लाल सलाम

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FB_IMG_1441516484068(संजय दीक्षित) रणबीर शर्मा रिश्वत कांड में आईएएस लाबी ने ट्रेड यूनियन की तरह सीएम को जा घेरा था। और, चाहे जैसे भी हो, अपना लोहा मनवा भी लिया…जो हमसे टकराएगा….। लेकिन इसका मैसेज कैसा गया, आप समझ सकते हैं। दुर्ग की महिला तहसीलदार को एसीबी ने पकड़ा तो पूरे प्रदेश के तहसीलदार, नायब तहसीलदार हड़ताल पर चले गए। इससे पहिले, एडीएम संतोष देवांगन को एक मंत्री ने सरेआम थप्पड़ मार दिया था। उस अक्षम्य मामले में भी कुछ नहीं हुआ। और, इस करप्शन के केस में….। चोरी और सीनाजोरी भी। वाह! असल में, आदर्श तो बड़े अफसरों को ही माना जाता है न। उपर वालों ने लाल सलाम बोल दिया तो नीचे वालों का भला क्या कसूर।

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पहुना में पहुना

राज्योत्सव के चीफ गेस्ट केंद्रीय वित्त और सूचना प्रसारण मंत्री अरुण जेटली राजधानी के विशिष्ट अतिथि गृह पहुना मे रात्रि विश्राम करेंगे। गेस्ट हाउस को फाइव स्टार लुक देने के बाद जेटली पहुना के पहले पहुना होंगे। इसके लिए पहुना को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है। राज्योत्सव तो है ही, पहला पहुना जो आ रहा है। वो भी भारत सरकार का रुपया-पैसा देने वाला पहुना। पहुना में दो वीआईपी और दो वीवीआईपी सूट हैं। सुविधाओं के मामले में पहुना फाइव स्टार होटल से कम नहीं है। सुरक्षा के भी चाक-चैबंद इंतजामात किए गए हैं। राज्धानी में सुविधायुक्त गेस्ट हाउस न होने के चलते बड़े केंद्रीय मंत्री राजभवन में रुकते थे। अब इसकी कमी पूरी हो गई है।

कौशिक, लेकिन….

धरमलाल कौशिक को दोबारा पार्टी की कमान सौंपने पर लोकल लेवल पर सहमति बन गई है। सीएम कैंप के वे स्वाभाविक दावेदार तो हैं ही, उनके नाम पर बाकियो को भी कोई आपत्ति नहीं है। संघ भी लगभग सहमत है। लेकिन, अब मोदी युग है। सब कुछ दिल्ली के रुख पर निर्भर करेगा। बिहार चुनाव में बीजेपी को अगर फतह मिल गई तो कौशिक के लिए दिक्कत नहीं होगी। वरना, पार्टी फिर ठोक-बजाकर फैसला लेगी।

माफ कीजिए

बिना किसी ठोस कारण के हाथ जला चुके एक सीनियर मिनिस्टर मीडिया को देखते ही आजकल हाथ जोड़ लेते हैं। हाल ही में मंत्रालय में कुछ प्रिंट एन इलेक्ट्रानिक मीडिया के कुछ पत्रकारों ने उनसे बात करनी चाही तो मंत्रीजी हाथ जोड़ लिए। बोले, अभी मुझे अपना कैरेक्टर ठीक कर लेने दीजिए। फिर आपलोगों से बात करूंगा। वैसे भी, मंत्रीजी के दिन अच्छे नहीं चल रहे हैं। उनके पास तीन विभाग हैं। दो तो बहुत बड़े। दोनों के कर्मचारी बेमुद्दत हड़ताल पर हैं। ऐसे में, मंत्रीजी की परेशानी समझी जा सकती है।

