राजनीति का शिकार हो गया सहायक शिक्षक फेडरेशन ,संस्थापक सदस्य ने कहा -शिक्षकों को दिखा रहे ज्ञापनों का मायाजाल

Shri Mi
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बिलासपुर।प्रदेश के सहायक शिक्षको की समस्याएं को लेकर अस्तित्व में आये सहायक शिक्षक फेडरेशन  के नेताओ को ज्ञापन मेनिया हो गया है। इसका शीर्ष नेतृत्व  वर्ग तीन के हितों के  संघर्ष  की लड़ाई छोड़  ज्ञापन बाजी के साथ फोटो पॉलिटिक्स कर रहा है ।सड़क की लड़ाई अब ज्ञापनों में उतर आई है। ऐसा संघर्ष समझ से परे है। यह आरोप लगाते हुए सहायक शिक्षक फेडरेशन के संस्थापक  सदस्य रहे इदरीस खान ने बताया कि फेडरेशन के नेता मनीष मिश्रा और सुखनंदन यादव राजनीति का शिकार हो गए हैं।सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिए यहां क्लिक करे

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वर्ग तीन के शिक्षको के हितों की रक्षा वे कागजो में कर रहे  है। इसके शिखर के नेता शिक्षको के हक की लड़ाई में  नाखून कटवा कर खुद को शहीद का दर्जा दे रहे है। प्रदेश के वर्ग तीन के प्राथमिक शाला के शिक्षको को ज्ञापनों का मायाजाल दिखा रहे है। 

प्राथमिक शिक्षक संघ के शिक्षक नेता  इदरीस खान ने बताया कि  हमने वर्ग तीन की आवाज को बुलंद करने के लिए फेडरेशन खड़ा किया था। दिशा भटकने और फेडरेशन की कार्यप्रणाली से असंतुष्ट होकर हमने फेडरेशन से दूरी बनाई और वर्ग तीन की आवाज को नए मंच से बुलंद करने के लिए एक दिवसीय आंदोलन का आगाज किया था। वर्ग तीन की प्रमुख मांगो को लेकर हमने एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय अधिकार रैली की थी।   जिसका फेडरेशन के नेताओ ने ही  जमकर विरोध किया।इन्होंने  रैली आंदोलन को विफल बनाने में कोई कसर नही छोड़ी …!  जिससे वर्ग तीन बिखर गया। 

इदरीस खान ने बताया कि शिक्षा कर्मीयो का इतिहास गवाह है कि  आज तक जो भी मिला है । वह आंदोलन औऱ संघर्ष से मिला है । फेडरेशन के नेता संघर्ष से डर रहे है। वर्ग तीन को फरवरी मे मांग पुरा होने का दिवास्वप्न दिखा कर मनीष मिश्रा  व सुखनन्दन यादव ने आंदोलन से रोका अब फिर से मांगों को टरकाने के लिए ज्ञापनों पर आ गए हैं।

स्थिति यह है कि ज्ञापन सौंपते सौपते सहायक शिक्षक रिटायरमेंट के कगार पर आ गए है। फेडरेशन का शीर्ष नेतृत्व अब राजनीति खिचड़ी सेकने का केंद्र बन गया है। 

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पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
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