बिलासपुर– पहली बार आयोजित संभायुक्त जनदर्शन कार्यक्रम में जबरदस्त भीड़ देखने को मिली। खुद इसका अंदाजा संभागायुक्त को भी नहीं था। जनदर्शन कार्यक्रम में लोग भारी उम्मीद के साथ अपनी फरियाद को लेकर लोग कमिश्नर कार्यालय सुबह से पहुचने लगे थे। दोपहर बाद तक करीब 250 से अधिक मामले दर्ज किये गये। काफी व्यस्तता के बाद भी कमिश्नर सोनमणि वोरा संक्षिप्त समय के लिए पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होने जनदर्शन में आने वाले तमाम विषयों के बारे में जानकारी दी। उन्होने कहा कि जनदर्शन का मुख्य उद्देश्य काम में कसावट के साथ ही मिलजुलकर समस्याओं का निराकरण तेजी से करना है। इस दौरान कमिश्नर सोनमणि वोरा ने पत्रकारों के सवालों का जवाब भी दिया।
जनदर्शन की व्यस्तताओं के बीच समय निकालकर संभागायुक्त सोनमणि वोरा पत्रकारों से रूबरू हुए। उन्होने एक-एक कर सभी प्रश्नों का जवाब भी दिया। एक प्रश्न के जवाब में कमिश्नर ने बताया कि लगभग सभी विभागों से जुड़ी समस्याएं उन तक आई हैं। कुछ का निराकरण तत्काल कर दिया गया है। कुछ ऐसी समस्याएं जो तकीनिकी कारणों को लेकर हैं उनका भी निराकरण जल्द किया जाएगा। कमिश्नर ने बताया कि जनदर्शन में कमोबेश सभी विभागों से जुड़ी समस्याएं सामने आई हैं।
छोटी-छोटी समस्याएं जिनका निदान ग्रांउड स्तर पर हो जाना चाहिए संभागायुक्त तक पहुंची के प्रश्न पर कमिश्नर ने कहा कि समस्याएं छोटी और बड़ी नहीं होती। उसका निदान करना महत्वपूर्ण होता है। कभी कभी ऐसा भी होता है कि छोटी समस्या बड़ी हो जाती है। यह भी देखने में आया है कि काम के दौरान कुछ समस्याएं छूट जाती है। वह काफी समय तक लंबित हो जाती है। इसलिए जनदर्शन के बहाने सभी अधिकारियों की उपस्थित में वह काम तत्काल आसानी से हो जाता है। लोगों को एक ही स्थान पर संबधित अधिकारी मिल जाते हैं। इसलिए इस प्रकार का कार्यक्रम जरूरी होता है। इससे अधिकारियों पर अतिरिक्त दबाव भी नहीं होता। काम भी आसानी से हो जाता है। लोग परेशान भी नहीं होते है।
पत्रकार वार्ता में एक सवाल के जवाब में कमिश्नर सोनमणि वोरा ने कहा कि कलेक्टर जनदर्शन महत्वपूर्ण है। संभागायुक्त जनदर्शन का मतलब यह नहीं कि सिस्टम में ठीक ठाक काम नहीं कर रहा है। इसका मतलब यह निकाला जाए कि काम को ओर कितना गति दिया जासकता है। समस्याओं को कितनी जल्दी हल किया जाए। संभागायुक्त जनदर्शन का केवल और केवल अर्थ यह है कि लोगों का काम सुलभता और तेजी के साथ किया जाना है।
