लॉकडाउन में किसान परेशान, बेलगहना में 87 किसानों का धान टोकन मिलने के बाद भी नहीं खरीदा गया , खराब हो रहा एक हज़ार बोरा धान

Chief Editor
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बिलासपुर।  लॉक डाउन के दौरान उपजी परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ के किसानों को कीमत चुकानी पड़ रही है ।  प्रदेश में ऐसे किसानों की भी संख्या है, जिन्हें धान बेचने के लिए टोकन फरवरी महीने में ही दिया जा चुका है । लेकिन अब तक  उनके धान की खरीदी नहीं हो सकी है।  बेलगहना इलाके में ऐसे 87 किसानों का मामला सामने आया है । कोटा इलाके के भाजपा नेता रंगानादम ने मांग की है कि बेलगहना  के 87 किसानों के धान की खरीदी का इंतजाम तुरंत किया जाए  ।

रंगानादम  ने बताया कि बेलगहना सोसाइटी में आसपास इलाके के 87 किसानों का धान रखा हुआ है । करीब एक हज़ार  बोरा धान अब तक नहीं खरीदा जा सका है  । जबकि किसानों को धान खरीदी के लिए टोकन फरवरी महीने में ही दिया जा चुका था । टोकन मिलने के बाद किसानों ने अपना धान  खुद ट्रांसपोर्टिंग कर सोसाइटी पहुंचा दिया ।  लेकिन पहले बेमौसम बरसात और फिर लॉक डाउन की वजह से उनका धान नहीं खरीदा गया । ऐसे में किसानों का धान सोसाइटी में पड़ा है और सड़ने लगा है । उन्होंने बताया कि बेलगहना सोसाइटी के आसपास दीमक का काफी प्रकोप है।  दीमक लगने की वजह से धान के बोरे ख़राब हो  रहे हैं और अब किसानों के हाथ कुछ नहीं आएगा । यदि वह अपना धान वापस भी ले जाना चाहे तो मुश्किल होगी और जितना धान बचा है उसे वापस ले जाने में ट्रांसपोर्टिंग का भी खर्च उन पर आएगा ।

बेलगहना इलाक़े में लूफ़ा, सेमरिया , बरर, केकरडीह, पड़रायपारा, पुड़ू, बानेबेल,भेलवाटिकरी, झिंगटपुर , पंडरापथरा, बहेरामुड़ा गावों के किसानों ने पिछले 20 फ़रवरी को ही कोटा एसडीएम को लिख़ित में शिकायत कर दी थी कि बेलगहना सोसाइटी से विभिन्न गाँवों के 87 किसानों के धान की खरीदी के लिए बेलगहना सोसाइटी ने 13 फ़रवरी को टोकन ज़ारी कर दिया था। इसके बाद खरीदी करने के लिए 19 फ़रवरी की तारीख़ भी तय कर दी थी। लेकिन अनियमितता और भेदभाव करते हुए किसानों का धान नही खरीदा गया है। 87 किसानों का धान आसमान के नीचे पड़ा है और मौसम की मार से खराब हो रहा है। किसानों ने एसडीएम को 20 फ़रवरी को ही बता दिया था कि सोसाइटी के कर्मी टोकन होने के बावजूद किसानों का धान खरीदने से मना कर रहे हैं। किसानों ने अपने ज्ञापन की प्रति जिला कलेक्टर को भी भेजी थी। लेकिन स्थिति आज भी जस – की- तस बनी हुई है। किसानों के पास अब भी टोकन है। उनके पास सोसाइटी में दर्ज किसानों के नाम और धान की मात्रा से संबंधित दस्तावेज़ भी हैं। लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

रंगा नादम यह भी बताते हैं कि किसानों की मजबूरी के इस दौर में कुछ लोग बेजा फायदा उठा रहे हैं । सोसाइटी से जुड़े हुए लोग भी औने पौने दाम पर किसानों का धान खरीद रहे हैं । उधर व्यापारी भी बमुश्किल बारह – तेरह सौ रुपए क्विंटल  में धान खरीद रहे हैं । जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है ।  तमाम किसानों की आर्थिक स्थिति धान पर निर्भर है । लेकिन धान की खरीदी नहीं होने के कारण उन पर काफी बोझ आ गया है । उन्होंने मांग की है कि किसानों के धान की खरीदी का इंतजाम सरकार को करना चाहिए । जिससे विषम परिस्थिति में किसानों को मदद मिल सके उन्होंने यह भी बताया कि समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की गई है लेकिन 25 सौ रुपए  प्रति क्विंटल की दर से किसानों को भुगतान नहीं हो सका है।  अंतर की राशि का भुगतान भी समय पर किया जाना चाहिए ।

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