं पाया। दरअसल रामचरित मानस में वह सब कुछ है जिसे आज विज्ञान अनुसंधान का दावा करता है।
रघुवीर सिंह ने बताया कि चौपाइयों से जीवन के चारों दर्शन का बोध होता है। गोस्वामी जी ने चौपाइयों की रचना ही कुछ ऐसी की है कि उसमें गणित से लेकर विज्ञान की एक एक तकनिकी को करीब से समझने का मौक मिलता है। जीवन का अर्थशास्त्र सदियों पहले गोस्वामी जी ने रामचरित मानस में लिख रखा है। चाहे हमारी बायोलाजिकल जरूरत हो या फिर दर्शन की बातें हो सब कुछ रामचरित मानस में समाहित है। आज पूरा विश्व रामचरित मानस को ना केवल पढ़ रहा है। उसके एक एक शब्दों की विवेचना भी कर रहा है। बावजूद इसके अभी रामचरित मानस को ना तो ठीक से समझा गया है और ना ही पढ़ा गया है। अभी बहुत किया जाना बाकी है।
राठौर ने बताया कि रामचरित मानस विश्वव्यापी ग्रंथ है इसमें कुरान,बाइबिल,जेन्दावेस्ता,गुरू ग्रंथ साहब सब कुछ तो है। राठौर ने एक एक कर मानस के सभी काण्डों की जानकारी दी। गुढ़ रहस्यों को भी सबके सामने रखा। उन्होने चौपाइयों का समुचित व्याख्या के साथ विज्ञान की कसौटी पर मानस को विश्व का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ बताया।