उन्होने बताया कि बिलासपुर में करीब चार हजार आठ सौ गांव हैं। हमने पांच सौ गांव और समस्याओं का टारगेट रखा। लगभग टारगेट को हमने पूरा कर लिया है। अब आगे बढ़ेंगे। लोगों की ना केवल राजस्व बल्कि अन्य समस्याओं को भी सुनेंगे। एक दिन बिलासपुर राजस्व विवाद मुक्त संभाग बनकर रहेगा। उसी दिशा में संभागायु्क्त जनदर्शन कार्यक्रम चल रहा है। कमिश्नर ने बताया कि सभी अधिकारी मिलकर काम कर रहे हैं। कभी ऐसा होता है कि कुछ कामों में अनावश्यक देरी हो जाती है। ऐसा काम के दौरान होता है। इसमें इंटेसली कुछ भी नहीं होता है। उन्ही समस्याओं को सुलझाना है। संभागायु्क्त होने के कारण मेरी भी जिम्मेदारी बनती है कि संभाग की जनता की समस्याओं को संज्ञान में लूं। क्योंकि मैं भी सिस्टम और समाज का एक हिस्सा हूं।
नगर निगम रिटायर्ड कर्मचारी और शिक्षक अर्जित अवकाश के भुगतान को लेकर चक्कर काट रहे हैं के सवाल पर कमिश्नर ने कहा कि जनदर्शन के दौरान नगदीकरण का मामला सामने आया है। इसे निगम के संज्ञान में लाया गया है। जल्द ही मिलकर इसका निराकरण किया जाएगा। उन्होने कहा कि कुछ तकनिकी मामले सामने आ रहे हैं। कुछ जानकारियों का अभाव भी सामने आय़ा है। इस पर निगम और कलेक्टर प्रशासन को बताया गया है। उनकी समस्याओं को हल किया जाएगा। ना केवल उनकी बल्कि जिन समस्याओँ का तत्काल निराकरण नहीं हुआ है। उसके बारे में आगामी जनदर्शन के पहले जानकारी ली जाएगी। यदि फरियादी का काम नहीं हुआ तो संबधित अधिकारियों से जवाब भी मांगा जाएगा।
सिवरेज और बिजली पानी,सड़क के सवाल पर वोरा ने कहा कि इस पर भी बहुत कुछ मामले सामने आए हैं। कुछ का निराकरण कर दिया गया है। जो बचे हैं उसे भी नियमानुसार हल किया जाएगा।
दूर दराज जिलों से आने वाले फरियादियों की समस्याओं पर कमिश्नर ने कहा कि कुछ ऐसी व्यवस्था की जाएगी कि रायगढ़ जैसे सुदूरवर्ती जिलों के गांवो से आने वाले फरियादियों की समस्या जिला स्तर पर ही हो जाए। जरूरत पड़ी तो वहां भी जनदर्शन जैसा कार्यक्रम किया जाएगा। वोरा ने कहा कि जनदर्शन कार्यक्रम को लेकर प्लान तैयार किया जाएगा। इसकी सूचना जल्द से जल्द दी जाएगी।
सोनमणि वोरा ने कहा कि मीडिया ने संभागायुक्त जनदर्शन को बेहतर ठंग से उठाया। इसमें सोशल,प्रिंट और इलेक्ट्रानियां मीडिया शामिल हैं। सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि विचार किया जा सकता है कि लोगों की समस्या को सुनने के लिए एप्स और सोशल ग्रुप जैसा कोई साइट या समूह बनाया जाए। लोगों की समस्या सहजता के साथ हल हो जाए। जरूरत के अनुसार इस पर सोचा जा सकता है।
अंत में एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि सिस्टम रिजल्टओरियन्टेड काम कर रहा है। संभागायुक्त जनदर्शन कार्यक्रम उसी की एक कड़ी है। लोगों की समस्या का निराकरण तेजी हो उसका मुख्य उद्देश्य है। उन्होने कहा कि जनदर्शन में कुछ ऐसी भी समस्याएं सामने आई हैं जिनका निदान जिला कलेक्टर के निर्देश पर किया जा रहा है। वोरा ने कहा कि जो समस्याएं पहले से प्रक्रियाधीन हैं..या जिले की हैं..संभागायुक्त जनदर्शन कार्यक्रम में उन्हें शामिल करने का कोई मतलब नहीं है।