मुख्य अभियंता ने लगाया प्रताड़ना का आरोप..वरीयता के बाद भी प्रमोशन नहीं..हाईकोर्ट ने मांगा 3 हफ्ते में जवाब

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— वरीयता के बाद भी सालों से मुख्य अभियंता के पद पर पदस्थ पीडी साय ने उच्च अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। याचिका दायर कर पीडी साय ने बताया कि कई बार डीपीसी हुई। लेकिन हर उन्हे दरकिनार किया गया। यहां तक कि न्यायालय के निर्देश का भी पालन नहीं किया गया। पीड़ी साय ने कहा कि आदिवासी होने के कारण अब प्रमोशन पाकर सीनियर बन चुके जनियर अधिकारी भी प्रमोशन में बाधा डाल रहे है। हाईकोर्ट अधिवक्ता संदीप दुबे ने बताया कि हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर मामले में तीन हफ्ते के भीतर सरकार को जवाब देने को कहा है।  –
       
                   बस्तर स्थित पीडब्लूडी मुख्य अभियंता पीडी साय ने संदीप दुबे औक शांतम अवस्थी  के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका पेश कर विभागीय अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। याचिका में साय ने बताया कि प्रशासनिक प्रताड़ना का शिकार होने की वजह से  प्रदेश के प्रमुख अभियंता नही बन पा रहे है। जूनियर अफसर पद पर प्रोन्नति पाकर प्रताड़ित कर रहे हैं। अब वही अधिकारी उन्हें प्रोन्नति से रोक रहे है।
 
             मामले में संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया कि पी डी साय विभागीय पद्दोन्नति समिति से योग्य पाए गए। जब उन्हें श्रेणी से अपग्रेड नही किया गया तो उच्च न्यायालय में याचिका लगाई। उच्च न्यायालय ने सरकार को आदेश दिया कि शीघ्र आदेश करे। सरकार ने आदेश नही किया तो पी डी साय ने न्यायालय में अवमानना का प्रकरण दायर किया। मामले में हाईकोर्ट नेअवमानना नोटिस लोक निर्माण विभाग को जारी किया। 3 सफ्ताह में जवाब देने को कहा । बावजूद इसके 4 माह से जवाब पेश नही किया गया। साथ ही पीडी साय को एक बार फिर प्रमोशन नहीं दिया गया। 
 
       पीएससी को एक बार फिर डीपीसी आयोजित करने के लिए पत्र भेजा गया। पीएससी ने साय को प्रमोशन के लिे उपयुक्त पाया। लेकिन विभाग से साय को एक बार फिर प्रोमोशन नही दिया गया। 
 
                पीडी साय ने अपने वकील संदीप दुबे और शांतम अवस्थी के माध्यम से याचिका लगाते हुए राज्य और पीएससी को को रिट की कॉपी दी। अधिकारियों ने आनन फानन में 19 अक्टूबर को डीपीसी आयोजित किया। पीएससी ने पीडी साय को पदोन्नति के उपयुक्त पाया। याचिका की सुनवाई 20 अक्टूबर को जस्टिस गौतम भादुरी के न्यायालय में हुई। न्यायालय ने राज्य सरकार को 3 हफ्ते के अन्दर जवाब देने को कहा है।

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