रमन सरकार में अत्याचार और आतंक का शिकार होते रहे आदिवासी, मोहन मरकाम बोले – हित में काम कर रही भूपेश बघेल सरकार

Shri Mi
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रायपुर।प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रदेशवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की बधाई देते हुये कहा कि इस बार विश्व आदिवासी दिवस छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज के लिये बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि छत्तीसगढ़ में अब आदिवासी समाज सहित वर्गो की चिंता करने वाली मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार है। राज्य बनने के बाद पहली बार आदिवासी समाज को ऐसा लग रहा है कि सरकार मे उनकी भागीदारी के साथ आदिवासियों की आर्थिक और सामाजिक उन्नति के लिये निर्णय लिये जा रहे है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आदिवासी वर्गो की हित में अनेक जनकल्याणकारी फैसले लिये है एवं आदिवासियों की पहचान और अस्मिता के अवसर पर छुट्टी घोषित की है। जिससे आदिवासियों सहित सभी छत्तीसगढ़वासियों में हर्ष का वातावरण है। कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार के लगातार आदिवासी हित में काम कर रही है।सीजीवालडॉटकॉम के WhatsApp Group से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे

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प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के तीन साल बाद बनी रमन सिंह जी की सरकार 15 साल तक आदिवासियों की शोषण ही करती रही। आदिवासियों की जल, जंगल, जमीन को हड़पने की नीयत से काम करने वाली भाजपा की ही सरकार रही है।

पूर्व की रमन भाजपा की सरकार के दौरान छत्तीसगढ़ में जो बड़े पैमाने पर वन अधिकार पट्टों का रिजेक्शन हुआ है उसके पीछे प्रमुख कारण प्रशासनिक लापरवाही और भाजपा सरकार के राजनैतिक इच्छाशक्ति की कमी थी। वन अधिकार कानून का सही पालन छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने जानबूझकर नहीं किया। पूरे प्रदेश और खासकर बस्तर में आदिवासी समाज भाजपा की रमन सिंह सरकार में अत्याचार और आतंक का शिकार बनते रहा।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिये शुद्ध आदिवासियों की प्राधिकरण बनाकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की नेतृत्व वाली सरकार ने बस्तर, सरगुजा और मध्यक्षेत्र विकास प्राधिकरण में आदिवासी अध्यक्षों की नियुक्ति कर आदिवासियों की मांग को पूरा किया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के दौरान 15 साल तक इन आदिवासी प्रधिकरण की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री खुद रखते थे और आदिवासी मांग करते थे आदिवासियो की विकास के लिए बनाए गए प्राधिकरण की जिम्मेदारी आदिवासी को दिया जाये। लेकिन भाजपा ने आदिवासियों की मांग को अनसुना किया था। जंगलों में रहने वालों की बेदखली के फैसले से उत्पन्न स्थिति के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा की गयी पहल के परिणामस्वरूप 11 लाख 80 हजार आदिवासी परिवारों को घर-द्वार, खेत-खलिहान से बेदखली के संकट से राहत मिला।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार द्वारा आदिवासियों के हित में लिये गये फैसले आदिवासियों के जीवन स्तर और सामाजिक स्तर का बढ़ायेगा।

