लुतरा शरीफः जिन्दा है गंगा जमुना तहजीब..लाकडाउन में फंसे 300 से अधिक जायरीन..गांव में एकता की मिसाल..सरपंचिन खिलाती है खाना

BHASKAR MISHRA
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बिलासपुर—- दो दिन बाद प्रदेश में लाकडाउन की उम्र एक महीने हो जाएगी। लाकडाउन के बाद लोगों का जीवन जैसे फ्रीज हो गया है। जो जहां है वहीं दुबके हैं। खासकर दूर दराज से आए दर्शन करने वाले लोगों की हालत लाकडाउन के बाद सांप छछुंदर जैसी हो गयी। ना तो वह घर जा सकते थे। और ना ही वहां रहकर भोजन पानी की व्यवस्था कर सकते हैं। लेकिन लुतरा शरीफ में दूर प्रदेशों से आए जायरीनों की हालत बिलकुल अलग है। स्थानीय महिला सरपंचिन ने वह काम कर दिखाया..जिसे भारतीय साम्प्रदायिक सौहार्द की कड़ी में हमेशा याद रखा जाएगा। 
 
देश के कोने कोने से पहुंचते हैं जायरीन
 
                  बताते चलें कि छत्तीसगढ़ में के बिलासपुर जिले में स्थि लुतरा शरीफ दरगाह का नाम बहुत ही अदब लिया जाता है। हर साल यहां मुराद लेकर ना केवल मुस्लिम आते हैं। बल्कि उससे कहीं ज्यादा संख्या में अन्य धर्मों के लोग पहुंचते हैं। लाकडाउन के पहले यहां हजारों की संख्या में अपनी मुराद लेकर सीपत स्थित बाबा इंसान अली के दरबार में लोग पहुंचे। हालात कुछ ऐसे बने की 21 मार्च को राज्य सरकार ने लाकडाउन का एलान कर दिया। बाद में यानि 24 मार्च को केन्द्र सरकार ने भी लाकडाउन की घोषणा कर दी। इसके बाद जायरीनों के सामने मुश्किल खड़ी हो गयी। कुछ लोग तो किसी तरह अपने घर लौट गए। लेकिन 300 से अधिक जायरीन इस स्थिति में नहीं थे कि अपने घर पहुंच सके।
 
             कुछ दिनों बाद लाकडाउन में फंसे  300 से अधिक जायरीनों के सामने भूखे रहने की स्थिति आ गयी। पहले तो किसी तरह लोगों ने दिन गुजारा। लेकिन धीरे धीरे हालात बिगड़ने लगे। इसके बाद स्थानीय ग्राम पंचायत ने शासन के निर्देश पर राशन का वितरण करना शुरू किया। जब बात नहीं बनी तो सरपंचिन ने दरियादिली दिखाते हुए संकल्प लिया कि अब सभी जायरीनों को रोज दोहपर खाना बनाकर खिलाएगी। साथ ही शासन प्रशासन के सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन कराएगी।
 
तीन सौ से अधिक लोग फंसे
 
         जानकारी हो कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में सीपत के पास स्थित लुतरा शरीफ को गंगा-जमुनी तहजीब की धरती भी कहा जाता है। कहा ही नहीं जाता..बल्कि यह अदब यहां आज भी जिन्दा है। लुतरा शरीफ में सूफी-संत हजरत बाबा सैय्यद इंसान अली शाह की दरगाह है। यहां छत्तीसगढ़ ही नही पूरे देश से सभी धर्म को मानने वाले अपनी मुराद लेकर पहुंचते है। कोरोना वायरस के प्रकोप और लॉकडाउन घोषणा के चलते यहां छत्तीसगढ़ .,महाराष्ट्र , उड़ीसा, बिहार, झारखंड, दिल्ली, मध्यप्रदेश, गुजरात समेत देश के कई राज्यो के 300 सौ से अधिक लोग फंस गए।
 
                 लॉगडाउन के जायरीनों के सामने उस समय मुसीबत बढ़ गयी जब हॉटल, रेस्टोरेंट समेत खानपान का सहारा ठेला को बन्द कर दिया गया। जिसके चलते जायरीनों के लिए भूखों मरने की स्थिति पैदा हो गयी। दर्शनार्थियों की परेशानियों को देखते हुए ठीक समय पर पंचायत सरपंच शुकवारा संतोष गंधर्व ने सभी जायरीनों को खाने खिलाने का संकल्प लिया।
 
सरपंचिन ने दिखाई दरियादिली
 
               गांव सरपंच शुकवारा बाई पिछले 25 दिनों से रोज 12  बजे दरगाह के सामने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराते हुए भोजन का पैकेट खड़े होकर बंटवाती है। इतना ही नहीं अपने समर्थकों को भी अनावश्यक भीड़ नहीं बढ़ाने की बात कह दूर रखती है। हां कुछ जिम्मेदार पंचो का ही सहयोग लेती है। शुकवारा बाई के हौसले को देखते हुए गांव के लोग भी सहयोग में राशन का गुपचुप दान कर रहे हैं। इतना ही नहीं गांव के लोग अपने घरों से खाना बनाकर शुकवारा बाई के हवाले कर देते हैं। जिन्हें शुकवारा बाई सामुहिक रूप से दरगाह में फंसे लोगों के बीच बांटती है।
 
          शुकवारा बाई समेत पंच और गांव के लोगों ने बताया कि तीन मई तक लॉकडाउन चलेगा। इस बीच लोगों को भोजन को लेकर किसी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है। हम कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जरूर जीतेंगे।
 
गेस्ट हाउस में राशन के साथ पका भोजन का वितरण
 
          शुकवारा बाई और पंचों ने बताया कि लॉकडाउन में 300 सौ लोग लुतरा शरीफ में फंसे है। लेकिन 70 लोग दरगाह के सामने ज़मज़म गेस्ट में फंसे है। गेस्ट हाउस के संचालक हाजी अमीन सेठ रोजाना रात को 100 लोगो को खाना खिलाते हैं। हाजी अमीन ने बताया कि जायरीनों के बीच हम ना केवल राशन बांट रहे हैं बल्कि रोज रात को 100 लोगो के बीच बना हुआ खाना भी परोसते हैं।                
गांव बना समाज सेवकों का गढ़
 
        लुतरा शरीप गांव की सरपंच शुकवारा बाई ने बताया कि पिछले 25 दिनों से रोजाना 300 सौ लोगो को खाना खिलाया जा रहा है। इस अभियान में मुस्लिम जमात का  महत्वपूर्ण योगदान है। गांव के कई लोग हैसियत के मुताबिक चांवल,दाल और अन्य खाद्य सामाग्री पंचायत को दे रहे हैं। संतोष गंधर्व ने बताया कि रोजाना 300 लोगो को खाना खिलाना मुश्किल काम है। अब इस कार्य को आगे बढाने के लिए प्रशासन का सहयोग जरूरी है।
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