रिटायर्ड एसईसीएल अधिकारी ने कहा…आज भी जीवित है ईमानदारी…मोबाइल नहीं मिलती तो अनर्थ हो जाता..

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर— ईमानदारी आज भी जिन्दा है। यह बातें एक बैंक खाताधारी ने बताया। बैंक खाताधारी ने कहा जिन्दगी की गति बहुत तेज हो गयी है। किसी के पास समय नहीं है कि दो पल किसी को प्यार से याद भी कर सके। आजकल सारा काम मोबाइल में सिमटकर रह गया है। इसका शिकार मैं भी हूं। चूंकि सारे दस्तावेज भी मोबाइल में कैद हैं। इसलिए यदि आज बैंक प्रबंधन ने ईमानदार प्रयास नहीं किया होता तो शायद उनकी जिन्दगी का बहुत बड़ी जमा पूंजी हाथ से निकल गयी होती। यह बात एक बुजुर्ग ने खोयी हुई मोबाइल मिलने के बाद खुशी जाहिर करते हुए कही।
                                                      एसईसीएल सेवानिवृत अधिकारी चन्द्रशेखरन ने बताया कि मोबाइल खोना पाना जिन्दगी के तमाम गतिविधियों में से एक है। लेकिन मोबाइल के साथ जिन्दगी का दांव पर लग जाना बहुत बड़ी बात है। शुक्र है कि जिन्दगी दांव पर लगने से पहले ही मोबाइल मिल गयी। एक दिन पहले पंजाब नेशनल बैंक में मेरे साथ ऐसा ही कुछ हुआ। जो कुछ हुआ वह अपने आप में अजूबा है। अजूबा इसलिए कि यदि मोबाइल नहीं मिलती तो शायद मेरी जिन्दगी का सबसे दुखद पक्ष यहीं से शुरू हो जाता।
                                 एसईसीएल से सेवानिवृत्त सीनियर ऑफिसर चन्द्र शेखरन ने बताया कि एकं दिन पहले दोपहर 1 बजकर 45 मिनट पर लिंगियाडीह स्थित पंजाब नैशनल बैंक काम से गया। काम खत्म होने के बाद घर लौटा। इस बीच महसूस हुआ कि मोबाईल भूल गया हूं। मामले की जानकारी तत्काल शाखा प्रबंधक ललित अग्रवाल को दी। मोबाइल खोने की जानकारी मिलते ही ललित अग्रवाल ने खोजबीन कर शाखा उपप्रबंधक एलेक्स तिग्गा के हाथों ना केवल मोबाइल घर पहुंचवाया बल्कि अपने विशाल चरित्र का भी परिचय दिया।
                        मामले में चन्द्र शेखरन ने जानकारी दी मोबाइल का खोना बहुत बड़ी बात नहीं थी। लेकिन मोबाइल के अन्दर जीवन की सारी जमा पूंजी कैद है कई ऐसे दस्तावेजों की जानकारी भी है यदि किसी गलत इंसान के हाथों लग जाता तो  शायद मैं बरबाद भी हो सकता था। लेकिन बैंक प्रबंधन ने मुझे बरबाद होने और अनायास परेशानियों से बचा लिया। उन्होने ना जाने कैसे गुम मोबाइल को हासिल किया। बल्कि अधिकारी को घर भेजकर बड़प्पन का भी परिचय दिया।
             चन्द्रशेखरन ने बताया कि मोबाइल में मेरे बहुत ही  जरूरी गोपनीय रिकार्ड और दस्तावेज के साथ सम्पर्क नम्बर हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि लोगों में आज भी मानवीय दृष्टिकोण के साथ ईमानदारी जिन्दा है। खासकर पीएनबी बैंक प्रबंधन ने हमारी पीड़ा को जिस तरह से लिया निश्चित रूप से काबिल ए तारीफ है। वर्ना आज की मशीनी जिन्दगी में ना तो मानवता रह गयी है और ना ही ईमानदारी जीवित है। यदि मोबाइल किसी गलत हाथों में लग जाता तो आज उन्हें लेने के देने पड़ जाते। मैं खुद को कभी माफ नहीं कर पाता।
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