लोकसुराज अभियान में लगी अर्जी- “मुझे छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बना दो”

Chief Editor
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net ram 1बिलासपुर । “महोदय,

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               मेरा निवेदन है कि छत्तीसगढ़ के सार्वजनिक विकास हेतु मुझे मुख्यमंत्री बनाने की कृपा करें।ताकि हो रहे भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी को रोका जा सके।  “

इस तरह का आवेदन लोकसुराज अभियान , जनशिकायत समाधान (ग्रामीण क्षेत्र) के तहत जमा किया है एक किसान-नेतराम साहू ने……। नेतराम कोटा ब्लॉक के सेमरा गाँव के रहने वाले हैं।उनके आवेदन पर बाकायदा उन्हे पावती भी मिली है…….। उन्हे पूरी उम्मीद है कि सरकार की घोषणा के अनुसार इस अभियान के दौरान मिले सभी आवेदनों का निराकरण किया जाएगा और उन्हे मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।ताकि वे मुख्यमंत्री बनकर अपनी ही नहीं , बल्कि पूरे प्रदेश की समस्याओँ का निराकरण कर सकें।

नेतराम साहू को मिली पावती सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है और इसे लेकर प्रशासन में भी हलचल मची हुई है। इस मामले में cgwall.com ने नेतराम साहू से बात की तो उन्होने सहजता और मासूमियत के साथ बताया कि यह आवेदन लोकसुराज अभियान में उन्होने ही किया है। उन्होने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री का एलान है कि लोकसुराज अभियान में पेश होने वाली मांगों को पूरा किया जाएगा। लिहाजा इस उम्मीद के साथ यह अर्जी लगाई है कि – “मुझे मुख्यमंत्री बनाकर मेरी मांग निश्चित रूप से पूरी की जाएगी।“ डेढ़- दो एकड़ की किसानी में अपना गुजर-बसर करने वाले नेतराम साहू का कहना है कि सरकार की नीतियों की वजह से किसानों की हालत बद से बदतर होती जा रही है।किसान मेहनत करके अनाज उगाता है । लेकिन उसका वाजिब दाम नहीं मिल पाता। जब किसी काम का सही मूल्यांकन नहीं होगा तो कोई कैसे काम करेगा।उनका मानना है कि एक बार किसी को रुपया-पैसा या कोई सामान देकर  मदद करने की बजाय अच्छा होगा कि उसे ऐसी मदद दी जाए , जो उसके जीवन भर काम आते रहे। लेकिन सरकार एक रुपए किलो चावल देकर लोगों को निकम्मा बना रही है । जबकि होना यह चाहिए कि सरकार खेती करने वालों को वाजिब दाम देकर उन्हे स्थाई रूप से मजबूत बनाए।net ram 2

नेतराम साहू ने यह मुद्दा भी उठाया कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार और निकम्मेपन की वजह से भी बड़ी समस्या है। यह लोगों के पिछड़ेपन का बड़ा कारण है।सरकार अपने कर्मचारियों को नियुक्ति के बाद हर महीने निश्चित तनख्वाह देती है। जिससे वे अपना काम जिम्मेदारी से पूरा करें। लेकिन कर्मचारी अपना पचास फीसदी काम भी सही ढंग से नहीं करते। ऊपर से रिश्वतखोरी अलग होती है। जिससे आम आदमी परेशान होता रहता है। वे मानते हैं कि सरकारी सिस्टम में सुधार कर कर्मचारियों से सौ फीसदी काम लिया जाए तो सत्तर फीसदी समस्या तुरंत ही दूर हो सकती है।

नेतराम का गांव कोटा ब्लॉक में रतनपुर से केंदा रोड पर चपोरा से करीब एक किलोमीटर अंदर है। खेती- किसानी के सहारे जीवन बसर करते हुए भी वे आधुनिक सोच की अहमियत को समझते हैं। और उनका मानना है कि   किसी अभियान को लेकर केवल घोषणाएं ही काफी नहीं हैं। बल्कि उन पर अमल भी होना चाहिए । कुछ इसी सोच के तहत किसानों  की हालत और सरकारी सिस्टम में बुनियादी सुधार का लक्ष्य लेकर उन्होने मुख्यमंत्री बनाने की मांग सरकार के सामने रखी है। उन्हे पावती देते हुए यह भी कहा गया है कि उनकी मांग का निराकरण 3 मार्च को हो जाएगा। अब इस पर क्या होता है, यह तो 3 मार्च को ही पता चलेगा।

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