यहां एसपी की नहीं सटोरियों का चलता है…पुलिस के साए में होता है सट्टे का कारोबार…लोगों में आक्रोश

BHASKAR MISHRA
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s.p. officeबिलासपुर—गौरेला में स्थानीय रसूखदारों की सरपस्ती और पुलिस अधिकारियों की शह पर सट्टापट्टी का कारोबार चलता है। यहां पुलिस कप्तान का आदेश कोई मायने नहीं रखता। स्थानीय पुलिस आलाधिकारी सटोरियों के खिलाफ कार्रवाई से परहेज करते हैं। यही कारण है कि सटोरियों के हौसले बुलंद हैं। अब तो जनसामान्य को धमकी भी देने लगे हैं कि जो करना है कर लो। पुलिस उनकी मुठ्ठी में है। क्योंकि उन्हें भी तो हमारी जरूरत है।

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            नाम नहीं छापने की शर्त पर गौरेला के एक युवक ने बताया कि नगर में पुलिस की शह पर सट्टापट्टी का खेल खुलेआम होता है। गौरेला का एक एक व्यक्ति जानता है कि सट्टापट्टी कौन काटता है। फिर भी पुलिस को नहीं मालूम सुनकर आश्चर्य होता है। सटोरियों को किसका सहयोग मिल रहा है..जनता अच्छी तरह से जानती है। युवक ने बताया कि कई बार बिलासपुर जाकर तत्कालीन कप्तान मयंक श्रीवास्तव से लिखित में शिकायत की। बावजूद इसके सट्टापट्टी का खेल बंद नहीं हुआ। यहां तक की कोरबा स्थानांतरण से एक दिन पहले  एसपी मयंक श्रीवास्तव से मिलकर सटोरियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। पुलिस कप्तान ने तत्काल गौरेला डीएसपी को ना केवल फटकारा। बल्कि बार बार कहे जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं किए जाने पर नाराजगी भी जाहिर की। उन्होने मोबाइल पर सख्त निर्देश दिया कि सटोरियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर 24 घंटे के अन्दर रिपोर्ट दें। बावजूद इसके स्थानीय पुलिस ने सटोरियों के खिलाफ ना तो कार्रवाई की और ना ही रिपोर्ट दिया।

एसपी ने दी थी सटोरियों की जानकारी

           mayank...sp जानकारी के अनुसार जितनी बार पुलिस कप्तान मयंक श्रीवास्तव को गौरेला के लोगों ने लिखित  जानकारी दी। उतनी बार पुलिस कप्तान ने स्थानीय पुलिस अधिकारियों को सटोरियों के खिलाफ कार्रवाही करने को कहा। बावजूद इसके एक भी बार पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। शिकायत के अनुसार सभी सटोरिए लम्बे समय से सट्टापट्टी काटने का काम करते हैं। कार्रवाई नहीं होने से उनके हौसले अब काफी बुलंद हो गए हैं।

पुलिस की शह पर सट्टापट्टी का कारोबार

                 शिकायत के अनुसार चिन्टू जायसवाल पिता कौशल प्रसाद जायसवाल भठ्ठाटोला,  भट्ठी चक्रधारी निवासी पुराना गौरेला, टिर्रा रोहणी निवासी अम्बेडकर नगर और डोमन राठौर खुलेआम सट्टा पट्टी खिलाते हैं। कभी कभी तो सट्टा पट्टी काटते समय सटोरियों के आस-पास पुलिस के स्टार कर्मचारी और अधिकारी भी मौजूद रहते हैं।

रूपयों की लालच में दलदल में छात्र,युवा और ग्रामीण

              खुलेआम सट्टा पट्टी के खेल में युवा,स्कूली छात्र और भोले भाले ग्रामीण दलदल में फंस रहे हैं। सटोरियों ने कई घरों को तोड दिया है। कई लोगों की समप्ति को हडप लिया है। कई घर विखरने के कगार पर खड़े हैं। गौरेला की युवा पीढ़ी बरबाद हो चुकी है। नशे में फंसकर लूट पाट जैसी घटनाओं को अंजाम देने लगे हैं। अपराधियों के हौसले बुलंद हो गए हैं। न्यायाधीश के आवास में भी चोरी जैसी घटना को अंजाम देने से बाज नहीं आ रहे हैं। सटोरियों और अपराधियों के चलते महिलाओं और लड़कियों का बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। बावजूद इसके गौरेला पुलिस हाथ पर हाथ रखकर बैठी है। इतना ही नहीं पुलिस कप्तान के आदेश को भी दरकिनार करने से बाज नहीं आ रही है।

मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता

                          सटोरियों के खिलाफ स्थानीय लोगों में जबरदस्त आक्रोश है।बार बार शिकायत के बावजूद पुलिस कार्रवाई नहीं होने से सटोरियों में अब डर नाम की चीज नहीं है। सीजी वाल को खुद सटोरिया चिन्टू जायसवाल और उसके साथियों ने बताया कि हां मैं सट्टा पट्टी काटने का काम करता हूं। जिसे जो करना है कर ले। मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड सकता है। क्योंकि मैं पुलिस को खुश रखता हूं। मेरे खिलाफ थाने में कई अपराध दर्ज हैं…यदि किसी में दम है तो कार्रवाई करके दिखाए।

              स्थानीय लोगों ने बताया कि चिन्टू आदतन बदमाश है। उसके खिलाफ थाने में कई बार शिकायत हुई है। लेकिन पुलिस ने उसके खिलाफ आज तक कार्रवाई नहीं की है। यहां तक पुलिस कप्तान से भी कई बार लिखित शिकायत की गयी। लेकिन सटोरियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। इससे जाहिर होता है कि पुलिस से ज्यादा मजबूत गौरेला के सटोरिए हैं।

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