बिलासपुर— कांग्रेस नेताओं ने आज मजिस्ट्रेट के सामने लाठीचार्ज की घटना को लेकर पीसीसी महामंत्री अटल श्रीवास्तव समेत कुल 37 शपथ पत्र पेश किया गया। कांग्रेस नेताओं ने बताया कि बिना चेतावनी और बिना दण्डाधिकारी आदेश के कांग्रेस भवन में घुसकर सैकड़ों नेताओं पर लाठीचार्ज किया गया। मजिस्ट्रेट को शपथ देते हुए कहा कि हम न्यायिक जांच की मांग करते हैं। इसके अलावा कांग्रेसियों ने मजिस्ट्रेट को लिखित में घटना की सिलसिलेवार जानकारी दी।
कांग्रेस नेताओं ने बताया कि 18 सितम्बर को कांग्रेस भवन में घुसकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नीरज चंद्राकर हर नारायण पाठक समेत अन्य पुलिस अधिकारीयों ने बिना कारण और चेतावनी के बिना लाठीचार्ज की घटना को अंजाम दिया। जबकि लाठीचार्ज के पहले दंडाधिकारी से आदेश भी नहीं लिया गया। कांग्रेसियों को कांग्रेस भवन के अन्दर दौड़ा दौड़ा कर पीटा गया। कांग्रेस भवन के सामने से आने जाने वाले लोगों को धमकी दी गयी।
मारपीट की घटना के बाद मुख्यमंत्री ने दंडाधिकारी जांच की घोषणा की गयी। जबकी कांग्रेस मांग है कि न्यायिक जांच की जाए। अटल,विजय केशरवानी,नरेन्द्र बोलर समेत 37 कांग्रेसियों ने अतरिक्त जिलाधीश बी.एस उइके की अध्यक्षता में गठित आयोग के सामने अंतिम दिन शपथ पत्र दिया। शपथ पत्र देने वालों में एआईसीसी के सदस्य विष्णु यादव, प्रदेश प्रवक्ता अभय नारायण राय, प्रदेश सचिव रविन्द्र सिंह, शहर महिला अध्यक्ष सीमा पाण्डेय, सुभाष सराफ, आशा पाण्डेय, अकबर अली,तरु तिवारी, कमलेश दुबे, संदीप बाजपेयी, जावेद मेमन, पंचराम सूर्यवंशीए अखिलेश बाजपेयी,हाफिज कुरैशी, शहाबुद्दीन अंसारी,अजरा खान, समेत अन्य कांग्रेसियों के नाम शामिल हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अभय नारायण राय ने बताया की विजय केशरवानी, नरेंद्र बोलर ने जाँच के लिए तय सात बिन्दुओं पर अपनी लिखित आपत्ति जताई है। कांग्रेस की तरफ से अधिवक्ता शैलेन्द्र दुबे, चंद्रशेखर बाजपेयी, लक्की यादव, हेमंत दिग्रस्कर मामले की पैरवी करेंगे।
जांच बिन्दु में भ्रामक जानकारी
शपथ पत्र पेश करने के दौरान विजय केशरवानी ने मजिस्ट्रेट जांच आदेश और निर्धारित बिन्दओं को पूर्वाग्रह से ग्रसित होना बताया है। विजय केशरवानी ने बिन्दुओं पर एतराज जाहिर करते हुए कहा कि जांच के लिए निर्धारित किए गए बिन्दुओं में कांग्रेस कार्यालय का कहीं जिक्र नहीं है। जबकि पूरे प्रदेश को मालूम है कि लाठीचार्ज की घटना कांग्रेस भवन के अन्दर घुसकर की गयी। मंत्री के बंगले के सामने विऱोद प्रदर्शन के बाद चंद मिनट में पुलिस बल कांग्रेस कार्यालय को घेकर छावनी में तब्दील कर दिया।
विजय केशरवानी और नरेन्द्र बोलर ने मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि यह जानते हुए भी लाठीचार्ज की घटना कांग्रेस कार्यालय के अन्दर हुई। बावजूद इसके बिन्दु में घटना स्थल का जिक्र नहीं किया जाना संदेह को पैदा करता है। दोनों नेताओं ने कहा कि यदि धरना प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली जाती तो मंत्री के बंगले के दोनों तरफ कांग्रेस नेताओं को रोकने बेरिकेट क्यो लगाया गया। कांग्रेसियों को रोकने के लिए पुलिस बल भी तैनात थी। बेरिकेटिंग से सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि कांग्रेसियों को धरना प्रदर्शन की इजाजत थी। जबकि मौके पर कांग्रेसियों को गिरफ्तार करने पुलिस प्रशासन ने बस की भी व्यवस्था की थी।
मजिस्ट्रेट को प्रमाण पेश करते हुए केशरवानी ने बताया कि लाठीचार्ज की घटना मंत्री निवास के बाहर नहीं बल्कि कांग्रेस भवन में हुई है। पूरे देश ने घटना का वीडियो देखा। बावजूद इसके लाठीचार्ज की घटना स्थल का उल्लेख जांच बिन्दु में शामिल नहीं किया जाना जाहिर करता है कि किसी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
विजय केशरवानी के एतराज के बाद मजिस्ट्रेट ने मामले को गंभीरता से लिया है। आश्वासन भी दिया कि जांच में किसी प्रकार की त्रुटि नही होगी। इसके अलावा केशरवानी और बोलर ने अन्य महत्वपूर्ण बिन्दु ना केवल मजिस्ट्रेट के सामने रखा..बल्कि जांच बिन्दुओं की खामियों के बारे में मजिस्ट्रेट को खुलकर बताया। कांग्रेस नेताओं ने जांच रिपार्ट तीन महीने में दिए जाने को छलावा कहा है। सभी कांग्रेसियों ने जांच कमेटी को सिरे से खारिज करते की बात कहने के बाद भी शपथ पेश किया।