रेतघाट दिलाने विभाग पर दबाव डालने का आरोप…रेत पर महंगाई की गाज

BHASKAR MISHRA
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khanij_shakha_bsp_indexबिलासपुर—
एसीबी छापा के बाद खनिज विभाग सकते में है। उससे कहीं ज्यादा सकते में रेतघाट गांव के सरपंच हैं…तो ठेकेदार बेचैन हैं। जानकारी के अनुसार गांव का सरपंच रेतघाट का ठेका उसी को देगा…जिसे खनिज विभाग कहेगा। नहीं माने जाने पर ठेका निरस्त कर दिया जाएगा।खनिज विभाग ने दस नए रेतघाट को हरी झंडी दिखा दिया है। हरी झण्डी मिलने के बाद ठेकेदारों में सिरफुटौव्वल की स्थिति हो गयी है। लोगों की माने तो खनिज विभाग के अधिकारी अपनों को लाभ पहुंचाने फूट डालो की नीति पर चल रहे हैं।

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                      फिलहाल सरपंचों ने चुनिंदा लोगों को ही रेतघाट ठेका देने का फैसला कर लिया है। नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर एक सरपंच ने बताया कि रेतघाट का ठेका एक व्यक्ति विशेष को ही दूंगा।सीजीवाल,क्योंकि मुझे खनिज अधिकारी का निर्देश है। यदि उस व्यक्ति को ठेका नहीं दिया तो रेतघाट खुलने से पहले ही बंद हो जाएगा। उसने यह भी बताया कि दो अन्य रेतघाट भी खनिज अधिकारियों के अनुसार दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार खनिज विभाग की रणनीति पर यदि सब कुछ ठीक ठाक हुआ तो एक ट्रैक्टर ट्राली रेत की कीमत हाइवा से अधिक होने वाला है।

दो साल बाद खुला घाट.पुल की बर्बादी में खनिज विभाग भी जिम्मेदार

          करीब दो साल बाद जिला खनिज विभाग ने मंगला,निरतु, घुटकू, सेंदरी, कोनी, खरगेना, खरगहना, लमेर, कछार समेत पूरे दस घाटों से रेत उत्खनन का अधिकार सरपंच को शर्तों पर दिया है।  यह अलग बात है कि इन रेत घाटों पर उत्खनन कभी बंद हुआ ही नहीं था। सारे घाट खनिज प्रशासन की देख रेख में अवैध रूप से चल रहे थे। कभी कभार बहुत ज्यादा शिकायत मिलने खनिज प्रशासन कार्रवाई कर देता था। लेकिन सब कुछ अच्छे तरीके से तालमेल के साथ रेत का अवैध उत्खनन होता रहा। माथुर बंधुओं ने तो तुर्काडीह में कुछ इस तरह से रेत का अवैध उत्खनन किया कि करोड़ों रूपए का पुल तीन साल में ही बैठ गया।बावजूद इसके खनिज प्रशासन हाथ पर हाथ रखकर बैठा रहा। दोनों सरपंचों और खनिज अधिकारियों से मिली भगत कर घुटकू सचिव उत्तरा माथुर के भाइयों ने तुर्काडीह का बंटाधार कर दिया। कुल मिलकार दो साल तक केवल खनिज विभाग के फाइलों में ही दसों रेत घाट बंद थे। जिसके चलते सरकार को करोड़ों रूपए का नुकसान हुआ। तुर्काडीह,कोनी, सेन्दरी  और कछार का रेतघाट कभी बंद हुआ ही नहीं।

चहेते ठेकेदारों की लगी लाटरी

                       ret_1जानकारी के अनुसार खनिज विभाग ने हमेशा की तरह इस बार भी रेतघाट में मशीन लगाने को मना किया है। लेकिन रेत परिवहन ट्रैक्टर से करने का फरमान जारी किया है। जाहिर सी बात है कि रेत का दाम अब बढने वाला है। सूत्रों की माने तो खनिज अधिकारी ने ऐसा जानबूझकर किया है। ऐसा केवल हाइवा और ट्रक मालिक ठेकेदारों पर दबाव बनाने के लिए किया गया है।सीजीवाल,जो भी ठेकेदार खनिज विभाग को खुश करेगा उसी को मनचाहा रेतघाट मिलेगा। जानकारी के अनुसार हाल फिलहाल एक ठेकेदार खनिज विभाग के आंख का तारा है। जिसके लिए विभाग के अधिकारी ने घुटकू रेतघाट का ठेका देने सरपंच पर दबाव बनाया है।