कांग्रेस सरकार के आदिवासी हित में लिये गये प्रमुख फैसले

ऽ गलत आरोपों की आशंका को देखते हुये जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिये सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति का गठन।
ऽ जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) के पैसे का उपयोग अब आदिवासियों का जीवन स्तर सुधारने के लिये किया जाएगा।
ऽ स्थानीय युवाओं को सरकारी भर्तीयों में प्राथमिकता देने के लिये आदिवासी अंचलों बस्तर एवं सरगुजा में कनिष्ठ कर्मचारी बोर्ड के गठन की घोषणा।
ऽ लोहाण्डीगुड़ा (बस्तर) में उद्योग नहीं लगाने पर टाटा से जमीन वापस लेकर आदिवासियों को लौटाया, 4200 एकड़ जमीन वापस, राजस्व अभिलेखों में नाम दर्ज की कार्यवाही पूर्ण।
ऽ देश में सबसे ज्यादा तेन्दूपत्ता मजदूरी 4000 रू. प्रति मानक बोरा।
ऽ अब 15 वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर।
ऽ बस्तर में फूड पार्क का शिलान्यास।
ऽ भोपालपट्नम में बांस आधारित कारखाना,
ऽ 5वीं अनुसूची के जिलों में बस्तर,
ऽ सरगुजा संभाग तथा कोरबा जिले में तृतीय तथा चतुर्थ श्रेणी के पदों पर स्थानीय लोगों की भर्ती हेतु आयु में 3 वर्षो की छूट आदेश जारी।
ऽ एनएमडीसी के नगरनार प्लांट में ग्रुप सी तथा डी की भर्ती परीक्षा दंतेवाड़ा में ही कराने को लेकर एनएमडीसी को कराया सहमत।
ऽ नक्सल पीड़ित युवा बेरोजगारों को डीएमएफ मद से बीएड की डिग्री पूर्ण होने पर मिलेगा रोजगार।
ऽ बस्तर तथा सरगुजा आदिवासी विकास प्राधिकरणों में पहले मुख्यमंत्री ही अध्यक्ष होते थे, अब स्थानीय आदिवासी विधायकों को अध्यक्ष, उपाध्यक्ष का पद दिया गया।
ऽ इंद्रावती नदी विकास प्राधिकरण का गठन।
ऽ बस्तर-सरगुजा विकास प्राधिकरण के साथ-साथ मध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण का भी गठन कियायगा।
ऽ बस्तर में आदिवासी संग्रहालय की स्थापना।
ऽ डीएमएफ मद की राशि का उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, पेयजल, रोजगार, खाद्य प्रसंस्करण, संस्कृति संरक्षण, हितग्राही मूलक कार्यो को बढ़ावा देने एवं कुपोषण दूर करने के लिये दिया जायेगा।
ऽ अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिये 16 हजार करोड़ रू. का प्रावधान।
ऽ पिता के जाति प्रमाण पत्र के आधार पर बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र के साथ मिलेगा जाति प्रमाण पत्र।
ऽ आदिवासी अंचलों में कुपोषण एनीमिया से पीड़ित शत्-प्रतिशत महिलायें एवं बच्चों को प्रतिदिन पौष्टिक भोजन कराने की व्यवस्था।
ऽ सभी हाट बाजारों में चिकित्सा सुविधा।
ऽ बस्तर संभाग के प्रति परिवार को चने के साथ निःशुल्क 2 किलो गुड़।
ऽ वन्य प्राणियों द्वारा जनहानि (मृत्यु होने पर) क्षतिपूर्ति सहायता राशि 4 लाख रू. से बढ़ाकर 6 लाख रू.।
ऽ सरगुजा में नये 100 बिस्तर जिला चिकित्सालय हेतु 135 पदों का सृजन।
ऽ तोंगपाल, गादीराम एवं जगरगुण्डा को उप-तहसील का दर्जा।
ऽ जशपुर में एस्टोटर्फ हॉकी मैदान का निर्माण शीघ्र होगा।
ऽ सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित जगरगुण्डा सहित 14 गांवों की एक पूरी पीढ़ी 13 वर्षो से शिक्षा से वंचित थी। अब यहां स्कूल भवनों का पुनर्निर्माण कर दिया है। साथ ही कक्षा पहली से बारहवीं तक बच्चों का प्रवेश प्रारंभ हो गया है। 330 बच्चों को निःशुल्क आवासीय सुविधा भी उपलब्ध करायी जाएगी। इस तरह तेरह साल के अंधेरे के बाद शिक्षा की लौ फिर एक बार जल उठी है।
ऽ तेंदूपत्ता की खरीदी 2500 से बढ़ाकर 4000 रू. कर दी गयी है।

By Shri Mi
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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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