बिलासपुर(मनीष जायसवाल)मुख्यमंत्री राहत कोष में स्वेच्छा से योगदान के लिए वित्त विभाग से 22 मई को जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी कर्मचारी संगठनों से प्राप्त ज्ञापनो के आधार पर मई 2020 का एक दिन का वेतन स्वेच्छा से कटौती किया जाना है जिस के निर्देश दिए गए हैं। हाँलाकि आदेश में स्पस्ट रूप से सबकी कम्पलसरी कटौती का आदेश नही है बल्कि इसमें स्वैच्छिक शब्द का उल्लेख है! इस आदेश के अलग अलग मायने निकाले जा रहे है। सुरजपुर जिला कोषालय से 21 मई को जारी आदेश में भी जिले के सरकारी कर्मचारियों को स्वेच्छा से वर्तमान माह के एक दिन के वेतनमान को मुख्यमंत्री राहत कोष में दान देने की अपील की है। परन्तु अर्थों के अनेक अर्थ निकलते है। सीजीवालडॉटकॉम के व्हाट्सएप NEWS ग्रुप से जुडने के लिए यहाँ क्लिक करे
जिसके लिए जवाब देह सिस्टम में बैठे कुछ लोग है। अंदर खाने की माने तो कोरोना काल के शुरूवाती चरण में कई शिक्षको ने पांच सौ से हजार तक कि राशि PM / CM रिलीफ फंड में दान कर दी थी। इस वजह से वे एक दिन का वेतन देना नही चाहते थे कि किंतु उनसे कई का बिना अनुमति लिए एक दिन का वेतन कट गया था। मसला आया और गया.. नेक कार्य के लिए एक दिन के वेतन पर विरोध नहीं हुआ ..! सम्भवतः इसी वजह से 22 मई के वित्त विभाग के आदेश पर संशय और विरोध के बादल मंडराने लगे है।
इस विषय पर छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन शिक्षक नेता संजय शर्मा का कहना है कि हमने मार्च में ही पहल कर कोरोना की लड़ाई में सहयोग हेतु मुख्यमंत्री राहत कोष में अपने संघ व सदस्य साथियो का एक दिन का वेतन जमा करा दिया है, आई ए एस व अधिकारी/कर्मचारी संगठन के लोगो के आग्रह पर यह पत्र पूर्व पत्र के संदर्भ में लिखा गया है, जिन्होंने 1 दिन का वेतन जमा किया है, उनके डीडीओ द्वारा पुनः 1 दिन का वेतन कटौती नही किया जा सकता, क्योकि वर्तमान पत्र में पूर्व पत्र का उल्लेख है। अगर कोई 1 दिन का और वेतन देना चाहते है तो, यह निर्णय वे ले सकते है।
वित्त विभाग द्वारा जारी मई माह में एक दिन के वेतन कटौती आदेश का लिपिक संघ ने विरोध किया है संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोहित तिवारी ने बताया कि समस्त कर्मचारी मार्च माह में वेतन देकर सहयोग कर चुके है वर्तमान में पुन,: वेतन कटौती के आदेश प्रसारित करने से पूर्व संघ की सहमति नहीं ली गई एवं आदेश में वेतन कटौती के लिए कर्मचारी की सहमति लेना है अथवा नहीं स्पस्ट नहीं है संघ की मांग है की बिना सहमति के वेतन ना काटा जाए कटौती स्वैच्छिक होनी चाहिए यदि जबरिया कटौती की गई तो सड़क पर उतर कर संघ पुरजोर विरोध करेगा।
इस मसले पर शालये शिक्षक संघ के शिक्षक नेता जितेंद्र शर्मा का कहना है कि वित्त विभाग से जारी आदेश में स्वेच्छा शब्द जोड़ा गया है । तात्पर्य यह कि जब तक कर्मचारी अपनी लिखित स्वीकृति नही देगा तब तक आहरण संवितरण अधिकारी उनका वेतन नही काट सकते,इसलिए जो अभी इस माह भी अपना वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष में देना चाहते है वो अपने आहरण अधिकारी को अनुमति देकर कटवा सकते हैं। जो ऐसा अनुमति नही देंगे उनका नही कटेगा।
