बिलासपुर— नान घोटाले में वरिष्ठ आईएएस अनिल टुटेजा को हाईकोर्ट से अग्रिम ज़मानत मिल गयी है। फैसला आने के बाद टुटेजा के वकील ने बताया कि कोई कारण नहीं था कि अनिल टुटेजा जमानत नहीं दिया जाए। तीस महीने बाद दिसम्बर में चार्जशीट दायर किया गया। मामले में स्पष्ट कि टुटेचा को किसी को बचाने के लिए निशाना बनाया गया है।
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वकील ने बताया कि हाईकोर्ट को दायर चार्जशीट में टुटेजा के खिलाफ नान घोटाले में कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला है। आय से अधिक सम्पत्ति का मामला भी नहीं है। टीम को कार्रवाई के दौरान एक रूपया भी नही मिला है।
वकील ने पत्रकारों को जानकारी दी कि केंद्र सरकार से जून 2016 में अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होने के 30 महीने तक चालान पेश नहीं किया गया। अचानक चुनाव परिणाम के ठीक पांच दिन पहले चालान पेश किया गया।
टूटेजा के मात्र 8 माह के कार्यकाल में ना तो कभी खराब चावल लिया गया और ना ही सरकार को कोई क्षति पहुँची है। जब किसी को पूर्ण जाँच के दौरान गिरफ़्तार नहीं किया गया तो अब जाँच होने और चालान पेश होने के 4 साल बाद गिरफ़्तार करने का कोई कारण नहीं बनता है। पूरी जाँच विवादास्पद स्थिति में है। चार्जशीट के आरोपों से जाहिर होता है कि जांच का उद्देश्य किसी को फँसाना और किसी को बचाना था।