रजिस्ट्रार ने पेश किया एक साल का लेखा जोखा..बताया….31 हजार से अधिक मामलों का हुआ निराकरण

BHASKAR MISHRA
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high_court_visualबिलासपुर— हाईकोर्ट रजिस्ट्रार जनरल ने बताया है कि पिछले एक साल में उच्च न्यायालय ने करीब साढ़े 31 हजार मामलों को निराकृत किया है। निचली अदालतों में बीस लाख से अधिक मामले निराकृत हुए हैं।न्यायालयों में प्राथमिकता के आधार पर बच्चों,महिलाओं,बृद्धों और दिव्यांगों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई हुई है।

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                                     छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर रजिस्ट्रार जनरल गौतम चौरड़िया ने न्यायायिक गतिविधियों की पिछले एक साल की जानकारी दी है। गौतम चौरड़िया ने 1 जनवरी 2017 से 31 दिसंबर 2017 तक न्यायिक कार्यों का लेखा जोखा सबके सामने पेश किया। चौरड़िया ने बताया कि उच्च न्यायालय ने 2017 में कुल 31 हजार 493 मामलों को निराकृत किया है। निचली अदालतों ने कुल 20 लाख 84 हजार 838 मामले निराकृत किये हैं। पिछले साल उच्च न्यायालय में कुल 33 हजार 307 नये केस दर्ज हुए। जबकि निचली अदालतों में नए दर्ज केस की संख्या 1 लाख 95 हजार 402 हैं।

              रजिस्ट्रार चौरड़िया ने बताया कि उच्च न्यायालय में  प्रत्येक शनिवार को आपराधिक मामलों की विशेष बेंच बैठती है। निचली अदालतों द्वारा स्पेशल लिस्ट प्रक्रिया अपनायी गई है। प्रक्रिया के तहत रेडी केसेस को प्रतिदिन सुनवाई के लिये चिह्नित किया गया है। प्राथमिकता के आधार पर केसों की सुनवाई के लिये यूनिफॉर्म लिस्टिंग पॉलिसी की शुरुआत की गई है। इसके तहत महिलाओं, बच्चों, वृद्धों और दिव्यांगों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की सुनवाई होती है।

                लोक अदालतों और राष्ट्रीय लोकअदालतों में 26 हजार 710 लंबित प्रकरणों का निपटारा किया गया है। इसी तरह 183 करोड़ से अधिक राशि के क्लेम और विवाद का निराकरण किया गया।  मध्यस्थता से कुल 534 मामलों का निपटारा हुआ है। राज्य में मध्यस्थता नीति का फायदा लोगों को मिल रहा है। रजिस्ट्रार के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के जरिये विधिक जागरूकता कार्यक्रमों और सेमिनार का आयोजन किया गया। 6 लाख 53 हजार 836 नागरिकों ने लाभ आयोजन का फायदा उठाया। इसके अलावा राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी ने ईस्ट जोन.1 रीजनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया। आयोजन में छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार के न्यायिक अधिकारियों ने हिस्सा लिया। पिछले साल से छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने निर्णयों की कापी हिन्दी में देना शुरू किया है।

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