लाकडॉउन विशेषः जब चलती स्पेशल ट्रेन में स्पेशल बच्चे ने नागपुर में लिया जन्म..सिम्स में नवजात और मां भर्ती

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर– कुदरत के खेल निराले..सचमुच निराला होता है कुदरत का खेल…। ऐसा होता भी है..। कहा भी गया है जांको राखे साइयां मार सके ना कोय..बाल न बांका कर सके..जो जग बैरी होया। ऐसे समय में जब जान के लाले पड़े हों। कोरोना का आतंक हर जगह हो..ठीक उसी समय तमाम संभावित कोरोना मरीजों के बीच एक मां चलती स्पेशल ट्रेन में सुन्दर बच्चे को जन्म  देती है। खबर दिल को सुकून देने वाली है। लेकिन स्पेशल ट्रेन के डिब्बे में घराबहट के साथ खुशफुसाहट शुरू हो गयी कि नवजात और मां सुरक्षा कैसे दी जाए। लेकिन रेलवे स्टाफ ने वह सब कर दिखाया जैसा होना चाहिए था। मां और नवजात को सुरक्षा लेने के साथ बिलासपुर में पहुंचकर सिम्स में भर्ती कराया दिया।  बहरहाल जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं। दोनों का कोरोना टेस्ट किया गया है।
  
                 मुंगेली जिले से धर्मपुरा गांव की रहने वाली ईश्वरी यादव अपने पति के साथ भोपाल कमाने खाने गयी। दोनों की जिन्दगी की गाड़ी सुख चैन से चल रही थी। इसी बीच कोरोना का आतंक दुनिया पर छा गया। भारत समेत मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा। फिर क्या था..9 महीने के पेट से ईश्वरी के सामने पहाड़ जैसी समस्या खड़ी हो गयी। ना घर में खाना था और ना ही मुंगेली लौटने के लिए सुविधा थी। जाहिर सी बात है कि वह पैदल चलने की स्थिति में नहीं थी।  जैसा की अन्य मजदूर कर रहे थे।
 
         लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास से उसे आशा किरण दिखाई दी। परिवार समेत ईश्वरी यादव भी हबीबगंज से बिलासपुर को रवाना होने वाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन में बैठ गयी। गाड़ी में बैठते समय ही ईश्वरी की हालत ठीक नहीं थी। लेकिन उसे गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाना जो था। इसलिए अपने तकलीफ को ध्यान नहीं दी। 
 
            स्पेशल ट्रेन हबीबगंज से शुक्रवार रात्रि 10 बजे बिलासपुर के लिए रवाना हुई। ट्रेन में ईश्वरी समेत कुल 15 सौ यात्री सवार थे। ईश्वरी के साथ पति धर्मपुरा गांव के  कुछ परिचित भी गाड़ी में सवार थे। यद्यपि ट्रेन में मुंगेली जिले के कुल 900 से अधिक मजदूर थे। सभी जल्दी जल्दी घर पहुंचना चाहते थे। लेकिन ईश्वरी इस दौरान अलग ही दुनिया में थी। ट्रेन के कुछ घंटे चलने के बाद ईश्ररी का दर्द बढ़ गया। 
 
                   जैसे ही स्पेशल ट्रेन नागपुर पहुंची..ईश्वरी का दर्द असह हो गया। इधर ट्रेन छूटी और ईश्वरी ने डिब्बे में एक नवजात को जन्म दिया। मामले की खबर ट्रेन के  मेडिकल और रेलवे स्टाफ तक पहुंची। सभी ने मिलकर बच्चे को जन्म में सहयोग दिया। इस दौरान स्टाफ को चिंता सताने लगी कि कही बच्चे को कोरोना का संक्रमण ना घेर ले। लेकिन पर्याप्त सुविधा के बीच जच्चा और बच्चा को सुरक्षित बिलासपुर तक लाया गया।
        
         स्पेशल ट्रेन के बिलासपुर पहुंचने से पहले ही मामले की जानकारी बिलासपुर प्रशासनिक स्टाफ और डाक्टरों को हो चुकी थी। जैसे ही ट्रेन बिलासपुर स्टेशन पहुंची। बिलासपुर के सवास्थ्य अमला समेत  प्रशासनिक और रेलवे स्टाफ ने सुरक्षा के साथ ईश्वरी यादव और नवजात बच्चे को अपने नियंत्रण ले लिया।
 
       दोनों को मेडिकल टीम ने तत्काल सिम्स के लिए विशेष एम्बुलेन्स से रवाना किया। आनन फानन में जच्चा बच्चा को सिम्स में भर्ती कराया  गया। इस दौरान दोनों को विशेष निगरानी में रखते हुए कोरोना टेस्ट भी किया गया। फिलहाल टेस्ट रिपोर्ट का इंतजार है। फिलहाल मां और बेटा दोनों स्वस्थ्य हैं।
 
 
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