बिलासपुर— बिलासपुर का मास्टर प्लान चहेते बिल्डरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इसमें आम जनता को कोई लाभ मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। जहां रसूखदारों की अचल संपत्ति है योजना का विकास वहीं होगा। मास्टर प्लान में कमियों की भरमार है। मास्टर को आनन फानन में लागू करने की तैयारी की जा रही है।
शासन ने आपत्ति के लिए जो समय सीमा निर्धारित किया है वह अपर्याप्त है कम से कम एक महीने और बढ़ाया जाना चाहिए। चूंकि मास्टर प्लान तैयार करने में भारी लापरवाही की गयी है। यह लापरवाही जानबूझकर अपनों को उपकृत करने के लिए किया गया है। यह बातें आज प्रेस वार्ता के दौरान जिला कांग्रेस कार्यालय में प्रदेश कांग्रेस महामंत्री अटल श्रीवास्तव ने कही।
पत्रकारों से अटल श्रीवास्तव ने कहा कि योजना बनाते समय ना तो शहर के लोगों से परामर्श लिया गया और ना ही ग्रामीण क्षेत्रों के प्रभावित लोगों से विचार विमर्श ही किया गया। दरअसल यह सारी योजना चंद बिल्डरों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
अटल श्रीवास्तव ने बताया कि योजना बिलासपुर शहर के लिए बनाया गया है। लेकिन निगम क्षेत्र के लिए इसमे कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि बिलासपुर विकास योजना 2031 चार सौ चौवन वर्ग किलोमीटर के लिए प्रस्तावित है लेकिन निगम का क्षेत्रफल मात्र लगभग 27 वर्गकिलोमीटर ही है। ऐसे में यह योजना नगर क्षेत्र का ना होकर ग्रामीण क्षेत्रों का है। ऐसा जानबूझकर ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले बिल्डरों के लिए तैयार किया गया है।
कांग्रेस नेता ने बताया कि स्मार्ट सिटी योजना लागू करने के लिए ना तो हमारे पास जमीन है और ना ही संसाधन। यदि नगर से जुड़े 18 गावों को शहर में जोड़ लिया जाता है तभी स्मार्ट सिटी का सपना पूरा होना संभव है। ऐसा करने से कई संस्थान नगर निगम क्षेत्र के अन्तर्गत आ जाएंगे। क्षेत्रों के विस्तार होने से जनसंख्या दबाव कम होगा। आधारभूत संरचानाओं का विकास होगा।
पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए अटल ने बताया कि 2001 के मास्टर प्लान का काम आधे से अधिक अभी भी अधूरे पड़े हैं। कुछ काम तो शुरू भी नहीं हुए है। नए मास्टर प्लान में कहीं भी पुरान मास्टर प्लान की योजनाओं और कार्यों का जिक्र नहीं है। कई सड़कें तो अभी तक पूरी भी नहीं हुई हैं।
पत्रकारों से चर्चा करते हुए अटल ने कहा कि मास्टर प्लान के अनुसार विकास के लिए लगभग 26 सौ करोड़ की आवश्यकता होगी। जिसमें तीन सौ करोड़ अधिग्रहण में खर्च होगा। यह राशि कहां से आएगी इसका जिक्र नहीं है।
अटल ने कहा कि शासकीय कार्यो और सड़क निर्माण आदि कार्यों के लिए जिन जमीनों का अधिग्रहण किया जाना है उसका खसरा नम्बर क्या है उसका कहीं भी उल्लेख नहीं है। जिससे आम नागरिक जान सके कि उसकी जमीन तो कहीं अधिग्रहित नहीं हो रही है। नए मास्टर प्लान में सड़कों की चौड़ाई बढाने की बात कही गयी है। इस बात को लेकर आम जनता में दहशत है कि कहीं उनका भवन भी तो सड़क की चपेट में नहीं आ जाएगा। उन्होंने कहा कि हमने निवेश एवं विकास कार्यालय जाकर सड़कों की चौड़ाई को पूर्ववत रखने को कहा है।
अटल ने पत्रकारों के सवालो का जवाब देते हुए कहा कि मास्टर प्लान में शहर के पूर्व निर्धारित नियमों से खिलवाड़ करते हुए महंगे क्षेत्रों में एफएआर घटाकर 1.75 से 1.25 कर दिया गया है। इससे यह साबित होता है कि सब कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय निर्माण में लगे बिल्डरों के इशारे पर किया गया है। सोचने वाली बात है कि यदि महंगी जमीन पर एफएआर कम होगा तो ग्रमीण क्षेत्रों में लोगों की दौड़ होगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों को फायदा होगा। अटल ने कहा कि मास्टर प्लान में इस बात का भी जिक्र नहीं है कि कौन सा क्षेत्र विकसित है और कौन सा क्षेत्र अविकसित। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की मांग है कि शहर के मध्य में पुराने नियमों से खिलवाड़ नहीं करते हुए एफएआर 2.5 रखा जाए।
अटल श्रीवास्तव ने अरपा विकास पर भी उंगली उठाते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी योजना लागू होने से इसे कहां स्थान दिया गया है। उन्होंने कहा कि नई योजना में वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए मात्र साढ़े तीन प्रतिशत स्थान दिया गया है। जो पुरानी योजना का आधा है। ऐसे में व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार कैसे होगा। उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान 2031 में क्षेत्रों के उपयोग को लेकर भी भारी अनियमितिता बरती गयी है। किसी बस्ती को श्मशान तो श्मशान को बस्ती बना दिया गया है। बंजर जमीन को उपजाऊ और उपजाऊ को बंजर जमीन दर्शाया गया है। सरकारी जमीन कहां है इसका कहीं भी जिक्र नहीं है। अटल ने कहा कि अपनों को फायदा पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान में जमकर माइंड गेम हुआ है।