ट्रैक्टर से परिवहन क्यों

               खनिज विभाग अधिकारी आर.मालवे ने बताया कि रेतघाट से केवल ट्रैक्टर से रेत परिवहन किया जाएगा। रायल्टी पर्ची सरपंचो को दी जा रही है। हाइवा और ट्रक से रेत का परिवहन नहीं किया जाएगा। एक दिन पहले घुटकू सचिव को ट्रैक्टर परिवहन की रायल्टी पर्ची दी गयी है। मालवे ने बताया कि मुझे नहीं मालूम कि घुटकू सचिव के भाईयों के पास ट्रैक्टर हैं। सरपंच और सचिव ने कहा कि ट्रैक्टर की रायल्टी पर्ची चाहिए…ऐसा ही किया गया।

                             जानकारी के अनुसार घुटकू सचिव उत्तरा माथुर चार भाई हैं। तीन भाइयों का व्यवसाय रात्रि में रेत का अवैध उत्खनन करना है। इस बात की जानकारी खनिज अधिकारी को भी है। तीनों भाइयों के पास ट्रैक्टर हैं। ओ.पी.खाण्डेकर और उत्तम खूंटे भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं।सीजीवाल,जाहिर सी बात है कि मालवे भी इस जानकारी से अनंजान नहीं हैं। खनिज विभाग यह भी अच्छी तरह से जानता है कि तुर्काडीह पुल के आसपास रेत का अवैध उत्खनन माथुर परिवार ही करता है। बावजूद इसके खनिज विभाग ने उत्तरा माथुर और उनके भाइयों को फायदा पहुंचाने ट्रैक्टर की रायल्टी पर्ची थमा दिया है। विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ट्रैक्टर से रेत परिवहन की इजाजत से माथुर परिवार की पांचो उंगली घी में हैं। खनिज अधिकारियों के सिर कड़ाही में।


रेत पर मंहगाई की गाज
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खनिज विभाग के अनुसार एक ट्रैक्टर ट्राली रेत की कीमत 60 रूपए हैं। हाइवा और ट्रक नहीं चलने पर एक ट्रैक्टर ट्राली रेत की कीमत बाजार में चार गुनी हो जाएगी। इससे खनिज अधिकारियों समेत स्थानीय नेताओं और सरपंचो के साथ सचिवों का फायदा होगा। सबसे ज्यादा फायदा माधुर परिवार को होगा। माधुर परिवार का दबदबा तुर्काडीह से लमेर तक हो जाएगा। अभी उनके पास एक एसयूव्ही तो कल तीन हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। क्योंकि रेत के खेल में बहुत फायदा है।

मालवे ने किया इंकार

                         मालवे ने बताया कि जानकारी मिली है कि मैने घाट के लिए किसी रेत ठेकेदार का नाम सजेस्ट नहीं किया है। जैसा की मुझ पर आरोप लगाया जा रहा है कि घुटकू समेत दो अन्य रेत घाटों के लिए सरपंच और सचिव पर दबाव बनाया है । मुझे इसकी जानकारी नहीं है कि घुटकू सचिव का नाम उत्तरा माधुर है। उसके भाई रेत का व्यवसाय करते हैं। मुझे यह भी नही मालूम कि उनके पास ट्रैक्टर है। उत्तरा माथुर ने घाट चालू करने आवेदन दिया था। प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद रेतघाट खोल दिया गया है। उसने ट्रैक्टर की रायल्टी पर्ची मांगी हमने दे दिया।

महंगा होगा रेत..खनिज विभाग भी दोषी

                        रेत व्यवसाय से जुड़े लोगों ने बताया कि ट्रैक्टर रेत परिवहन से रेत की कीमत बढ़ जाएगी। पहले एक ट्रैक्टर ट्राली रेत की कीमत मुश्किल से एक से डेढ़ हजार होता है। हाइवा और ट्रक नहीं चलने पर रेत की कीमत बढ़ेगी। अब यदि एक ट्रैक्टर ट्राली रेत की कीमत हाइवा के बराबर हो जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

                    खनिज विभाग ने ऐसा जानबूझकर किया है। सरपंचो और सचिवों के पास ट्रैक्टर की भरमार है। उनकी सुविधाओं का खनिज विभाग ने विशेष ध्यान रखा है। भले जनता लुटती रहे।

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