शिक्षक नेता शिव सारथी का कहना है कि मई माह का वेतन कटौती सहायक शिक्षको की नजर में बिलकुल भी जायज नही है क्योंकि हमने स्वेच्छा से एक बार मार्च माह में अपना अंशदान दे दिया है वैसे भी सहायक शिक्षक वर्षो से कम वेतन में अपनी गृहस्थी चला रहे है।यह फरमान हमारे सहमति बगैर जारी किया गया जिसका हम विरोध करते है।
वरिष्ठ शिक्षा कर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अजय उपाध्याय का कहना है कि 22 मई का आदेश भृम की स्थिति उत्त्पन्न कर रहा है। विभाग ने स्पस्ट करना चाहिए यदि दुबारा एक दिन का वेतन काटने का आदेश शासन जारी किया है तो यह दान के स्वरूप से मेल नहीं खाता है नीति के विपरीत है .. जिसमे किसी सूरत में सहमति से नही दी जा सकती है! विभिन्न संगठनों ने ज्ञापन के आधार पर एक दिन का वेतन सभी अधिकारी कर्मचारी मुख्यमंत्री राहत कोष मे दे चुके हैं ।कोरोना काल मे सेवा दे रहे.. शिक्षक ग्रीष्मकालीन अवकाश मे भी सेवा दे रहे है। बार बार वेतन काटना कहाँ तक उचित है । हम इसका विरोध करते हैं ।
नवीन शिक्षक संध महिला प्रकोष्ठ प्रदेशाध्यक्ष उमा जाटव ने बताया कि वेतन को सहारे उनको अपने बच्चों ही पढ़ाई- लिखाई, पालन- पोषण से लेकर बुढ़े मााँ- बाप की पालन- पोषण, उनकी चिकित्सा- सेवा छोटे भाई- बहनों की। पढ़ाई- लिखाई, ,शादी- ब्याह का खर्च , सामाजिक दायित्व का निर्वहन , किराये को घर का भुगतान , नल- बिजली बिल का भुगतान तमाम तरह की जिम्मेदारी निभानी पड़ती है ।ऐसे में अगर कोई कर्मचारी अपना वेतन दान करने में असमर्थता व्यक्त करता है ,तो राज्य- शासन है निवेदन है कि उस पर किसी भी प्रकार का विभागीय दबाव ना डाला जाए ।
बलौदा बाजार के शिक्षक नेता सजंय कुमार यादव कहते है कि वेतन कटौती का आदेश दे दिया गया है जो कि उचित नहीं है इस मुसीबत के समय में बहुत से कर्मचारी वेतन के भरोसे ही हैं इस प्रकार वेतन की कटौती ठीक नही है। आदेश वापस लिया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ टीचर वेलफेयर यूनियन के शिक्षक नेता इदरीस खान का कहना है कि बिना सहमति किसी भी कर्मचारी का एक दिन का वेतन सरकार ना काटे हमने पिछले माह ही अपना एक दिन का स्वैक्छिक वेतन सरकारी राहत कोष मे देने की घोषणा की थी जिसके तहत हमने अपना वेतन मुख्यमंत्री राहत कोष क़ो दिया था ।परंतु मई 2020मे कटौती का कोई सहमति नही दिये हैै इसलिए वेतन से इस मई माह मे कोई कटौती ना किया जाये ।
गवर्नमेंट एम्प्लाइज एसोशिएशन के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार नवरंग का कहना है कि वित्त विभाग ने अपने 22 मई के आदेश को स्पस्ट करना चाहिए आदेश गोलमोल लग रहा है। कोरोना महामारी से निपटने के आर्थिक सहायता के लिए प्रदेश के शिक्षको व राज्य के अन्य अधिकारी कर्मचारियों ने ने स्वेच्छा से महीने के एक दिन का वेतनमान मुख्यमंत्री सहायता कोष में दान कर कर दिया था। जो मार्च /अप्रैल के वेतन से कट चुका है।