बिलासपुर— बिलासपुर प्रेस क्लब में पत्रकारों से संबोधित करते हुए सैंड आर्टिस्ट पद्मश्री सुदर्शन पटनायक ने कहा कि मुझे सैंड के रूप में भगवान जगन्नाथ का आशीर्वाद मिला है। आदिकाल से ही मानव का रेत से गहरा नाता है। चौदहवीं शताब्दी में सबसे पहले पुरी में ही एक संत ने रेत पर कलाकृति बनाने का परिचय दिया है। मै आज बिलासपुर में एक कार्यक्रम में बदलते पर्यावरण पर कार्यक्रम पेश करूंगा। जो आज की सबसे बड़ी वैश्विक त्रासदी भी है।
पत्रकारों से अपने जीवन के अनझुए पहलुओं को रखते हुए सुदर्शन पटनायक ने कहा कि मैं बहुत गरीब घर से हूं। समुद्र किनारे पड़ोस के एक घर में काम करता था। मेरी शिक्षा सिर्फ कक्षा 6 तक हुई है। काम करने के दौरान ही मुझे रेत पर कलाकृति बनाने का अवसर मिला। पास में समुद्र होने के कारण कभी मंदिर कभी महल तो कभी देवताओं का चित्र उकेर देता था। लोगों ने जब पसंद किया तो कारवां यहां तक आ पहुंचा।
पत्रकारों से मुखातिब होने से पहले प्रेस क्लब अध्यक्ष शशिकांत कोन्हेंर और अन्य पदाधिकारियों ने पद्मश्री सुदर्शन पटनायक, संगीतकार मोहंती और सुष्मिता दास का बुके देकर सम्मानित किया। इस मौके पर बड़ी संख्या में पत्रकार उपस्थित थे। पटनायक ने सभी प्रश्नों का जवाब सहज और सरल अंदाज में देकर खुश किया।
एक सवाल के जवाब में पटनायक ने बताया कि जहां रेत है वहां कला भी है। हो सकता है कि रेत की गुणवत्ता में अंतर हो लेकिन कलाकार अरपा की रेत में भी कला का प्रदर्शन कर सकता है। सुदर्शन ने बताया कि बचपन गरीबी से लड़ते हुए बीता। जहां काम करता था उस घर से समुद्र लगा हुआ है। समय निकालकर रेत पर कुछ बना देता था। लोगों ने बहुत पसंद किया। आज लोगों के उत्साहवर्धन ने मुझे यहां तक ले आया। सैंड आर्टिंस्ट ने बताया कि मैने अभी तक आठ गिनिज बुक रिकार्ड बनाया है। आगे भी यह प्रयास जारी रहेगा।
एक सवाल के जवाब में सुदर्शन ने बताया कि अभी तक मैने 50 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में शिरकत किया है। मेरे आर्ट का विषय बिलकुल सम-सामयिक होता है। जो दिल को अच्छा लगता है वही करता हूं। लोगों को पसंद भी आता है। उन्होने बताया कि सैंड आर्ट हमारे यहां सदियों से है। लेकिन उसे बहुत ध्यान नहीं दिया गया। इसलिए लोगों तक जानकारी नहीं पहुंची। मैने देखा कि विदेशों में सैंड आर्ट का बहुत क्रेज है। यूक्रेन में मैं जब पहली बार सैंड आर्ट की उन्नत स्वरूप देखा तो उस दिशा में मुझे कुछ करने का जूनून पैदा हुआ। आज देश में करीब पांच हजार से अधिक सैंड आर्टिस्ट हैं। अच्छा काम भी कर रहे हैं।
सुदर्शन ने बताया कि बिलासपुर में आज मैं ग्लोबल वार्मिंग को लेकर कार्यक्रम पेश करूंगा। इसके जरिए बदलते वातावरण पर सैंड एनिमेशन के जरिए पर्यावरण पर आने वाले संकट को रखने का प्रयास करुंगा। सुदर्शन ने बताया कि इंडिया गाट टैलेंट और विदेशों में आयोजित कई टैलेंट हंट में मुझे शामिल होने का अवसर मिला है। मेरे शिष्यों ने भी जगह-जगह सैंड आर्ट का परचम लहराया है।
पत्रकारों को संगीतकार मोहंती ने भी संबोधित किया। उन्होंने बताया कि बुद्धिज्म पर हम एक सिनेमा बना रहे हैं। जिसमें लोगों को सुदर्शन की कलाओं का जीवन्त स्वरूप में देखने का अवसर मिलेगा।