बिलासपुर—अरपा किसी की दुश्मन तो है नहीं…बिलासपुरवासियोंं की मां का दर्जा जो हासिल है। जो चाहे….जैसे चाहे..रेत निकाले..किसी के बाप का क्या जाता है।…जाता तो अपना ही है…। इसलिए शहर चुप और अधिकारी मौन हैं.।..कोनी से लेकर निरतु तक अधाधुंध रेत का दोहन हो रहा है।…रेतमाफिया मस्त हैं..अधिकारी तंदुरूस्त हैं। सबको बराबर हिस्सा मिल रहा है। जाहिर सी बात है किसी को दर्द भी नहीं हो रहा है।…लिखने पढ़ने से कुछ होना जाना तो है नहीं ।… लेकिन दर्द है कि मानता ही नहीं है…। अरपा को बचाने के लिए क्या क्या नौटंकी नहीं हुई…..। एक महीने पहले रिवर वाल भरभरा कर गिर गया..किसी को खबर नहीं है…करोड़ों रूपए से तैयार किया था वाल…लेकिन किसी को क्या मतलब। बताएं भी तो किसे..जब खनिज विभाग ही अरपा को बरबाद करने पर अमादा हो।
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यह पीड़ा है बिलासपुर के एक सामान्य नागरिक की। जिसने अरपा को बचाने की कसम खाई है। अधिकारियों के सामने नाक रगड़ा है। अब थका सा महसूस कर रहा है। अरपा को तड़पते..बरबाद और बांझ होते देख रहा है…।
खनिज अधिकारी का दावा है कि ट्रैक्टर के अलावा अरपा से बड़ी गाड़ियों से रेत परिवहन नहीं होगा।..बयान में सच्चाई कम शोशोबाजी कुछ कम नहीं..बल्कि बहुत ज्यादा है…। अरपा को नोचने, खसोटने ट्रैक्टर को खुली छूट मिल गयी है…लेकिन अब भी रेत से भरे हाइवा..हवा की चाल से सरपट दौड़ रहे हैं। कोनी, निरतु,खरकेना,सेन्दरी,कछार सभी जगह रेत उत्खनन न केवल मशीन से हो रहा है। बड़ी गाड़ियां आदेश की धज्जियां उड़ाते और मुंह चिढ़ाते रेत ढो रही हैं। चोरी छिपे नहीं…सीना जोरी के साथ। रेत माफियों में इतना दुस्सास केवल खनिज अधिकारी के ऊंची बयानबाजी के कारण है। लेकिन अधिकारी गांधारी की तरह कुछ देखने को तैयार नहीं हैं।
खनिज विभाग सूचना मिलने के बाद ही कार्रवाई करता है। तनख्वाह कम पड़ती है इसलिए एसी से निकलना नहीं चाहता हैं। किसी की शिकायत पर अधिकारी शरीर को कष्ट देते भी हैं तो तब तक रेतमाफिया नौ दो ग्यारह हो चुके होते हैं। मिलीभगत की अच्छी बांडिग का इससे बड़ा उदाहरण और किसी विभाग में शायद ही देखने को मिलता हो।
बहरहाल खनिज विभाग ने ठान लिया है कि बड़े वाहनों को अरपा में घुसने नहीं दिया जाएगा।…अलग बात है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।…यदि कुछ हो रहा है तो …सब पहले की तरह…। खनिज विभाग ने यह निर्णय केवल कुछ रसूखदारों को फायदा पहुंचाने के लिए लिया है। क्योंकि रसूखदारों की रसूख तन मन धन से खनिज विभाग के लिए पूज्य है। लोगों की माने तो पुराने निजाम के समय इन रसूखदारों ने खनिज विभाग के वर्तमान निजाम को सहारा दिया था। यह जानते हुए भी रसूखदार परिवार अधाधुंध अवैध तरीके से रेत का उत्खनन कर रहा है…खुदाई से रिवर वाल भरभरा के गिर गया है। बावजूद इसके खनिज महकमें को न तो गिरी हुई दीवार दिखती है और ना ही धूल उड़ाते हाइवा..।
लोगों की माने तो साहब ने ट्रैक्टर के पीछे रसूखदारों को चोरी छिपे रेत उत्खनन की खुली छूट दी है। इसके पहले दूसरा कोई काम करे..रसूखदार के काम को रोककर साहब दूसरों पर छापामार कार्रवाई कर देते हैं। कुछ दिनों बाद रसूखदार को अवैध उत्खनन की खुली आजादी मिल जाती है। बिलासपुर के एक सामान्य इंसान ने बताया किर खनिज विभाग वाले साहब को ऊंचे लोगों की सरपरस्ती हासिल है। सरपरस्ती को बचाने बिलासपुर जिले में हजारों ईंटभठ्ठा बिना इजाजत चल रहे हैं।
एक कर्मचारी ने बताया कि खनिज विभाग पत्रकारों के सहारे चलता है। जब पत्रकारों की नजर जाती है…साहब की कार्रवाई वहीं होती है। जहां पत्रकार नहीं पहुंचे..साहब की नजर वहीं पहुंचती ही नहीं…वहां उनका सेवक जाता है। जगह जगह छापामार कार्रवाई के बाद फिर लौट आता है। बहरहाल ट्रैक्टर के बहाने हाइवा से बेंइतहा रेत की चोरी हो रही है। साहब के इशारे में सभी लोग अरपा को नोच खसोंट रहे हैं। चोरी से हाइवा और सीनाजोरी से ट्रैक्टर से रेत का अवैध परिवहन हो रहा है। फोकलेन भी चल रहा है…तुर्काडीह पुल तो बरबाद हो ही चुका है…अब तो रिवर वाल भी गिर गया है…। लेकिन खनिज साहब को अरपा की आवाज नहीं सुनाई दे रही है जो चीख चीख कर कह रही है कि ..मुझे खनिज विभाग से बचाओ…।