“लोकजीवन से जुड़ा पर्व:छेरछेरा”

cgwallmanager
3 Min Read

here(केशव शुक्ल)छत्तीसगढ़ के लोकजीवन में विविध रंगों की छाप दिखाई देती है।सुख हो ,दुख हो हर हाल में लोक अपने को समाहित कर लेता है ।यहां के हर तीज-त्योहार अनूठे हैं जिनमें लोकजीवन की उत्सवधर्मिता ही नहीं उसकी अस्मिता , उल्लास भी दिखाई पड़ता है ।ऐसा ही एक लोकपर्व है छेरछेरा । इसकी गूंज “छेरछेरा – माई कोठी के धान ला हेरते हेरा “ छत्तीसगढ़ के गली-खोरों में आज सुनाई पड़ेंगी।पौष मास की पूर्णिमा को छेरछेरा पर्व प्रतिवर्ष मनाया जाता है।इस समय फसल के काम -काजों से किसान और उनका परिवार मुक्त हो चुका होता है और उसके घर अन्नलक्ष्मी का वास होता है ।मकर संक्रांति के बाद यह पर्व भी स्नान-दान का होता है।इस दिन भी किसान और उसका परिवार लोक कल्याण की भावना से मुट्ठी भर-भर कर अनाज का दान करता है।

Join Our WhatsApp Group Join Now

                स्व.पं.रमाकांत मिश्र शास्त्री जी बताते थे कि छेरछेरा मूलतः संस्कृत के *श्रेयस्य श्रेयाः* शब्द का अपभ्रंश है।इसका अर्थ होता है ‘ कल्याण हो-कल्याण हो।’इस पर्व पर हर किसी को कम से कम पांच घरों में श्रेयस्य श्रेयाः या छेरछेरा का उदघोष करना चाहिए। आदरणीय पं. मिश्र जी का पुण्य स्मरण करते हुए मैं उन्हें कोटिशः नमन करता
हूँ ।वे संस्कृत भाषा के प्रखर विद्वान् और प्रतिष्ठित अधिवक्ता थे।ज्योतिष शास्त्र में भी उनकी कोई सानी नहीं थी।

               h2छेरछेरा पर्व पर पहले लोगों की टोलियां घर-घर पहुंच कर दान माँगा करती थीं।किसान अपने घर के दरवाजे पर धान अथवा अन्य उपज का बोरा खोलकर सुबह से बैठ जाता था और छेरछेरा का आवाज लगाने वाली टोली के हर सदस्य को मुट्ठी भर भर कर दान दिया करता था। अब यह परम्परा बहुत कम हो गई है।बच्चों की टोलियां आज भी गांवों ,और गांवों से लगे कस्बे ,शहरी इलाकों में छेरछेरा का आवाज लगाती दिखती हैं। किसान और उससे जुड़ा परिवार आज भी अनाज, रूपए -पैसे का दान इस पर्व पर करता है।

               छत्तीसगढ़ ‘ ऋषि और कृषि ‘संस्कृति का प्रदेश है।यहां कृषक और उससे जुड़ा परिवार आज भी मिल-बांट कर खाने में विश्वास रखता है जो तीज-त्योहारों में स्पष्ट दिखाई देता है।लोककल्याण की भावना का यह पर्व भी आधुनिकता की चकाचौंध से प्रभावित हो गया है।इस पर्व के पीछे मूल भावना यही है कि हर आदमी कम से कम पांच जरूरत मंद घरों ,परिवारों की मदद करे , उनके कल्याण की कामना करे।फोटो भाई जितेंद्र सिंह ठाकुर के सहयोग से प्राप्त हुई है।

close