राजपथ पर बिखरी छत्तीसगढ़ी कला एवं संस्कृति की मधुर छटा,गणतंत्र दिवस पर निकली छत्तीसगढ़ की झांकी ने लाखो दर्शकों का मन मोहा

Shri Mi
2 Min Read

नई दिल्ली। गणंतत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के राजपथ पर निकली छत्तीसगढ़ की झांकी ने छत्तीसगढ़ की समद्ध कला एवं संस्कृति की मधुर छटा बिखेर दी। छत्तीसगढ़ की झांकी में राज्य के पारंपारिक शिल्प और आभूषण को प्रदर्शित किया गया है। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर ब्राजील के राष्ट्रपति जायर मेसियस बोल्सनारो, भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने तालिया बजाकर छत्तीसगढ़ की झांकी की सराहना की। राजपथ पर उपस्थित लाखों दर्शकों ने भी छत्तीसगढ़ के झांकी की तालियों की गड़गड़ाहट के साथ सराहना की।

Join Our WhatsApp Group Join Now

छत्तीसगढ़ की झांकी में राज्य के लोकजीवन के विशाल फलक को संक्षेप में प्रस्तुत करती है। इस झांकी में जनजातीय समाज की शिल्पकला के माध्यम से उनके सौंदर्य-बोध को रेखांकित किया गया है। आभूषणों से लेकर तरह-तरह की प्रतिमाओं और दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं तक इस शिल्पकला का विस्तार देखा जा सकता है।

झांकी के ठीक सामने वाले हिस्से में नंदी की प्रतिमा है, जिसे शिल्पकार ने बेलमेटल से तैयार किया है। यह ढोकरा-शिल्प का बेहतरीन नमूना है। अत्यंत सुंदरता के साथ अलंकृत यह प्रतिमा लोकजीवन के आध्यात्मिक पक्ष को तो सामने लाती ही है, पशु-पक्षियों के प्रति उनके अनुराग को भी प्रदर्शित करती है। इसी शिल्प के निकट नृत्य-संगीत की कला परंपराओं को दर्शाया गया है। झांकी के मध्य में पारंपरिक आभूषणों से सुसज्जित आदिवासी युवती है, जो अपने भावी जीवन की कल्पना में खोई हुई है।

झांकी के आखिर में धान की कोठी है, ढोकरा शिल्पी ने इस पर अपनी शुभकामनाओं का अलंकरण किया है। निकट ही लौह शिल्प में नाविकों के माध्यम से सुख के सतत प्रवाह और जीवन की निरंतरता को दर्शाया गया है।

By Shri Mi
Follow:
पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर
close