दो पोस्ट और

भारत सरकार ने पीसीसीएफ के दो पोस्ट स्वीकृत कर दिए हैं। इसके फैक्स भी कल पहुंच गए। अब जल्द ही इसके लिए डीपीसी होगी। सीनियरिटी में प्रदीप पंत और दिवाकर मिश्रा नम्बर एक और नम्बर दो पर हैं। जाहिर है, इनकी दावेदारी तो रहेगी ही। मगर तीसरे नम्बर पर बीके सिनहा भी हैं। दिवाकर मिश्रा चूकि एसईसीएल में डेपुटेशन पर हैं, इसलिए सरकार चाहे तो दिवाकर को प्रोफार्मा प्रमोशन देकर पंत और सिनहा को पीसीसीएफ बना सकती है। मगर ये सिनहा की क्षमता पर निर्भर करेगा कि वे सरकार और आला नौकरशाहों को कितना साध पाते हैं। क्योंकि, बिना साधे सरकार में कुछ मिलता नहीं। आईपीएस ओपी पाल भले ही इसके अपवाद हो सकते हैं। सरकार ने उन्हें नोट उगलने वाले विभाग ट्रांसपोर्ट में भेज दिया।

खलबली

पीसीसीएफ के दो पोस्ट मिलने के बाद वन विभाग में खलबली मच गई है। पहले शीर्ष पद के लिए विकल्प सीमित थे। अनूप भल्ला पहले से तनखैया घोषित कर दिए गए थे। उपर से कांग्रेस के एक बड़े नेता ने वीटो लगा दिया। इसलिए, मजबूरी का नाम महात्मा गांधी हो गया। मगर वन विभाग के हालात सरकार से छिपे नहीं हैं। आईएफएस अफसर त्राहि माम कर रहे हैं। अरण्यक में बगावत के हालात निर्मित होेते जा रहे हैं। सो, पीसीसीएफ की डीपीसी के बाद सरकार प्रदीप पंत या बीके सिनहा में से किसी एक को आगे कर दे ंतो आश्चर्य नहीं।

अमित युग

ये आप मान सकते हैं, जोगी खेमे में अब अमित युग शुरू हो गया है। अमित के जन्मदिन से ही इसका आगाज कहा जा सकता है। याद होगा, अजीत जोगी ने कविता लिखी थी, अब उसे नहीं है कोई मार्गदर्शन की दकरार….खुद ही स़क्षम है….। इसके बाद छोटे जोगी निकल पड़े हैं। जोगी खेमे के नेता अब अमित से ही टिप्स ले रहे हैं। अमित इस कोशिश में हैं कि जोगी खेमे से जिन नेताओं को परहेज था, उन्हें भी अपने साथ जोड़ा जाए। बिलासपुर के दो एक्स मेयर जोगी के पाले में आ गए हैं। कोरबा जिले के एक एमएलए पर भी डोरे डाले जा रहे हैं। रविंद्र चैबे भी जोगी खेमे के साथ आ गए हैं। आउटसोर्सिंग के प्रदर्शन में जिस अंदाज में उनका भाषण दिया, उसके बाद कुछ बच नहीं गया है। नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव से जोगी खेमे के कैसे रिश्ते थे, छिपे नहीं है। मगर अमित की उनसे भी निकटता बढ़ी है। आखिर, छोटे जोगी के एक एसएमएस पर वे उनके यहां चाय पर पहंुच गए। आउटसोर्सिंग के इश्यू पर भाषण के दौरान टीएस ने ही लोगों को याद दिलाया कि आज रेणू जोगी का जन्मदिन है। असल में, अमित जानते हैं कि भूपेश और चरणदास महंत के साथ रिश्ते सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है। सो, रणनीति के तहत भूपेश, महंत वर्सेज आल करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। अमित के स्टार भी साथ दे रहे हैं। उन्हांेने आउटसोर्सिंग का इश्यू उठाया, उसे कांग्रेस ने पहले मजाक उड़ाया। पीसीसी चीफ ने तो पल्ला ही झाड़ लिया था। बाद मंे इश्यू की गंभीरता समझ में आने पर सारे नेता उसमें कूद पड़े। सोने में सुहागा कहिए, सरकार ने उसे विड्रो भी कर लिया। पहली गेंद पर छक्का…..विरोधी भी धराशायी। उधर, बिल्हा एसडीएम को भी सस्पेंड करा लिया। छोटे जोगी को और क्या चाहिए।

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