बिलासपुर—बिलासपुर मंडल रेल प्रबंधक परिसर मे गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंडल रेल प्रबंधक आर.राजगोपाल थे झण्डारोहण किया। इस दौरान अपर मंडल रेल प्रबंधक सौरभ बंदोपाध्याय मंडल सेक्रो की अध्यक्षा सुषमा राजगोपाल समेत सेक्रो की अन्य सदस्य, अधिकारी, कर्मचारी परिवार के साथ मौजूद थे।
मुख्य अतिथि राजगोपाल ने कहा कि यात्रियों के स्वच्छ, सुखद एवं आरामदेह यात्रा के लिए बिलासपुर मंडल निरंतर लगातार सक्रिय है। यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए स्पेशल गाडियों का परिचालन, अस्थायी ठहराव और अतिरिक्त कोच आवर्धन जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य कराए गए हैं। गांधीजी के स्वच्छ भारत के सपने को सार्थक और साकार करने ‘स्वच्छ रेल स्वच्छ भारत‘ की दिशा में भी बेहतर प्रयास किया जा रहा है। मंडल के 617 कोचों में 2263 बायो-टैंक उपलब्ध कराए गए हैं। गाडियों एवं सभी स्टेशनों में स्वच्छ भारत अभियान के तहत सर्वत्र स्वच्छता सुनिश्चिित कर दी गई है।
राजगोपाल ने कहा कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में रेल कर्मचारियों के 22 आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दी गई है। 1384 कर्मचारियों को प्रोन्नति प्रदान की गई है। कौशल विकास कार्यक्रम के तहत लगभग 680 प्रशिक्षार्थियों को विभिन्न विभागों में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। सेवानिवृृत्त कर्मचारियों की सुविधा हेतु शहडोल स्टेशन में अनुभागीय कार्मिक शाखा और जीवन प्रमाण-पत्र केन्द्र का शुभारंभ किया गया। कर्मचारियों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने विश्व मधुमेह दिवस, विश्व हृृदय दिवस, विश्व तंबाकू निषेध दिवस जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन कर बीमारियों से दूर रहने का परामर्श दिया गया।
अपने उद्बोधन में मुखय अतिथि ने दुहराया कि यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा पहली प्राथमिकता है।कर्मचारियों को संरक्षा संगोष्ठियों के माध्यम से बेहतरीन संरक्षा के गुर बताये गए है। गाडियों में फुटप्लेटिंग एवं विशेष संरक्षा अभियान चलाकर संरक्षा नियमों का अनुपालन सुनिश्चित किया गया है। यात्री सुरक्षा हेल्पलाइन नं 182 का व्यापक प्रचार-प्रसार कर इस साल 118 शिकायतों का त्वरित निराकरण किया गया है।
इस वर्ष 25600 रेलवे सुरक्षा बल के अधिकारियों और बल सदस्यों की तैनाती कर मंडल क्षेत्राधिकार में 4936 गाडियों का अनुरक्षण किया गया। गाडियों में 226 यात्रियों के छुटे सामान को सुरक्षित सुपुर्द किया गया। 107 गुमशुदे बच्चों को उनके परिजनों के सुपुर्द करने जैसे मानवीय कार्य किए गए।