मुरैना से बिलासपुर आने में घड़ियाल को लग गए 35 साल

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     crocod                                      ( प्राण चड्डा )
     बिलासपुर ।   ‘मुरैना से बिलासपुर तक घड़ियाल को आने में 35 साल लग गए, 2 घड़ियाल दो साल पहले पहुँच गए थे और चार के कल पहुंचने की उम्मीद है..दरअसल ये कहानी है सरकारी योजना की सफलता की आँखों देखी.!
                 मगर और घड़ियाल में विशेष अंतर उनकी थूथन में होता है ,,मगर का जबड़ा पुष्ट और घडियाल का आरे से दांतों वाला लम्बा और ऊपर घड़े सी बनावट,,आज से करीब 40 साल पहले भारत से घड़ियाल लगभग लुप्त हो चुके थे. बचे हुए कुछ चम्बल नदी के घड़ियालों को बचाने’ मुरैना में राजस्थान जो जोड़ने वाले पुल के करीब घडियाल परियोजना शुरू की गई,,!
             तब मप्र विभजित न था और बात सन 1980 के आसपास की है, मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने एक संभाग के पत्रकारों को दूसरे सम्भाग की संस्कृति और विकास से परिचित करने दौरे कराए थे.. , छ्तीसगढ़ के पत्रकारों के दल में छह सदस्य रहे ,,इनमे रायपुर देशबन्धु के सुनील माहेश्वरी,बिलासपुर टाइम्स से राजू तिवारी और लोकस्वर’ से मैं टेकनपुर, शिवपुरी,ओरछा होते मुरैना पहुंचे ।कलेक्टर रहे संदीप खन्ना,..। हम मुरैना के रेस्ट हॉउस में रुके पता चला यहाँ इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार कुछ दिनों पहले रुके थे । जिन्होंने चम्बल नदी के पार धौलपुर में ‘कमला’ को खरीद कर तहलका मचा दिया था,,[बाद इसपर फिल्म बनी ,,!
                अगले दिन पत्रकारों के दल ने घड़ियाल परियोजना को देखा । तब चम्बल में रेत उत्खनन रोक दिया गया था और घड़ियाल के अंडे खोज कर इन्क्युवेटर में उनको रख निर्ध्रारित तापमान पर बच्चे निकलते   । फिर उनको बड़ा कर वापस चम्बल नदी में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है  । शिकार पर रोक लगी थी   !
               अब चम्बल से जब ये घड़ियाल बढे तो जू भी भेजे गए  ।ये कभी लम्बे होते हैं और आरे-दार दांतों के जबड़े से युक्त पर ये मछली खाने की लिए विकसित हुए है   । यह  आदमी पर कम हमला करता है ….। बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में घडियाल के दो छोटे बच्चे दो साल पहले इंदौर जू से लाये गए थे । आज वो तीन फूट के हो रहे हैं  ।  अब चार घड़ियाल एक- दो दिन में और वहां से लाये जा रहे हैं  । बिलासपुर से चार लोमड़ी और तीन’ बेंडड कैरत’ सांप के बदले दो साही और चार घड़ियाल मिल रहे है । जू प्रभारी टी आर जायसवाल ने बताया डा. पीके चन्दन, वन अधिकारी विश्वनाथ ठाकुर इस अदलाबदली के लिए यहाँ से रवाना हो चुके हैं  ।
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